पेप्सी को कारोबार करने की अनुमति देते समय सरकार के साथ जो अनुबंध
हुआ उसकी प्रमुख शर्तें कुछ इस प्रकार थीं।
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स्वदेशी के प्रखर वक्ता अमर शहीद भाई राजीव दीक्षित का जीवन एवं कार्य

स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता, चिन्तक , जुझारू निर्भीक व सत्य को
द्रढ़ता से रखने की लिए पहचाने जाने वाले भाई राजीव दीक्षित जी 30
नवम्बर 2010 को भिलाई (छत्तीसगढ़ ) में शहीद हो गए | वे भारत
स्वाभिमान और आज के स्वदेशी आन्दोलन के पहले शहीद हैं | राजीव भाई
भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे | 1 दिसंबर
को अंतिम दर्शन के लिए उनको पतंजलि योगपीठ में रखा गया था | राजीव भाई
के अनुज प्रदीप दीक्षित और परमपूज्य स्वामीजी ने उन्हें मुखाग्नि दी |
परमपूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज व आचार्य बालकृष्णजी ने राजीव भाई के
निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है | संपूर्ण देश में 1 दिसंबर को ३
बजे श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया |
राजीव भाई के बारे में
राजीव भाई पिछले बीस वर्षों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय
उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे
| वे भारत को पुनर्गुलामी से बचाना चाहते थे | वे उत्तरप्रदेश के नाह
गाँव में जन्मे थे | उनकी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद में
हुयी उसके बाद 1984 में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहबाद गए | वे
सैटेलाईट टेलीकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे
लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़कर देश को विदेशी कंपनियों की लूट
से मुक्त कराने और भारत को स्वदेशी बनाने के आन्दोलन में कूद पड़े |
शुरू से वे भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान
क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे | बाद में जब उन्होंने गांधीजी को
पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए |
भारत को स्वदेशी बनाने में उनका योगदान
पिछले २० वर्षों में राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सीखा उसके
बारे में लोगों को जाग्रत किया | अँगरेज़ भारत क्यों आये थे, उन्होंने
हमें गुलाम क्यों बनाया, अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता,
हमारी शिक्षा और उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया|
इस पर विस्तार से जानकारी दी ताकि हम पुनः गुलाम ना बह सकें | इन बीस
वर्षों में राजीव भाई ने लगभग 15000 से अधिक व्याख्यान दिए जिनमें कुछ
हमारे पास उपलब्ध हैं| आज भारत में लगभग 5000 से अधिक विदेशी कंपनियां
व्यापार करके हमें लूट रही हैं| उनके खिलाफ स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत
की | देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी सूची की सूची तैयार करके
स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया| 1991 में डंकल प्रस्तावों के
खिलाफ घूम घूम कर जन जाग्रति की और रेलियाँ निकाली | कोका कोला और
पेप्सी जैसे पेयों के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की
|
1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कंपनी के शराब कारखानों
को बंद करवाने में भूमिका निभाई |1995-96 में टिहरी बाँध के खिलाफ
ऐतिहासिक मोर्चा और संघर्ष किया जहाँ भयंकर लाठीचार्ज में काफी चोटें
आई | टिहरी पुलिस ने तो राजीव भाई को मारने की योजना भी बना ली थी|
उसके बाद 1987 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात गाँधीवादी,
इतिहासकार धर्मपाल जी के सानिध्य में अंग्रेजो के समय के ऐतिहासिक
दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जाग्रत करने का काम किया | पिछले 10
वर्षों से परमपूज्य स्वामी रामदेवजी के संपर्क में रहने के बाद 9
जनवरी 2009 को परमपूज्य स्वामीजी के नेतृत्व में भारत स्वाभिमान
आन्दोलन का जिम्मा अपने कन्धों पर ले जाते हुए 30 नवम्बर 2010 को
छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में भारत स्वाभिमान की रन भूमि में शहीद हुए
|
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