..... १० मई को बाबा रामदेव 1857 के शहीदों को श्रधांजलि देने मेरठ पहुंचे फिर एवं उन्होंने यूपीए (कांग्रेस गठब..
अग्निवेश टीम अन्ना से अलग हुए, अन्ना हज़ारे का आंदोलन सामाजिक न्याय से सहमत नहीं है

टीम अन्ना के एक प्रमुख सदस्य स्वामी अग्निवेश ने कुछ मतभेदों की वजह के बाद अपने आपको टीम की गतिविधियों से अपने आपको अलग कर लिया है.
बीबीसी से हुई बातचीत में उन्होंने कहा है कि चूंकि अन्ना हज़ारे अपना अनशन ख़त्म नहीं कर रहे हैं और उन्होंने ड्रिप लेने से इनकार कर दिया है इसलिए वे अपने आपको अलग कर रहे हैं क्योंकि सिद्धांतों के अनुसार वे आमरण अनशन के साथ ख़ड़े नहीं रह सकते.
वैसे उन्होंने अपने कुछ मित्रों से ये भी कहा है कि अन्ना हज़ारे का आंदोलन सामाजिक न्याय से सहमत नहीं है इसलिए वे अपने आपको इससे अलग कर रहे हैं.
हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि टीम अन्ना में कोई दरार पड़ गई है. उनका कहना है कि 'सदस्यों के बीच छोटी-मोटी बातों को लेकर मतभेद हैं लेकिन इसे दरार नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि इस समय आंदोलन अच्छा चल रहा है'.
अन्ना का रवैया
स्वामी अग्निवेश का कहना है कि पहले ये सहमति बनी थी कि अगर सरकार ये
मान जाती है कि जन लोकपाल बिल को कुछ संशोधनों से साथ संसद में पेश कर
दिया जाए तो उतने पर अन्ना को अपना अनशन समाप्त कर देना चाहिए.
उनका कहना है कि अन्ना अब कह रहे हैं कि वे तब तक अपना अनशन जारी रखेंगे जब तक सरकार बिल पारित नहीं कर देती
स्वामी अग्निवेश का कहना है, "उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है लेकिन उन्होंने ड्रिप लेने से भी इनकार कर दिया है. वो एक रास्ता था जिससे अनशन भी चलता रहता और स्वास्थ्य भी संभल जाता."
उन्होंने कहा, "अन्ना ने अपने समर्थकों से कहा कि अगर पुलिस पकड़ने के लिए आए तो रास्ता बंद कर देना, मुझे ले जाने मत देना. ये तो अन्ना के भी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है."
उनका कहना है कि अन्ना ने पहले कहा था अगर पुलिस गिरफ़्तार करने आएगी तो वे प्रतिरोध नहीं करेंगे.
पहले अनशन से ही टीम अन्ना के सदस्य रहे स्वामी अग्निवेश ने बीबीसी से कहा है कि उन्होंने आरंभ में ही कह दिया था कि वे आमरण अनशन के पक्ष में नहीं हैं और अब चूंकि परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं इसलिए वे अलग हो रहे हैं.
उनका कहना था, "अन्ना कह रहे हैं कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन रहे हैं, वे सरकार से कह रहे हैं कि जनता की आवाज़ सुनो और ख़ुद जनता की आवाज़ सुनने की जगह अंतरात्मा की आवाज़ सुन रहे हैं."
हालांकि कुछ लोगों से उन्होंने कहा है कि वे सामाजिक न्याय के मुद्दे पर अलग हो रहे हैं.
उनका कहना था कि उन्होंने सामाजिक न्याय के मुद्दे पर सभी को सहमत करने की कोशिश की लेकिन वे अलग-थलग पड़े रहे और इसलिए वे टीम से अलग हो रहे हैं.
Share Your View via Facebook
top trend
-
यूपीए सरकार के कारण दुनिया भर में हिंदुओं की स्थिति चिंताजनक: बाबा रामदेव
-
गुजरात की प्रगति का माध्यम बना है ई - गवर्नेंस - नरेंद्र मोदी
ई -शासन पर भारत संचार समाज (सीएसआई) एवं गुजरात सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हु..
-
अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले जजों को मारना चाहता था सिमी, पाकिस्तान करवाता है हमले
प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के उन जजों को हत्या की साजिश रची थी, जिन्होंने अयोध्या विवा..
-
रामसेतु सिर्फ हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक नहीं अपितु भारत की सांकृतिक धरोहर है
हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड आज कोई नयी बात है, अयोध्या के राम-मंदिर का मुद्दा हो या अमरनाथ यात्रा को लेकर जमीनी विवा..
-
कोलकाता उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय: बकरीद पर खुलेआम गौ-हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध
कोलकाता उच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक निर्णय से देश के करोड़ों हिन्दुओं की दशकों से लहुलुहान होती आ रही भावनाओं पर मरहम का..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)