कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बयानबाजी से नाराज कांग्रेस की प्रदेश इ..
कंगाल बंगाल में 'सेकुलर' ममता की चाल - प्रदेश के हर इमाम को हर महीने सरकार देगी भत्ता
कुछ दिन पहले आपने भारत के पश्चिमी छोर का हाल (गणेश आरती गाने पर विधानसभा से साल भर के लिए निलंबित १४
विधायक) पढ़ा था, उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट के लिए क्या कुछ
हुआ ये आपने चुनावों में देखा ही है | दक्षिण में हैदराबाद में
रामनवमी को रोकने के प्रयासों से भी आप परिचित हैं जो
सही समय पर रामभक्तों के संगठित होने के कारण परवान नहीं चढ़ सके | अब
सुध लेते हैं पूरब की |
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पंचायत चुनावों से ठीक पहले
कंगाल हुए बंगाल का सरकारी खजाना खोल दिया है | ममता की सरकार प्रदेश
के हर इमाम को हर महीने २५०० रुपये महीने का "भत्ता" देगी | प्रदेश
में कम से कम ३०००० इमाम हैं और इस प्रकार करदाताओं से वसूले गए
पैसे से सरकार हर साल लगभग ९० करोड़ रुपये मस्जिदों के इमामों को देगी
| ये बात अलग है कि बंगाल पर इतना कर्जा है कि उसका ब्याज ही २२ हजार
करोड़ रुपये जाता है जिसे भरने के लिए प्रदेश सरकार के पास पैसा नहीं
है | पैसा देने में कानूनी अड़चन न आये इसलिए सरकार "वक्फ मंत्रालय" के
जरिये ये पैसा इमामों तक हर महीने पहुंचाएगी | यही नहीं, सभी इमाम घर
और ज़मीन के लिए भी आवेदन कर सकेंगे | इमामों के बच्चों को भी सरकार
पढ़ाने लिखाने के लिए सरकारी सहायता देगी | ये सभी दरियादिली बंगाल
सरकार द्वारा पहले ही अल्पसंख्यक मदों में आवंटित धनराशि में जो ७३%
की बढ़ोतरी कर चुकी है, उसके अतिरिक्त है |
भारतीय जनता पार्टी ने इसे मुसलामानों को खरीदने के जैसा कदम बताया है
और इसे विभाजन करवाने वाला निर्णय करार दिया है | ९ अप्रैल को पार्टी
ममता के इस निर्णय के विरोध में प्रदर्शन करेगी | पार्टी इस निर्णय के
विरुद्ध न्यायालय में अपील करने पर भी विचार कर रही है |
आईबीटीएल विचार: ये देश का दुर्भाग्य है कि "सबका
साथ सबका विकास" का मंत्र लेकर देश के लिए काम करने वाले सांप्रदायिक
कहलाये जाते हैं और खुले आम हिन्दुओं को दुत्कार कर एवं तथाकथित
अल्पसंख्यकों को पुचकार कर बंटवारे के बीज बोने वाले सेकुलर |
जिन्होंने केसरिया रंग पर साम्प्रदायिकता का आरोप लगा कर पूरे देश को
अपमानित किया, आज वो अपने विकृत सेकुलरिस्म के नित नए रंग दिखा रहे
हैं | निर्णय तो जनता को ही करना है कि वो किस रंग को अपनाती है |
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