मैं आंसू आंसू रोया हूँ
कुछ रातों से ना सोया हूँ,
जो सीमाओं पर बिछुड़ गए
उनकी यादों में खोया हूँ
..
दंगों में हिन्दू औरत का बलात्कार अपराध नहीं माना जाएगा?

सोनिया गाँधी के "निजी मनोरंजन क्लब" यानी नेशनल एडवायज़री काउंसिल
(NAC) द्वारा सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक का मसौदा तैयार
किया गया है जिसके प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं-
1) कानून-व्यवस्था का मामला राज्य सरकार का है, लेकिन इस बिल के
अनुसार यदि केन्द्र को "महसूस" होता है तो वह साम्प्रदायिक दंगों की
तीव्रता के अनुसार राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकता है और
उसे बर्खास्त कर सकता है…
(इसका मोटा अर्थ यह है कि यदि 100-200 कांग्रेसी अथवा 100-50 जेहादी
तत्व किसी राज्य में दंगा फ़ैला दें तो राज्य सरकार की बर्खास्तगी
आसानी से की जा सकेगी)…
2) इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार दंगा हमेशा "बहुसंख्यकों" द्वारा
ही फ़ैलाया जाता है, जबकि "अल्पसंख्यक" हमेशा हिंसा का लक्ष्य होते
हैं…
3) यदि दंगों के दौरान किसी "अल्पसंख्यक" महिला से बलात्कार होता है
तो इस बिल में कड़े प्रावधान हैं, जबकि "बहुसंख्यक" वर्ग की महिला का
बलात्कार होने की दशा में इस कानून में कुछ नहीं है…
4) किसी विशेष समुदाय (यानी अल्पसंख्यकों) के खिलाफ़ "घृणा अभियान"
चलाना भी दण्डनीय अपराध है (फ़ेसबुक, ट्वीट और ब्लॉग भी शामिल)…
5) "अल्पसंख्यक समुदाय" के किसी सदस्य को इस कानून के तहत सजा नहीं दी
जा सकती यदि उसने बहुसंख्यक समुदाय के व्यक्ति के खिलाफ़ दंगा अपराध
किया है (क्योंकि कानून में पहले ही मान लिया गया है कि सिर्फ़
"बहुसंख्यक समुदाय" ही हिंसक और आक्रामक होता है, जबकि अल्पसंख्यक तो
अपनी आत्मरक्षा कर रहा है)…
इस विधेयक के तमाम बिन्दुओं का ड्राफ़्ट तैयार किया है, सोनिया गाँधी
की "किचन कैबिनेट" के सुपर-सेकुलर सदस्यों एवं अण्णा को कठपुतली बनाकर
नचाने वाले IAS व NGO गैंग के टट्टुओं ने… इस बिल की ड्राफ़्टिंग
कमेटी के सदस्यों के नाम पढ़कर ही आप समझ जाएंगे कि यह बिल "क्यों",
"किसलिये" और "किसको लक्ष्य बनाकर" तैयार किया गया है…। "माननीय"(?)
सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं - हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, तीस्ता
सीतलवाड, राम पुनियानी, जॉन दयाल, शबनम हाशमी, सैयद शहाबुद्दीन… यानी
सब के सब एक नम्बर के "छँटे हुए" सेकुलर… । "वे" तो सिद्ध कर ही देंगे
कि "बहुसंख्यक समुदाय" ही हमलावर होता है और बलात्कारी भी…
अब यह विधेयक संसद में रखा जाएगा, फ़िर स्थायी समिति के पास जाएगा,
तथा अगले लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसे पास किया जाएगा, ताकि मुस्लिम
वोटों की फ़सल काटी जा सके तथा भाजपा की राज्य सरकारों पर बर्खास्तगी
की तलवार टांगी जा सके…। यह बिल लोकसभा में पास हो ही जाएगा, क्योंकि
भाजपा(शायद) के अलावा कोई और पार्टी इसका विरोध नहीं करेगी…। जो बन
पड़े उखाड़ लो…
फ़िलहाल अति-व्यस्तता एवं कम्प्यूटर की खराबी की वजह से विस्तृत ब्लॉग
नहीं लिख पा रहा हूँ, परन्तु इस विधेयक के प्रमुख बिन्दु आपके सामने
पेश कर दिये हैं… ताकि भविष्य में होने वाले दंगों के बाद की "तस्वीर"
आपके सामने स्पष्ट हो सके…
Share Your View via Facebook
top trend
-
करवा चौथ के पावन पर्व पर शहीदों की विधवाओं को नमन
-
‘छत्तीसगढ़ फतह’ के बाद स्वामी अग्निवेश जैसे पेशेवर मध्यस्तों का अगला निशाना बना है ओडिशा
बाजारवाद का एक कुत्सित लेकिन कामयाब फार्मूला यह है कि पहले ‘दर्द’ तैयार करो फ़िर उसकी दवा बेचने भी निकल पडो. ब..
-
यशवंत और शत्रुघ्न सहित तीन भाजपा सांसदों की इस्तीफे की पेशकश
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पार्टी के गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा सहित भाजपा के तीन..
-
गोविन्दाचार्य जी के नेतृत्व में खड़ा होगा देशव्यापी सांगठनिक ढांचा
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सन 2012 को ‘संगठन विस्तार वर्ष’ के रूप में मनाते हुए ‘
-
तेलंगाना में अडवाणी की यात्रा को भरपूर समर्थन
Oct 19 2011 12:09:00 PM| तेलंगाना से होकर निकली अडवाणी की जन चेतना यात्रा को भरी जन समर्थन प्राप्त हुआ है | तेलंगाना के नि..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)