आडवाणी की जनचेतना रथयात्रा की शुरुआत बीजेपी के लिए अच्छी नहीं रही। रथयात्रा के पहले ही दिन सिर्फ 2 घंटे की यात्रा के दौरान..
भला यह कैसी इकबाल बुलंदी : ०४ जून की काली रात का सच

4 जून को स्वामी रामदेव ने मुझसे पूछा था कि क्या ऐसा हो सकता है कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश करे ? मैंने उनसे कहा कि कोई भी सरकार इतनी ब़ड़ी गलती नही करेगी “ आप शांति से अनशन कर रहे हैं ,आपके हज़ारो समर्थक मौजूद हैं, चालीस TV Channels की OB Vans वहां खड़ी हैं.” .. मैंने उनसे कहा था 'सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ऐसा कभी नहीं होने देंगे'...मेरा विश्वास था कि कांग्रेस ने Emergency के अनुभव से सबक सीखा है...पिछले 7 साल के शासन में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे ये लगा हो कि वो पुलिस और लाठी के बल पर अपनी सत्ता की ताकत दिखाने का कोशिश करेंगे
लेकिन कुछ ही घंटे बाद सरकार ने मुझे गलत साबित कर दिया..मैंने स्वामी रामदेव से कहा था कि आप निश्चिंत होकर सोइये... देर रात मुझे इंडिया टीवी के Newsroom से फोन आया : "सर, रामलीला मैदान में पुलिस ने धावा बोल दिया है"...फिर उस रात टी वी पर जो कुछ देखा ,आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कोई ऐसा कैसे कर सकता है ...कैमरों और रिपोर्ट्स की आंखों के सामने पुलिस ने लाठियां चलाईं, आंसू गैस के गोले छोड़े, बूढ़े और बच्चों को पीटा, महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए...मैंने स्वामी रामदेव को अपने सहयोगी के कंधे पर बैठकर बार-बार पुलिस से ये कहते सुना- "यहां लोगों को मत मारो, मैं गिरफ्तारी देने को तैयार हूं"...लेकिन जब सरकार पांच हजा़र की पुलिस फोर्स को कहीं भेजती है तो वो फोर्स ऐसी बातें सुनने के लिए तैयार नहीं होती...पुलिस वालों की Training डंडा चलाने के लिए होती है, आंसू गैस छोड़ने और गोली चलाने के लिए होती है पुलिस ये नही समझती कि जो लोग वहां सो रहे हैं वो दिनभर के भूखे हैं , अगर वहां मौजूद भीड़ उग्र हो जाती है तो पुलिस गोली भी चला देती...वो भगवान का शुक्र है कि स्वामी रामदेव के Followers में ज्यादातर बूढ़े, महिलाएं और बच्चे थे या फिर उनके चुने साधक थे जिनकी Training उग्र होने की नहीं है
जब दिन में स्वामी रामदेव ने मुझे फोन किया था तो उन्होंने कहा था - कि किसी ने उन्हें पक्की खबर दी है कि ''आधी रात को हजारों पुलिसवाले शिविर को खाली कराने की कोशिश करेंगे'' और ये भी कहा कि ''पुलिस गोली चलाकर या आग लगाकर उन्हें मार भी सकती है''...मैंने स्वामी रामदेव से कहा था कि ''ऐसा नहीं हो सकता-हजारों पुलिस शिविर में घुसे ये कभी नहीं होगा और आप को मारने की तो बात कोई सपने में सोच भी नहीं सकता''...रात एक बजे से सुबह पांच बजे तक टी वी पर पुलिस का तांडव देखते हुए मैं यही सोचता रहा कि रामदेव कितने सही थे और मैं कितना गलत...ये मुझे बाद में समझ आया कि स्वामी रामदेव ने महिला के कपड़े पहनकर भागने की कोशिश क्यों की...उन्होंने सोचा जब पुलिस घुसने की बात सही है
लाठियां चलाने की बात सही है तो Encounter की बात भी सही होगी ...मैं कांग्रेस को अनुभवी नेताओं की पार्टी मानता हूं...मेरी हमेशा मान्यता रही है कि कांग्रेस को शासन करना आता है...लेकिन 5 जून की रात की बर्बरता ने मुझे हैरान कर दिया...समझ में नहीं आ रहा कि आखिर सरकार ने ये किया क्यों ?...उससे भी बड़ा सवाल ये उठा कि कांग्रेस को या सरकार को इससे मिला क्या?
