राहुल से नहीं थी उम्‍मीद, प्रियंका पर दांव लगाना चाहती थी कांग्रेस

Published: Monday, Sep 05,2011, 15:04 IST
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एक अमेरिकी केबल की मानें तो छह साल पहले तक कांग्रेस और गांधी परिवार में प्रियंका गांधी को राहुल गांधी से ज्‍यादा तेज तर्रार माना जाता था।

अमेरिकी राजनयिक रॉबर्ट ओ ब्‍लेक ने 2005 में राजनीतिक विश्लेषक और समीक्षक सईद नकवी से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट भेजी थी। नकवी ने कहा था कि राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी उनके मित्र थे और वह गांधी परिवार के शुभचिंतक हैं। लेकिन बकौल नकवी, कांग्रेस की भीतर की खबर रखने वाले और सोनिया गांधी के बेहद करीबी लोग यह मानते हैं कि राहुल गांधी कभी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। उनकी राय में इसमें राहुल का व्‍यक्तित्‍व आड़े आएगा।

ब्‍लेक ने नकवी से बातचीत के आधार पर तब लिखा था कि राहुल को कांग्रेस ने जो जिम्‍मेदारी दी थी, उसे लेकर राहुल ने पार्टी को नाउम्‍मीद ही किया था।  नकवी के मुताबिक राहुल गांधी ने अमेठी में दिखने के सिवाए उत्तर प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया है और यूपी के लोगों पर भी उनका कोई असर नहीं है। इससे कांग्रेसियों का उत्साह कम हो रहा है और ऐसी संभावना कम ही बन रही है कि कांग्रेस प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनकी समाजवादी पार्टी को निकट भविष्य में सत्ता से बाहर कर पाएगी।

नकवी ने यह भी कहा कि गांधी परिवार हमेशा से इस बात पर जोर देता रहा था कि प्रियंका गांधी राजनीति में आएं क्योंकि उन्हें ज्यादा समझदार और दक्ष माना जाता है। सोनिया गांधी के बारे में नकवी ने कहा कि वह भी भारतीय माओं की तरह अपने बेटे के लेकर चिंतित रहती हैं। नकवी ने यह भी अनुमान लगाया कि सोनिया गांधी ने अपने ही फैसले के विरुद्ध जाकर राहुल गांधी को अपना उत्तराधिकारी चुना।

नकवी का यह भी कहना था कि गांधी परिवार में अब कोई भी ऐसा नहीं बचा जिसकी शख्सियत करिश्माई हो। इंदिरा गांधी परिवार की अंतिम प्रभावशाली नेता थीं और यदि उनकी हत्या नहीं हुई होती तो राजीव गांधी भी दोबारा नहीं चुने जाते। नकवी ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस में यह आम धारणा है कि राहुल गांधी की राजनीतिक क्षमता अपने पिता राजीव गांधी से बेहद कम है।

ब्‍लेक ने नकवी से बातचीत के आधार पर लिखे गोपनीय संदेश के अंत में अपनी ओर से टिप्‍पणी भी की थी। इसमें उन्‍होंने लिखा कि नकवी ने जैसी तीखी टिप्‍पणी की, अभी तक हमने उतनी तीखी टिप्पणी नहीं सुनी है। जबकि हमारे कांग्रेस के संपर्क हमेशा ये कहते रहे हैं कि सोनिया गांधी एक दूरदर्शी नेता हैं। हालांकि राहुल गांधी के बारे में ऐसी अच्छी टिप्पणी करने वाले कांग्रेसी कम ही हैं। अपने राजनीतिक साथियों के विपरीत राहुल गांधी दिल्ली के सामाजिक परिदृश्य से भी गायब रहते हैं।राहुल गांधी से हम बहुत कम ही बार मिले हैं लेकिन हर बार वो हमेशा लो प्रोफाइल ही दिखते हैं और स्वयं को अपने करीबी मित्रों तक ही सीमित रखते हैं।

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