लेख का शीर्षक उन कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादियों को नहीं भायेगा जो दिन में एक बार अमेरिका को गाली दिए बिना रह नहीं पाते हैं।..
कांग्रेस शासित असम में किसानों पर फायरिंग, 3 किसान मारे गए

असम के बेसिमारी इलाके में प्रदर्शनकारी किसानों की बेकाबू भीड़ पर
पुलिस ने गोलियां चलाई जिससे तीन किसानों की मौत हो गई है। पांच किसान
घायल बताए जाते हैं। किसान जूट की ऊंची कीमत मांग रहे थे।
समाचार चैनल टाइम्स नाउ के मुताबिक असम के बेसिमारी इलाके में किसान
जूट का न्यूनतम मूल्य बढ़ाने की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे थे।
किसानों ने नैशनल हाईवे जाम कर दिया था। पुलिस किसानों को सड़क से
हटाकर हाईवे खाली कराने की कोशिश कर रही थी। इसी दौरान पुलिस और
किसानों के बीच झड़प शुरू हो गई। पुलिस ने किसानों पर फायरिंग की
जिसमें कम से कम तीन किसानों की मौत हो गई। पांच किसानों को जख्मी
हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
Share Your View via Facebook
top trend
-
अमेरिका से सीख ले भारत
-
आसमान से धरती पर आया समंदर, धूमकेतु अपने साथ हजारों टन बर्फ लेकर आया
पेरिस, एजेंसी : सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन नेचर जर्नल में छपे शोध के अनुसार दुनिया पर मौजूद समुद्र का ज्यादातर ..
-
जस्टिस आफ़ताब आलम को गुजरात दंगो की सुनवाई और गुजरात मामलो से अलग रखने की मांग
गुजरात उच्च न्यायलय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा गुजरात के पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति एस एम् सोनी ने भारत के मुख्य न्या..
-
राष्ट्रपति पद को लेकर उलझे कांग्रेसी, कलाम जैसे सर्वमान्य अराजनीतिक व्यक्ति से चिढ़ क्यों?
देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को लेकर वोट बैंक गणित में उलझे कांग्रेसी कलाम जैसे सर्वमान्य अराजनीतिक व्यक्ति से संप्रग को..
-
बदलता बिहार एवं बदलता बिहारी युवा
एमबीए की शिक्षा लेने वाले ज्यादातर युवाओं का लक्ष्य बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में अच्छी नौकरी और मोटा वेतन पाना होता है। ले..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)