सरकार को मिला सुप्रीम कोर्ट का नोटिस जिसमें ये बताना पड़ेगा कि रात के अंधेरे में पुलिस की बर्बरता का औचित्य (justification) क्या था...सरकार ये कैसे कहेगी कि हमने ये इसलिए किया कि ये बताना था कि सरकार की ताकत क्या होती है...हम जब चाहें किसी की भी जुबान पर लगाम लगा सकते हैं...कपिल सिब्बल ने उस दिन शाम को कहा था ( if we know to accommodate, we also know how to rein in)''हम अगर किसी के लिए रास्ता बनाना जानते है तो लगाम लगाना भी जानते है”
कांग्रेस को क्या मिला..जो स्वामी रामदेव बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बड़ा रहे थे, उन्हें अपना दुश्मन बना लिया...जो स्वामी रामदेव RSS के लोगों से दूरी बना रहे थे, अपने साथ मुस्लिम नेताओं को खड़ा कर रहे थे ताकि उनकी ऐसी छवि बने जो सबको स्वीकार्य हो - उन्हें कांग्रेस ने धक्का देकर RSS के पाले में फेंक दिया...कांग्रेस ने रात को पुलिस से स्वामी रामदेव के समर्थकों की पिटाई करवा कर, मायावती और मुलायम सिंह दोनों को रामदेव के साथ खड़ा कर दिया...जो वृंदा करात स्वामी रामदेव की खुलेआम आलोचना करती थीं, वो रात को TV Channels पर रामदेव के समर्थन में पुलिस के अत्याचार को सबसे सख्त शब्दों में निंदा करती नज़र आईं
कांग्रेस और सरकार दोनों अन्ना हजारे से परेशान थी...वो रामदेव को अन्ना हजारे के जवाब के रूप में देख रही थी ...लेकिन रात को पुलिस की लाठियों और आंसूगैस ने इसे उल्टा कर दिया...जो अन्ना और रामदेव एक दूसरे से उखड़े हुए थे अब साथ-साथ हैं...अन्ना हजारे रामलीला मैदान की पुलिस बर्बरता के खिलाफ अनशन करेंगे...अब सरकार इन दोनों से एक साथ निबटना होगा
कांग्रेस को क्या मिला? मिला तो बीजेपी को...जो पार्टी बार-बार उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके पास सरकार के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नही था...अब पूरी ताकत के साथ मैदान में है .कांग्रेस ने उसके हाथ में एक मुद्दा दे दिया, रामदेव जैसा लीडर दे दिया और करोड़ों लोगों का जनाधार ,लोगों को लाठियां मार-मारकर बीजेपी को उपहार में दे दिया...अब कांग्रेस को बीजेपी से, रामदेव से, अन्ना हजारे की Civil Society से, मायावती से, मुलायम सिंह से, एक साथ लड़ना है...इसके बदले मिला क्या- लालू यादव का समर्थन जिनके लोकसभा में सिर्फ चार MP हैं और बिहार में सिर्फ बाईस MLA हैं
पुलिस की लाठियां चलाने और लोगों का खून बहाने की टाइमिंग भी कमाल की थी कपिल सिब्बल ने रामदेव से हुई डील की चिट्ठी दिखाकर भ्रम पैदा कर दिया था..रामदेव defensive पर थे...वो बार-बार सफाई दे रहे थे कि चिट्ठी में सिर्फ इतना लिखा है कि हमारी सारी मांगें पूरी हो जाएंगी तो दो दिन के बाद अनशन खत्म हो जाएगा...लेकिन रात में 5000 की पुलिस फोर्स भेजकर सरकार ने रामदेव को Offensive कर दिया...अब वो लगाताक उन सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह पर हमला कर रहे हैं जिनका नाम लेकर उन्होंन पिछले पांच साल में एक शब्द नहीं कहा था.
