२ जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चिदंबरम की भूमिका के सम्बन्ध में आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध धर्मयुद्ध लड़ रहे जनता पार्टी के अध्य..
बाबा रामदेव का मनमोहन सिंह को पत्र, भारत पर मंडरा रहे संकट के विषय में चेताया

माननीय डॉ.मनमोहन सिंह जी
प्रधानमंत्री - भारत सरकार,
साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली - 110011
सादर प्रणाम!
आज देश एक बहुत बड़ी चुनौती के दौर से गुजर रहा है| पूरी दुनियां में
भारत की प्रतिदिन साख गिर रही है| हमारा डैफिसिट निरन्तर बढ़ रहा है,
विकास दर घट रही है, रूपये का निरन्तर अवमूल्यन हो रहा है तथा कालेधन
की अर्थव्यवस्था ने हमारे देश के भीतर व बाहर बहुत बड़ा आकर ले लिया
है| इससे देश में आर्थिक व सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा संकट पैदा हो
चुका है|
हमारे देश में बड़े लोगों के भ्रष्टाचार के खिलाफ के खिलाफ कठोर कानून
यथा मजबूत लोकपाल बिल पारित न होने के कारण बड़े लोगों के भ्रष्टाचार
पर अंकुश नहीं लग रहा है| 2 जी घोटाला व कॉमनवेल्थ घोटाला से भी बड़ा
कोयला घोटाला कैग की प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार करीब 10 लाख 67 हजार
करोड़ रूपये का हो चुका है| यदि इन घोटालों के पैसे व कालेधन को हम
वापस लाने में अपनी ताकत लगायें तो हमें रिटेल में एफ.डी.आई या अन्य प्रकार के विदेशों से उधार व विदेशी
पूंजी निवेश की आवश्यकता ही नहीं होगी| हमारे बाज़ार को हम विदेशी कम्पनियों के हाथों में सौंपकर इस देश को आर्थिक
गुलामी की ओर धकेलने पर हम क्यों तुले हुए हैं?
कालेधन व भ्रष्टाचार के कारण देश की अधिकांश पूंजी कुछ भ्रष्ट व
ताकतवर लोगों के पास जमा हो गई है| परिणामतः देश के अधिकांश लोग
गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई एवं अन्य आर्थिक व सामाजिक अन्याय व शोषण के
शिकार हो रहे हैं।
पत्र के साथ संलग्न पूरक पत्रक के माध्यम से हम आपसे अपेक्षा करते हैं
कि आप कालाधन वापस लाने व भ्रष्टाचार मिटाने कि प्रक्रिया को लेकर
पूरी प्रमाणिकता के साथ गंभीर व परिणामदायक प्रभावी कदम उठाएंगे
क्योंकि कालेधन, भ्रष्टाचार व व्यवस्था परिवर्तन के सभी मुद्दों पर
बड़े कानूनी निर्णय लेने का एक मात्र अधिकार हमारे संविधान ने केंद्र
सरकार को ही दिया है| यदि केंद्र सरकार इन मुद्दों पर तत्काल समग्रता
के साथ ठोस कदम नहीं उठाती है तो हम 3 जून को इन मुद्दों को लेकर
दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक सांकेतिक आन्दोलन करेंगे और यदि 3 जून को
भी सरकार ने देश कि जनता की न्यायोचित मांगों को अनसुना किया तो
देश-भक्त भाई-बहन अगस्त माह में दिल्ली व देश भर में अनिश्चित-कालीन
आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे| देश के करोड़ों लोग भीख नहीं मांग
रहे हैं, ये कालाधन वापस लाने की मांग करना व भूसम्पदाओं की लूट ख़त्म
करवाकर उसमे बराबरी का हक पाना, ये हमारा संवैधानिक व जन्मसिद्ध
अधिकार है|
