नई दिल्ली। दिल्ली में शुक्रवार को आयोजिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव ने कहा कि 1 मई से मैं छत्तीसगढ़ और अन्ना हजारे..
संघ के वनवासी कल्याण आश्रम का उज्जैन में अनूठा आयोजन... आखिर RSS करता ही क्या है?
हाल ही में उज्जैन (मप्र) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठनों, वनवासी कल्याण परिषद तथा वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में तीन दिवसीय सम्मेलन संपन्न हुआ. इस विशाल सम्मेलन में देश के लगभग सभी राज्यों के 8000 वनवासी बंधुओं ने इसमें भाग लिया. वनवासी कल्याण आश्रम के इस समागम में त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश से लेकर अंडमान और लक्षद्वीप से भी आदिवासी मित्रों ने हिस्सा लिया. इस सम्मेलन का उदघाटन उदबोधन संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने दिया, जबकि समापन संबोधन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दिया.
संघ प्रमुख ने लगातार प्रयास करने की हिदायत देते हुए अमेरिका के खोजकर्ता कोलंबस और अंडे का प्रसिद्ध किस्सा सुनाया, जिसमें स्पेन का राजा अन्य विद्वानों से कहता है कि “आप लोगों और कोलंबस में यही फर्क है कि आप कहते हैं कि “यह नहीं हो सकता और कुछ भी नहीं किया, जबकि कोलंबस ने प्रयास किया और वह अंडे को सीधा खड़े रखने में कामयाब हुआ...” इसलिए इस सम्मेलन में कार्यकर्ताओं ने जो देखा-सुना-समझा-सीखा उसे भूलना नहीं है, काम करके दिखाना है. वनवासी बड़े भोले, निश्छल और ईमानदार होते हैं, क्या कभी किसी ने सुना है कि किसी वनवासी ने गरीबी या मानसिक तनाव की वजह से आत्महत्या की हो?
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में वनवासियों को जमीन के पौने दो लाख पट्टे बांटे गए हैं, वनोपज की खरीद भी सरकार समर्थन मूल्य पर कर रही है, ताकि जनजातीय लोगों को सही दाम मिल सकें. चौहान ने आगे कहा कि प्रदेश की सरकार ने “धर्मान्तरण विरोधी क़ानून बनाकर केंद्र को भेज दिया है, लेकिन वह केंद्र में अटका पड़ा है, जिस कारण सुदूर इलाकों में प्रलोभन द्वारा धर्म परिवर्तन की गतिविधियाँ चल रही हैं. प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित क़ानून में धर्म परिवर्तन से पहले जिले के एसपी को आवेदन देना होगा, जिसकी जांच होगी कि कहीं धर्म परिवर्तन जोर-जबरदस्ती से तो नहीं हो रहा, तस्दीक होने पर ही कोई व्यक्ति अपना धर्म बदल सकेगा.
इस समागम में प्रमुख रूप से दो प्रस्ताव पारित किये गए –
१) भूमि अधिग्रहण क़ानून १८९४ को बदलने के लिए लाये गए भूमि अधिग्रहण व पुनर्वास क़ानून २०११ में संशोधन होना चाहिए, इसमें शहरी क्षेत्र में ५० एकड़ तथा ग्रामीण क्षेत्र में १०० एकड़ जमीन के अधिग्रहण को ही दायरे में लाने का प्रस्ताव वापस लिया जाए, तथा पूरे देश में एक सामान भूमि सुधार को लागू किया जाए.
२) खान व खनिज विधेयक २०११ में देश की सभी इकाइयों पर देय कर चुकाने के बाद बचे हुए लाभ का २६% हिस्सा विस्थापितों को चुकाने का प्रावधान होना चाहिए.
वनवासी कल्याण आश्रम के समाज कार्यों में अपना सम्पूर्ण जीवन देने वाले मैकेनिकल इंजीनियर श्री अतुल जोग ने बताया कि २० वर्ष पूर्व संघ ने उन्हें पूर्वोत्तर के राज्यों में वनवासी कल्याण परिषद का काम सौंपा था, उस समय इन सात राज्यों में हिंदुत्व का कोई नामलेवा तक नहीं था. परन्तु आज वहां लगभग साढे चार हजार बच्चे वनवासी कल्याण आश्रम में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, आज पूर्वोत्तर के कोने-कोने में हमारा कार्यकर्ता मौजूद है. पिछले माह चीन से लगी सीमा के गाँवों में अतुल जोग ने १२०० किमी की सीमान्त दर्शन यात्रा का आयोजन किया था और हजारों वनवासियों को भारत की संस्कृति के बारे में बताया, इस यात्रा की गूँज दिल्ली और पेइचिंग तक सुनी गई.
इस विशाल जनजाति सम्मेलन की कई प्रमुख विशेषताएं रहीं, जैसे –
# देश भर की विभिन्न जनजातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए...
# उज्जैन के १२०० परिवारों ने अपने घर से स्वादिष्ट भोजन साथ लाकर इन वनवासियों के साथ भोजन किया...
# अरुणाचल और अंदमान के सुदूर इलाकों से आने वाले प्रतिनिधियों को उज्जैन पहुँचने में पांच दिन लगे,
लेकिन उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान थी...
आप में से कई लोगों ने, कई बार आपसी चर्चा में पढ़े-लिखे “अनपढ़ों” द्वारा दिया जाने वाला यह वाक्य जरूर सुना होगा कि “आखिर RSS करता ही क्या है?” वास्तव में उन “अनपढ़ों” की असली समस्या यही है कि वे मैकाले की शिक्षा से प्रेरित, “सेकुलरिज्म” के रोग से ग्रस्त हैं, जिनके दिमागों को पश्चिमोन्मुखी मीडिया और हमारी विकृत शिक्षा पद्धति ने बर्बाद कर दिया है...
वास्तव में जो लोग संघ को या तो दूर से देखते हैं या फिर “हरे” अथवा “लाल” चश्मे से देखते हैं, वे कभी भी समझ नहीं सकते कि संघ के समर्पित कार्यकर्ता क्या-क्या काम करते हैं. जब-जब देश पर कोई संकट या प्राकृतिक आपदा आई है, बाकी लोग तो घरों में घुसे रहते हैं, जबकि सबसे पहले संघ के कार्यकर्ता हर जगह मदद हेतु तत्पर रहते हैं. उज्जैन में संपन्न हुए वनवासी कल्याण आश्रम के इस कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिनिधियों की ज़बानी जब हम पूर्वोत्तर के राज्यों की भीषण सामाजिक स्थिति और वहां चल रही मिशनरी गतिविधियों के बारे में सुनते-जानते हैं तो हैरत होती है कि आखिर भारत सरकार कर क्या रही है? इस समागम कार्यक्रम के अंत में वनवासी आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेवराम उरांव द्वारा भी मार्गदर्शन दिया गया.
— सुरेश चिपलूनकर (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं) ...
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