अज़हरुद्दीन का दोष अधिक बड़ा माना जाना चाहिए - सुरेश चिपलूनकर

Published: Monday, Sep 12,2011, 13:22 IST
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अज़हरुद्दीन, सुरेश चिपलूनकर, अजमल

हैदराबाद के बाहरी इलाके में मोहम्मद अज़हरुद्दीन के पुत्र की बाइक के दुर्घटनाग्रस्त होने से उनका पुत्र गम्भीर अवस्था में अस्पताल में है, जबकि भतीजे अजमल की मौत हो गई है। इस सम्बन्ध में जो "अपुष्ट" सूचनाएं प्राप्त हुई हैं उसके अनुसार -

1) बाइक सुजुकी की है और 1000 सीसी की है…
2) बाइक को भतीजा अजमल चला रहा था (जिसकी आयु 16 वर्ष है)
3) बाइक की स्पीड बहुत ज्यादा थी (ज़ाहिर है 1000 सीसी की बाइक इसीलिए तो ली थी)
4) जिस एयरपोर्ट रोड पर यह एक्सीडेंट हुआ, वह दोपहिया वाहनों के लिए प्रतिबन्धित है…
5) दोनों सवारों ने हेलमेट नहीं पहना था…

अब इस घटना के बाद ज़ाहिर है कि लीपापोती का अभियान शुरु हो जाएगा कि बाइक तो अयाज़ुद्दीन चला रहा था, जो कि 19 वर्ष का है। परन्तु इस मामले में अज़हरुद्दीन भी बराबरी के दोषी हैं, इतनी महंगी और तेज़ रफ़्तार बाइक अपने बेटे को इतनी कम आयु में खरीदकर देने की क्या जरुरत है? यदि आप एक "बड़े" आदमी(?) हैं और अत्यधिक व्यस्त रहते हैं तो अपने बच्चों का पालन-पोषण और देखरेख में कोताही क्यों बरतते हैं? दोनों किशोरों ने उस सड़क का इस्तेमाल क्या इसलिए नहीं किया, कि यदि कुछ हुआ तो "पापा" निपट लेंगे? इस "रईसी गुरूर" को पैदा करने के जिम्मेदार अज़हरुद्दीन नहीं हैं???

अक्सर ऐसे मामलों में देखा गया है कि "प्रभावशाली" लोग स्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ लेते हैं, इस मामले में भी यही होगा… ड्रायविंग लायसेंस था या नहीं? था तो गाड़ी कौन चला रहा था? बाइक का मालिक कौन था? इत्यादि बातों का सच कभी सामने नहीं आयेगा…। भगवान का शुक्र है कि बाइक सड़क पर चल रहे किसी गरीब की छाती पर नहीं चढ़ी, फ़िर भी इस बात की पूरी सम्भावना बची ही रहेगी, कि ये किशोर आगे चलकर सलमान खान ही बनेंगे और जब प्रतिबन्धित सड़क पर बिना हेलमेट के पावर बाइक चला सकते हैं तो वे हिरण का शिकार भी कर सकते हैं और फ़ुटपाथ पर सोए गरीबों को कुचल भी सकते हैं…। यह सब करने के बावजूद मीडिया को पैसा खिलाकर अपनी "उजली छवि" का निर्माण भी कर सकते हैं।

शोकाकुल परिवार के साथ पूरी सहानुभूति रखते हुए यही कहना चाहता हूँ कि किशोरों में "पैसों और प्रभाव" का घमण्ड पैदा मत कीजिये। किसी भी ऐसी दुर्घटना में उन से ज्यादा दोषी तो अभिभावक ही माने जाने चाहिए।

ये विचार लेखक के अपने विचार है, इसका आई.बी.टी.एल से कोई लेना-देना नहीं है... लेखक ने शोकाकुल परिवार को सांत्वना देते हुए अन्य लोगो को सूचित किया है की हमारे परिवार, बच्चों की जिम्मेदारी हमारी है... 

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