भारतीय प्रेस परिषद के नये अध्यक्ष जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने भारतीय इलेक्ट्रानिक एवं प्रिण्ट मीडिया को सरेआम लताड़ते हुए ..
जाँत-पाँत पर, ऊँच-नीच पर तोड़-तोड़ कर, परम्पराओं को, पुराणों को मोड़-मोड़ कर,
पश्चिमीकरण की अखिल भारतीय आंधी चला, स्वदेशी को गाँधी की सती बना, चिता जला,
नर-पिशाच वो खडे आज पहन खादी हो गये, हम हिन्दू अब आतंकवादी हो गये ...
जिसके प्रतिष्ठा को लड़े-भिड़े, हुएँ खेत शिवाजी, जिसके लिए महाराणा हुएँ घास खाने को राजी,
जिस लिए पृथ्वीराज ने नृपता त्यागी,वैभव खोया, उस सनातन धर्म के विनाश का गया आज विष-बीज बोया,
पटेल की कुर्सी पर काबिज कैसे जयचंदवादी हो गये, हम हिन्दू अब आतंकवादी हो गये...
विश्व-शरणार्थी आतंकित पारसियों को दिया अभयदान, तिब्बतियों ने पाया यहीं विश्व भर घूम जीवन स-सम्मान,
दे कोटि बलिदान विदेशी गुलामी को जैसे-तैसे रोका, फिर एक विदेशी बहू को सत्ता सहर्ष-निशंक सौपा,
उसी उदारता के हम अपराधी हो गये, हम हिन्दू अब आतंकवादी हो गये...
हिन्दुस्तान है देश तो हिन्दू इसकी कौम है, शामिल सनातन वाले भी, इसाई औ' मुसलमाँ है,
हिन्दू यदि आतंकवादी तो फिर तुम कौन हो, पूछता सारा भारत है, अब क्यों साधते मौन हो,
कलंकित हम आज पूरे 125 करोड आबादी हो गये, हम अब पूरे एक देश आतंकवादी हो गये...
हम हिन्दू अब आतंकवादी हो गये... हम हिन्दू अब आतंकवादी हो गये...
लेखक : अभिनव शंकर । ट्विटर पर जुडें twitter.com/abhinavshankar1 | बिना सूचना एवं अनुमति के कॉपी न करें ...
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