चौंकिए मत, यह सच है. बुंदेलखण्ड के जनपदों के तकरीबन सभी कस्बों में 'इंसानों की मंडी' लगती है, जहां सूखे और बेरोजगारी से पस..
फिर सामने आया उमर अब्दुल्ला का देश-धर्म विरोधी रवैया, तीर्थयात्रियों को बंदी बनाएगी सरकार?
पहले तिरंगा लेकर चलने वाले भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को
बंदी बना कर उन पर लाठियाँ बरसाने वाले और संसद में विपक्ष के नेताओं
को गणतंत्र दिवस पर तिरंगा उठाने के "अपराध" के चलते बंदी बनाने वाले
जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान परस्त मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की
कारगुजारियाँ जारी हैं। फरवरी में हमने समाचार प्रकाशित किया था कि
किस प्रकार सरकार ने अमरनाथ यात्रा को २ महीने की जगह केवल ३९ दिन तक
सीमित करने के आदेश दिए हैं ताकि इस्लामिक कट्टरपंथियों की दृष्टि में
कांटे की तरह चुभने वाला "काफिर" आयोजन कम किया जा सके। इसके विरोध
में जागरूक हिन्दू संगठनों ने कमर कस ली थी।
विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल ने स्पष्ट आह्वान किया कि अमरनाथ
भारत भूमि का अभिन्न अंग है और वे जब चाहे वहाँ जा सकते हैं। उन्होंने
२५ जून की सरकारी दिनांक के बजाए ३ जून से ही यात्रा आरम्भ करने के
संकल्प लिया। परन्तु अलगाववादियों से गलबहियां करने वाले और इस्लामिक
कट्टरपंथियों के हाथों में खेलने वाले पाकिस्तान परस्त अब्दुल्ला
खानदान के चिराग उमर से यह सहन नहीं हुआ।
उमर सरकार ने तीर्थ-यात्रियों को प्रदेश की सीमा पर ही गिरफ्तार करने
का निर्णय लिया है, जिस प्रकार सुषमा स्वराज और अरुण जेटली को जम्मू
कश्मीर में दाखिल होते ही बंदी बना लिया गया था। उन्हें लखनपुर में
बंदी बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए पंजाब सरकार से भी बात की
जाएगी, हालांकि पंजाब भाजपा-अकाली शासित राज्य है, उनसे उमर सरकार के
इस्लामिक तुष्टिकरण के मंसूबों में किसी प्रकार के सहयोग की अपेक्षा
नहीं है।
भाजपा ने पहले ही इस पर अपना प्रखर विरोध प्रकट किया
है। भाजपा ने साफ़ कहा है कि उमर महबूबा मुफ्ती की पार्टी से
पाकिस्तान परस्ती की प्रतियोगिता कर रहे हैं। पर इससे एक बार फिर ये
प्रश्न खड़ा हो गया है कि जम्मू कश्मीर, जिस पर भारत के नागरिकों के कर
का एक मोटा हिस्सा हर साल खर्च किया जाता है वो भारत के कितना
नियंत्रण में है?
अगर भारत के नागरिकों को न वहाँ तिरंगा लेकर प्रवेश की अनुमति है और न
ही तीर्थ यात्रा पर जाने की, तो क्या यह आस्तीन के सांप को दूध पिलाने
जैसा ही दृश्य नहीं?
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