भानुमती नरसिम्हन, एक परिचय : आर्ट ऑफ लिविंग

Published: Sunday, Oct 21,2012, 15:53 IST
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Bhanumati Narsimhan, an Introduction, Carefor-Children program, underprivileged rural children, rural Bangalore, HIV/AIDS Awareness, Weaver-to-Wearer project, The Art of Living Foundation, since 1981, Sahaj Samadhi Meditation, आर्ट ऑफ लिविंग

भानुमती नरसिम्हन ने आरंभ से आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन में महत्व की भूमिका निभाई है। १९८१ में श्री श्री रवि शंकर द्वारा स्थापित आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन तनाव प्रबंधन तथा सेवा प्रस्तावों से संलग्न एक लाभ-निरपेक्ष, शैक्षणिक और मानवतावादी NGO (गैर-सरकारी संस्थान) है। संस्था विश्व भर में १५१ देशों में कार्यरत है। श्री श्री रवि शंकर, उनके भाई व मार्गदर्शक, हमेशा से उनके लक्ष्य व प्रोत्साहन के स्त्रोत रहे हैं।

In English : Bhanumati Narsimhan, an Introduction...
भानु "केर-फॉर चिल्ड्रन" कार्यक्रम, जो शोषित ग्रामीण बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करता है; को स्थापित करने में सहायक रहीं हैं। इस कार्यक्रम पर आधारित प्रथम विद्यालय १०८१ में ३० विद्यार्थियों से ग्रामीण बंगलूर में शुरू हुआ। आज, ३० वर्षों के बाद, भारत के १९ राज्यों में १७५ विद्यालय २४००० से भी अधिक बालकों को शिक्षित कर रहे हैं। ये विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा एवं स्त्री सशक्तिकरण पर केन्द्रित हैं।


१९९७ में भानु सुविधाहीन महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक स्वावलंबन प्रदान करने के ध्येय से स्थापित पहलकदमी VISTA India (वेल्यु इंटिग्रेटेड सर्विसेस टू ओल) की स्थापित सदस्या थीं। ये परियोजना आर्ट ऑफ़ लिविंग फौन्डेशन के अंतर्गत प्रारंभ की गई, और इस ने भारत की ८,००० से भी अधिक महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता, एवं आत्म-विकास प्रदान किया है।

प्रशिक्षण के एक भाग स्वरूप, महिलाओं को ऐसे कार्यक्रमों का परिचय भी करवाया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य - विज्ञान तथा महिलाओं के स्वास्थ्य की वृद्धि करें।

श्री श्री विमेंस एम्पावरमेंट प्रोग्राम VISTA के ही तुल्य एक और पहलकदमी है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में अल्पाधिकारप्राप्त महिलाओं की आवश्यकताओं को परिपूर्ण करती है। फ़िलहाल इसके दो केंद्र परिचालित हैं - एक तो तमिल नाडू के ग्रामीण क्षेत्र में एवं दूसरा बंगलूर के बाह्य क्षेत्र में। महिलाएँ विभिन्न व्यावसायिक कैशल, जैसे सिलाई, मोमबत्ती बनाने, अगरबत्ती उत्पादन, समान पैक करने के कार्य में, क्रय-विक्रय तथा अन्य कौशलों में प्रशिक्षित की जातीं हैं; ताकि वे आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बन सकें।

भानु ने एच.आई.वी / एड्स के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के किए HARA (HIV/AIDS Awareness in Rural Areas) परियोजना आरंभ की। युवा स्वयं सेवक योग्यता प्राप्त चिकित्सीय डॉक्टर द्वारा इस क्षेत्र की प्रशिक्षा लेते हैं और ग्रामीण इलाकों में जानकारी फैलाते हैं। सन २००९ से भारत में सर्वत्र ४०,००० व्यक्तियों ने इस पहलकदमी का लाभ उठाया है।

पारंपरिक कला और संस्कृति के समर्थन में, भानु ने विवर-टू विवर परियोजना प्रारंभ की है।
इस परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के पारंपरिक कला में कुशल कारीगरों को पहचान कर उन्हें
विश्व भर के ग्राहकों के साथ सम्बद्ध किया जाता है।

भानु ने सन २००५ से चार अंतर्राष्ट्रीय स्त्री नेतृत्व सम्मेलनों का आयोजन व अध्यक्षा के रूप में संचालन किया है। ये सम्मेलन स्त्री अग्रणियों को अपनी सफलता बाँटने तथा विकट परिस्थितियों में एक दुसरे को प्रेरित करने का मंच प्रदान करती है। भानु विभिन्न संगोष्ठियों द्वारा अलग-अलग देशों के लोगों को साथ में ला कर उन्हें मानवतावादी परियोजनाओं पर मार्ग दर्शन करने में सहायक रहीं हैं।

भानु सहज समाधि ध्यान सिखातीं हैं और उन्होंने विश्व भर के हजारों लोगों को इस की दीक्षा दी है। वे एक गुणी गायिका हैं, भक्तिमय भजन, और श्लोकों के उनके कई एल्बम सारे विश्व में लोगों द्वारा सुने जाते हैं, चाहे वे किसी भी राष्ट्रीयता के हों। बंगलूर यूनिवर्सिटी से संस्कृत साहित्य की स्नातक हैं। वे विवाहित व दो पुत्रों की माता हैं, तथा वे बंगलूर, भारत में रहतीं हैं।

आर्ट ऑफ लिविंग

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