फरीदाबाद से जाने वाले दल का विवरण : आशीष गौड़, तुषार त्यागी, दिनेश शर्मा, प्रदीप सिंह, विपिन व..
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वैज्ञानिक और स्वच्छता का प्रतीक है: शीतला माता पूजा
0बसंत अब लगभग बिदाई की ओर है | होली के बाद अब गर्मी की मौसम की भी शुरुआत होने लगी है| इसके साथ ही अब रोज की दिनचर्या में भी परिवर्तन आना शुरू हो जाता है| इसी प्रकार की बातों को ध्यान में रखते हुए ही हमारे बुजुर्गो ने त्योहारों को जन्म दिया | इन्ह..
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दैनिक योग का अभ्यास क्रम, स्वस्थ जीवन के लिए
एक-एक योग की प्रक्रिया और एक-एक जड़ी-बूटी पर हमारे पूवर्जों ने, ऋषि-मुनियों ने करोड़ों-लाखों व हजारों वर्षों तक निरन्तर शोध व अनुसंधान किया तथा उस जड़ी-बूटी से होने वाले लाभों के बारे में हमें बताया।
प्रारम्भ : ती.. -
होली, स्वास्थ्य एवं विज्ञान : होलिकोत्सव पर विशेष
भारतीय संस्कृति त्योहारों की संस्कृति है जो की विश्व की प्राचीन संस्कृति मानी जाती है| अपनी संस्कृति में सिर्फ मानव जीवन को ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे, जीव जंतु सभी को सम्मान दिया गया है, जिसका उदाहरण भारत में गाय को ‘गौमाता’ एवं तुलसी ..
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रंगभरी एकादशी, श्री काशी विश्वनाथ जी द्वारा आशीर्वाद पाने का पर्व
फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है | इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और काशी में होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है | प्रतिवर्ष श्री काशी विश्वनाथ का भव्य श्रृंगार रंगभरी एकादशी, दीवाली के बाद अन्नकूट तथा महा शिवरात..
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होली पर निर्भीक ब्रज का रंग : बरसाने की लठामार होली
गीतों में भगवान से अफसर तक सभी को सुनाते हैं खरी-खरी : ब्रज की विश्व प्रसिद्ध लठामार होली शुक्रवार को राधारानी के गांव बरसाने में मनाई गई! होली के लिए बरसाने के श्रीजी लाड़ली मंदिर में नंदगांव के गोस्वामी समाज के लोग परंपरागत आमंत्रण लेकर बुधवार..
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भारतीय संस्कृति का प्रतीक 'नमस्कार' एवं इसके आध्यात्मिक लाभ
१.नमस्कार के लाभ
२. मंदिर में प्रवेश करते समय सीढियों को नमस्कार कैसे करें ?
३. देवता को नमन करने की योग्य पद्धति व उसका आधारभूत शास्त्र क्या है ?
४. वयोवृद्धों को नमस्कार क्यों करना चाहिए ?
५. किसी से मिलने पर हस्तां.. -
मुद्रा एक सरल और सह आध्यात्मिक उपाय - सुश्री तनुजा ठाकुर
समाज के 100% व्यक्ति को आज अनिष्ट शक्तियों (सूक्ष्म आसुरी शक्ति) द्वारा कष्ट है, ऐसे कष्ट के उपाय हेतु योग्य प्रकार से साधना की आवश्यकता होती है अन्यथा वर्तमान जन्म ही नहीं अपितु कई जन्म अनिष्ट शक्ति के नियंत्रण में निकल जाता है| अनिष्ट शक्तियो..
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नाम संकीर्तन योग कलियुग के लिए सर्वोत्तम साधना क्यों है ? - वंदे मातृ संस्कृति
कलिकाल में साधारण व्यक्ति की सात्त्विकता निम्न स्तर पर पहुँच गयी है ऐसे में वेद उपनिषद् के गूढ़ भावार्थ को समझना क्लिष्ट हो गया है। अतः ज्ञानयोग की साधना कठिन है। वर्तमान समय में लोगों के पास दस मिनट पूजा करने के लिए भी समय नहीं होता अतः अनेक वर्ष..
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कामना से रहित तेजस्वी राजा छत्रपति शिवाजी : वंदे मातृ संस्कृति
महाराष्ट्र-सिरमौर छत्रपति शिवाजी के एक वीर सेनापति ने कल्याण का किला जीता। काफी अस्त्र-शस्त्र के अलावा अटूट संपत्ति भी उसके हाथ लगी। एक सैनिक ने एक मुगल किलेदार की परम सुंदर बहू उसके समक्ष पेश की। वह सेनापति उस नवयौवना के सौन्दर्य पर मुग्ध हो गया ..
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युद्धभूमि में गीता सुनाने के लिए इतना समय मिलना संभव है क्या?
कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्..
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जैसा अन्न वैसा मन : सात्त्विक भोजन से सात्त्विकता स्वतः बढ़ेगी
आप क्या खाते पीते हो? आप ऐसी चीज खाते-पीते हो जिससे बुद्धि विनष्ट हो जाय और आपको उन्माद-प्रमाद में घसीट ले जाय? आप अपेय चीजों का पान करेंगे तो आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जायेगी । भगवान का चरणोदक या शुद्ध गंगाजल पियेंगे तो आपके जीवन में पवित्रता आयेगी ।..
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संतों के श्राद्ध क्यों नहीं किये जाते हैं ?
इस विषय को समझने के लिए सर्वप्रथम हम यह जान लेते हैं कि मृत्यु के पश्चात क्या होता है ? सर्वप्रथम हम अध्यात्म शास्त्र अनुसार मानव शारीर की संरचना लेते हैं | अध्यात्मशास्त्र अनुसार आत्मा के साथ मानव शरीर के चार भाग होते है - पहला है स्थ..
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आजकल हम जन्मदिन किस प्रकार मनाते हैं ?
पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करने के युग में हम अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं मनोबल को इतना अधिक गिरा चुके हैं की उन्हें उठने में और हमारा विश्वास जीतने में न जाने कितने युग बीत जायें कहा नहीं जा सकता ... हमारी वर्तमान संस्कृति में अधकचरापन आ गया है &..
top trend
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सरहद को प्रणाम, फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी की पहल
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हवाई अड्डे का विकास या ऐतिहासिक धरोहरों का विनाश? पहले गांववासियों को उजाड़ा, अब मंदिरों पर कब्जा
क्या महात्मा गांधी की समाधि को दिल्ली से गांधी नगर या जवाहरलाल नेहरू की समाधि को इलाहाबाद ले जाया जा सकता है? यदि नहीं त..
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आजकल हम जन्मदिन किस प्रकार मनाते हैं ?
पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करने के युग में हम अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं मनोबल को इतना अधिक गिरा चुके हैं की उन्हें उठने ..
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दिग्विजय का अन्ना पर सबसे तीखा वार! साथ पागलखाने चलने की सलाह
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर अन्ना हजारे पर तीखा हमला बोला है। अन्ना हजारे को मानसिक संत..
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स्टिंग, सीडी, साज़िश, सज़ा और सियासत - पंकज झा
कांग्रेस सांसद के सीडी की आंच अभी मंद भी नहीं हुई थी कि भाजपा से संबंधित एक पुराना सीडी प्रकरण चर्चा के केन्द्र में है। ..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
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सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
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नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
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न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
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पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
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कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
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मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
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भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
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२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
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वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
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चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
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समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
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विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
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सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
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