लगभग 400 लाख करोड़ के कालेधन व लगभग 20 हजार लाख करोड़ की भूसम्पदाओं पर 121 करोड़ भारतीयों का समान अधिकार है| यदि
सरकार ने हमारा ये हक़ नहीं दिया तो ये न्याय की लड़ाई हम
लोकतान्त्रिक व अहिंसात्मक तरीके से लड़ेंगे तथा अगस्त माह में
अनिश्चित कालीन आन्दोलन व संघर्ष करेंगे जब तक केंद्र सरकार हमारे इन
मुद्दों पर न्यायपूर्ण सही फैसला नहीं करेगी| इससे पहले जो पत्र आपको
लिखा था उसमे कालाधन देश को दिलाने की प्रक्रिया को लेकर अत्यधिक
विस्तार था अतः इस बार समग्रता व संक्षेप में कालेधन की अर्थव्यवस्था
को समाप्त करने की प्रक्रिया को लेकर हम आपको एक पूरक पत्र भी प्रेषित
कर रहे हैं| यदि हमारी मांगें संवैधानिक, न्यायोचित, व्यवहारिक,
प्रमाणिक, तर्कसंगत, राष्ट्रहित व जनहित में जरूरी हैं (वैसे आपके 19
मई, 2011 के पत्र के अनुसार आप भी इन मुद्दों व मांगों को राष्ट्रहित
व जनहित में जरूरी मानते हैं) तो आप तत्काल इन मुद्दों के सन्दर्भ में
कारवाई करवाइये और यदि आंदोलन में हम मुद्दों व मांगो के आधार पर गलत
हैं तो बताइये|
अन्त में पुनः 121 करोड़ लोगों के हक व न्याय की इन संवैधानिक मांगों
पर आदरणीय प्रधानमंत्री जी से ईमानदारी से राष्ट्रधर्म
निभाने की अपेक्षा करते हैं| 10 मई को ये पत्र इसलिए लिख रहे हैं
क्योंकि इसी दिन 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम का प्रारम्भ हुआ
था| आजादी के संघर्ष में लगभग 7 लाख वीर-वीरांगनाओं ने अपनी कुर्बानी
व शहादत देकर हमें आजादी दिलवाई थी वो आजादी तब तक अधूरी है जब तक 121
करोड़ लोगों को आर्थिक व सामाजिक न्याय नहीं मिल जाता और हमें न्याय
तभी मिलेगा जब कालाधन देश को मिलेगा, भूसम्पदाओं की लूट खत्म होगी,
भ्रष्टाचार का खत्मा होगा तथा ये अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था बदलेगी|
राष्ट्रहित व जनहित में आपके सकारात्मक उत्तर की अपेक्षा के साथ आपको
पुनः प्रणाम!
स्वामी रामदेव
Share Your View via Facebook
top trend
-
१७ दिसंबर - चिदंबरम के विरुद्ध न्यायालय में डॉ. स्वामी ने दिए साक्ष्य
-
छत्तीसगढ़: नक्सलियों की रईसी का राज खुला, उद्योगपतियों और ठेकेदारों के गठजोड़
बस्तर में नक्सलियों के साथ उद्योगपतियों और ठेकेदारों के गठजोड़ और जबरिया वसूली के माओवादियों का व्यापक तंत्र पहली बार बेपर..
-
समुद्री तुफान पीडित बच्चों का घर : जसोदा सदन
नैसर्गिक आपदाएँ प्रस्थापित समाज जीवन को तहस-नहस कर देती है| लेकिन मनुष्य कुछ ही समय में समाज व्यवस्था पुन: कायम कर लेता है..
-
हम भूल गए शक्ति पूजा, मां दुर्गा की पूजा को शक्ति-पूजन भी कहा जाता है
मां दुर्गा की पूजा को शक्ति-पूजन भी कहा जाता है। राक्षसराज रावण पर विजय पाने के लिए स्वयं भगवान राम ने भी शक्ति-पूजा की थी..
-
बौद्ध चीन तो मर चुका है, इस चीन में साम्यवाद कि आत्मा है
चीन भारतीय सीमा पर सैन्य दवाब बनाने के साथ-साथ वहाँ पर बार-बार सीमा का अतिक्रमण करते हुए सैन्य व असैन्य सम्पदा की तोड़ फोड़..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)