" बात खरी है | बात ऐसी है जो देश की पुरानी पीढ़ी का हर कोई जानकार और निष्पक्ष नागरिक मानता है, और बोलता भी है | लेकिन इस बा..
राजीव भाई एवं बाबा रामदेव का किसानों पर प्रभाव रंग ला रहा है

स्व. भाई राजीव दीक्षित जी को याद करते हुए आई.बी.टी.एल बड़े ही
हर्ष के साथ यह बताना चाहता है की राजीव भाई की २५ वर्षों की मेहनत
रंग लाने लगी है | जैविक खेती की बातें गाँव ही नहीं शहरों तक चल
निकली हैं | आज कल रसायनों की १०० % बढती कीमतें वरदान ही है ये
कीमतें किसानों को जैविक खाद के प्रयोग के लिए जहाँ एक ओर आकर्षित
करेंगी वहीँ दूसरी ओर विवश भी करेंगी | जैसा की राजीव भाई ने बताया की
आज भारतीय किसान ०५ लाख करोड़ रूपये वार्षिक तक व्यय कर रहा है वहीँ
अगर किसान इन रसायनों का उपयोग नहीं करता तो वह १५०० करोड़ ही व्यय
करेगा |
आइ.आइ.टी स्नातक (ग्रेजुएट) राजीव भाई बाबा रामदेव के अभियान से जुड़े
एवं भारत स्वाभिमान आन्दोलन का संचालन किया था | राजीव भाई ने डी.ए.पी. का
प्रयोग न करते हुए जैविक खेती के लिए खाद का फ़ॉर्मूला बताया जो इस
प्रकार है : १५ किलो गाय का गोबर एवं समान मात्रा में ही गौ-मूत्र .
३-४ चार साला पुराना गुड़ जो पशु भी न खाते हों . पुराने पीपल के पेड़
के नीचे से ली हुई एक मुठ्ठी मिटटी (इसमें जीव पाए जाते हैं) . एक
किलो दाल और २० लीटर पानी का घोल बनाकर २० दिनों के लिए रख लें
पर्याप्त होगा |
ये फ़ॉर्मूला जैविक खेती के लिए वरदान जैसा है प्रथम वर्ष में किसान
रसायनों का प्रयोग न कर लाभ कमा सकते हैं एवं यह प्रतिवर्ष उत्पादन
क्षमता को बढ़ाता जाता है जिससे हमारे किसान भाइयों को दिन दुनी
रात-चौगुनी सफलता का अवसर प्राप्त होता है | इस फ़ॉर्मूला को हरयाणा .
पंजाब . झारखण्ड . कर्नाटक में प्रयोग में लाया जा रहा है |
आई.बी.टी.एल.
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