हर अच्छी किताब पढऩे के कुछ फायदे हैं। यदि बारीकी से शब्दों को पकड़ेंगे तो हम पाएंगे किताब में चार संदेश जरूर होते हैं। कैस..

आज हम हमारी संसद के 60 वर्ष पूर्ण होने का जश्न मना रहे है, भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है। जहाँ आजादी के बाद हमारे पड़ोसी देशों में निरंकुश व सैन्य शक्ति के सामने लोकतंत्र ने दम तोड़ दिया वहीं भारत में प्रतिकुल परिस्थितयों में भी लोकतंत्र ने अपनी मजबूती बनाये रखी। जैसे-जैसे हम आगे बढते गये हमारा लोकतंत्र भी मजबूत होता गया। इतनी विषमताओं के बावजूद भी मारत में लोकतांत्रिक प्रणाली निशपक्ष है इसमें सभी वर्गों व समाज की भागीदारी है। भारती लोकतंत्र की मजबूती का लोहा आज संपूर्ण विश्व मानता है लेकिन जिस प्रकार सिक्के दो पहलू होते है उसी प्रकार सफलता के दो पहलू होते है सकारात्मक व नकारात्मक और सफलता को सुदृढ बनाने के लियें ये आवश्यक है कि हम अपने नकारात्मक पहलुओं की खुली चर्चा करके इसके समाधान का उपाये करें यहीं जनतंत्र की विशेषता भी है।
जैसे जैसे देश में लोकतंत्र मजबूत होता गया वैसे वैसे वंशवाद ने भी अपने जड़े मजबूती से जमा ली। जब देश में क्षेत्रीय व जाति आधारित पार्टियों का वर्चस्व बढा तो इसने वंशवाद की बेल को और मजबूती प्रदान की।
लोहिया ने भारत में समाजवाद के धारा का प्रवाह किया वह जाति व वंशावली आधारित राजनीति को भारत से हटाना चाहते है थे लेकिन उनके दुनिया से जाने के बाद उनके ही समर्थकों ने उलटी गंगा बहानी शुरु कर दी। हाल में ही उत्तर प्रदेश का चुनाव संपन हुआ है और समाजवादी पार्टी ने अखिलेश के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत हासिल किया है। अखिलेश को सत्ता की विरासत उऩके पिता मुलायम सिंह यादव से मिली है ये हो सकता है कि अखिलेश अच्छे नेता साबित हों लेकिन क्या पार्टी में और कोई योग्य नेता नहीं था जिस को कमान सौपी जा सकती थी। महाराष्ट्र में भी एक वक्त था जब राज ठाकरे में बाला साहेब ठाकरे की परिछांई दिखती थी लेकिन जब पार्टी का कमान सौपने के बारी आई तो बाला साहेब ने अपने खून पर ज्यादा विश्वास दिखाया और उद्धव को पार्टी का कमान सौंप दिया। तमिलनाडु में करुना नीधि ने का परिवार सभी प्रमुख पदों पर काबिज था। यही हाल लगभग सभी दलो का है।
पंजाब में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को उपमुख्यमंत्री पद व पार्टी अध्यक्ष के लिए अपने बेटे सुखवीर सिंह बादल से योग्य व्यक्ति नहीं मिला। उड़ीसा में बीजु पटनायक को अपने पुत्र नवीन पटनायक में ही नेतृत्व के सारी क्षमता ऩजर आयी तो जन्मू-कश्मीर में फारुक अब्दुला को उमर अब्दुला ही सियासी दावं पेच में सबसे अवल ऩजर आये। कमोबेश यही हाल लगभग सभी पार्टियो का है इनको अपने खून व अपने सगे संबंधियो में सभी खूबिया ऩजर आती है जिसका दामन देखो वही दागदार ऩजर आता है। अपवाद के रुप में दक्षिणपंथ की भारतीय जनता पार्टी व वामंपथ की पार्टियां है जो कुछ हद तक इनसे दूर है। लेकिन इन दलों में भी वंशवाद ने अपने जड़ो को फैलाना शरु कर दिया है। हांलाकि यहां राजनेताओं के पुत्र, सगे संबंधियों का राजनीति में आने का कोई विरोध नहीं है बशर्ते यह योग्यता के आधार पर हो न कि व्यवसायिक वंश परंपरा पर आधारित हो।
अगर वंशवाद का दंश इसी प्रकार फैलता रहा तो यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को दूषित व विषैला बना देगा। सफल जनंतत्र का मूल मंत्र ही यही है कि इसमें सभी को योग्यता के आधार पर आगे आने का मौका मिलना चाहिए। अगर वंशवाद के इस बेल अभी बढ़ने से नहीं रोका गया तो भारत पर कुछ परिवार विशेष का अधिकार हो जायेगा।
वंशवाद को जड़ से उखाड़ फैकने के लिए दृढ राजनैतिक इच्छा शक्ति के साथ जरुत है समाज को जागरुक होने की। यहां जितनी जिम्मेदारी राजनैतिक दलों की है उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदारी हमारी बनती है कि हम किस प्रकार दृढ इच्छा शक्ति के साथ भारत को वंशवाद के इस जाल से मुक्त कराते है। आखिरकार लोकतंत्र जनता का, जनता पर, जनता के द्वारा किया गया शासन है। अगर हम दृढ निश्चय कर ले कि हम जाति, धर्म व क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर अपने नेता का चुनाव करेगें तो कोई भी राजनैतिक दल चाह कर भी हमारे ऊपर इस विषैले वंशवाद को नहीं थोप सकता है।
Share Your View via Facebook
top trend
-
जीने का सही तरीका सिखाती है महाभारत, यानी आर्ट ऑफ लिविंग, कैसे रहें, जीवन की क्या परंपराएं हैं
-
जेटली और सुषमा की तबीयत बिगड़ी
आडवाणी की जनचेतना रथयात्रा की शुरुआत बीजेपी के लिए अच्छी नहीं रही। रथयात्रा के पहले ही दिन सिर्फ 2 घंटे की यात्रा के दौरान..
-
अग्नि-5 की सफलता से पूर्व ही, 8 हजार किमी तक मार करने वाली अग्नि-6 का कार्य प्रारंभ!
नई दिल्ली। अग्नि-5 की सफलता के पश्चात अब भारतवर्ष जल्द ही अग्नि-6 मिसाइल को विकसित करने के अपने अभियान को आगे बढ़ा..
-
मैं सेकंड हैंड किताबें लेकर पढ़ता था और कक्षा में पहले नंबर आता था
बाबा रामदेव को गाते हुए, मौज-मस्ती करते हुए, डांस करते हुए आप देखना चाहते हैं तो इस शुक्रवार को प्रसारित होने वाला सारेगाम..
-
70 के दशक में चीन बनाना चाहा तो 80 के दशक में अमेरिका और 2010 के बाद ब्राजील बनाने की ख्वाहिश
17 मई, 2012 को कोटा (राजस्थान) के घोड़े वाले बाबा चैराहा स्थित टीलेश्वर महादेव मंदिर के सभागार में राष्ट्रीय स्वाभिमान आ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)