दिग्विजय सिंह ने स्वामी रामदेव को ठग कहा, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को चोर कहा...सरकार से उनकी जांच कराने की मांग की...फिर हिंदुस्तान टाइम्स में खबर छपी कि CBI और ED स्वामी रामदेव के ट्रस्ट और कंपनियों की जांच करेगी...अगर स्वामी रामदेव ठग हैं तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनसे अनशन वापस लेने की अपील क्यों की ?...प्रधानमंत्री ने एक ठग को चिट्ठी लिखकर ये क्यों कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आपकी मुहिम सही है...अगर स्वामी रामदेव के ट्रस्ट और कंपनियों की जांच होनी है तो देश के Finance Minister प्रणब मुखर्जी तीन और मंत्रियों के साथ उन्हें एयरपोर्ट पर लेने क्यों गए?...अगर कपिल सिब्बल ये जानते थे कि स्वामी रामदेव भरोसे के आदमी नहीं हैं तो फिर सरकार ने भ्रष्टाचार और कालेधन के सवाल पर उनकी ज्यादातर मांगें क्यों मान ली हैं कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेस बुलाकर ये क्यों कहा कि हमने स्वामी रामदेव की सभी मांगे मान ली हैं ?...क्या ये सरकार ऐसे व्यक्ति के साथ डील कर रही थी जिसकी जांच CBI और ED को करनी है
कौन विश्वास करेगा स्वामी रामदेव पर ठगी और बेईमानी जैसे आरोपों का ? दिग्विजय सिंह की बात समझ में आती है, उनका अपना एजेंडा है...लेकिन सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने तो कभी ऐसे एजेंडे को नहीं अपनाया...क्या अब CBI और ED के दम पर फिर से साबित किया जाना है कि सरकार की ताकत क्या होती है?...स्वामी रामदेव को ये बताना है कि हमसे लड़ोगे तो तुम्हारा दिमाग ठिकाने लगा देंगे
अगर सरकार ने ये करके अपना इकबाल जतला भी दिया तो क्या मिलेगा ? ...लोकतंत्र में कोई भी जनता का विश्वास राजनैतिक दलों के लिए ऑक्सीजन का काम करता है...सत्ता का अहंकार- किसी भी पार्टी के लिए तेजाब का काम करता है...इतिहास गवाह है कि लोकतंत्र में डंडे के बल पर शासन नहीं चलता...जो सरकारें विरोध के स्वर का सम्मान करती हैं, शांतिपूर्ण ढंग से आलोचना करने वालों की बात सुनती हैं, वही सरकारें ज्यादा दिन चलती हैं...ये फैसला कांग्रेस को करना है कि उसे आक्सीज़न चाहिए या तेज़ाब
Share Your View via Facebook
top trend
-
जेटली और सुषमा की तबीयत बिगड़ी
-
कैसे बने भारत फिर सोने की चिड़िया? देश से बाहर है 1400 अरब डॉलर?
कई सौ साल पहले भारत को दुनिया भर में सोने की चिडि़या माना जाता था, लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों ने इसे लूटा-खसोटा और इसके धन..
-
सीटें जीते बिना भी मिल सकता है क्षेत्रीय दल का दर्जा
नई दिल्ली गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग थोड़ा मेहरबान हुआ है। अब ये दल राज्य विधानसभा या लोकसभा में कोई ..
-
दिग्विजय के बयानों से नाराज नेता ने कांग्रेस छोड़ी, कहा दिग्विजय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए पूरे राज्य को बर्बाद किया
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बयानबाजी से नाराज कांग्रेस की प्रदेश इ..
-
श्री अमरनाथ यात्रा अवधि सम्बंधित विवाद पर पूज्य श्री श्री रविशंकर जी का वक्तव्य
मैं श्री अमरनाथ यात्रा पर जाने को आतुर शिवभक्तों को यह स्पष्ट करना चाहता हू कि हम सब भी यात्रा को ज्येष्ठ पूर्णिमा की ति..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)