आगरा [आदर्श नंदन गुप्त]। देवभाषा संस्कृत की गूंज कुछ साल बाद अंतरिक्ष में सुनाई दे सकती है। इसके वैज्ञानिक पहलू का मुरीद..
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में, नळदुर्ग के पास पारधीयों के,
मरीआई समाज के लोगों की करीब तीस-पैतीस झोपड़ीयों की बस्ती है| हर
बस्ती के सामने गंदे पानी से भरा एक गढ्ढा, और उस गढ्ढे में कीचड और
गंदगी में सने,लोटते सुअर| पास ही घूमते शिकारी कुत्ते| सब तरफ फैली
गंदगी| यह इस बस्ती का चित्र है|
सुअर पालना और भीख मांगकर पेट भरना, यही उन पारधीयों का जीवन था| ये
लोग पास के ढाबों से, वहॉं फेका हुआ जूठन (भोजन) जमा कर सुअरों को
खिलाते थे, और स्वयं भीख मांगकर पेट भरते थे| उनके बच्चों का शिक्षा
से दूर का भी संबंध नहीं था|
सामाजिक समरसता मंच ने, ‘भटके विमुक्त विकास प्रतिष्ठान’ के माध्यम से
इन पारधीयों के साथ समाज के अन्य खानाबदोश घटकों को सामाजिक प्रगति की
धारा में लाने के लिए, संगठित करने का निश्चय किया| २ अक्टूबर १९९१
को इस प्रकल्प की स्थापना की गई| पारधीयों के साथ भिल्ल, वैदू, वडर,
बहुरूपी, वासुदेव, नाथ जोगी, नंदीबैलवाले, मेंडंगी-जोशी, सरोदे,
शिकलकार, कोल्हाटी, धनगर आदि २८ जाति-जमाति के लोगों को संगठित
किया|
सन् १९९३ में श्री. चाटुफळे नामक भूतपूर्व सैनिक ने इस संस्था को
यमगरवाडी में १८ एकड जमीन दान दी| यहीं, गॉंव से दूर, पारधी समाज के
२५ बच्चों के लिए पहली शाला आरंभ की गई| यह समाज तेलगु भाषा से
मिलती-जुलती भाषा बोलता है| इस कारण इन बच्चों को पढ़ाने में भाषा का
माध्यम, यह पहली समस्या निर्माण हुई| फिर अभ्यासक्रम में उनकी भाषा के
शब्दों का प्रयोग आरंभ किया गया| धीरे-धीरे इन बच्चों ने प्रमाण भाषा
के शब्द आत्मसात किए; और उनकी शिक्षा का मार्ग खुल गया|
यमगरवाडी की एकलव्य प्राथमिक शाला को १९९६ में सरकार की मान्यता मिली|
आज १४ वर्षों बाद, यह खानाबदोशों के शिक्षा का मुख्य केन्द्र बन गया
है| यहॉं ३६० विद्यार्थी है, इनमें २३० लड़के और १३० लड़कियॉं हैं| यहॉं
के विद्यार्थिंयों की विशेषता यह है कि वे चार-पॉंच भाषाएँ जानते हैं|
क्योंकि, हर जाति-जमाति के बच्चें अपनी भाषा के साथ, उनके निकटवर्ती
जाति-जमाति की भाषा भी जानते है; और शाला में अंग्रेजी, हिंदी और
मराठी भी सिखते है|
शाला के माधव गोपालन और शेती (खेती) विकास केन्द्र ने १८ एकड जमीन पर
खेती आरंभ की है| यहॉं इस प्रकल्प क लिए आवश्यक अनाज और दूध का
उत्पादन किया जाता है|
शाला के महात्मा फुले व्यवसाय मार्गदर्शन केन्द्र में विद्यार्थिंयों
को सिलाई, खडू, मोमबत्ती बनाना, प्लंबिंग, वेल्डिंग और इलेक्ट्रिक के
काम सिखाएँ जाते हे| संगीत, गायन, अभिनय में भी ये विद्यार्थी चमकते
है| शेळगॉंव पारधी हत्याकांड, बालविवाह, अंधश्रद्धा, जातीयता, देशभक्त
उमाजी तंट्या भिल्ल आदि विषयों पर वे पथनाट्य भी करते है|
इस उल्लेखनीय सफलता के लिए शाला को शासन और सामाजिक संस्थाओं ने अनेक
पुरस्कार देकर सम्मानित किया है|
संपर्क :
भटके विमुक्त विकास प्रतिष्ठान
यमगरवाडी, पोस्ट : नंदुरी
तहसिल : तुलजापूर, जिला : उस्मानाबाद
(महाराष्ट्र, भारत)
ई मेल : [email protected]
१) श्री. वैजनाथ नागप्पा, लातूर
दूरभाष : ०२३८२-२४०५५९ (निवास), २४५५५९ (कार्यालय)
२) श्री. गजानन धरने, सोलापूर
मोबाईल नं. : ०९४२२०६९३८९
कैसे पहुँचे यमगरवाडी :
यमगरवाडी यह छोटा गाव तुलजापूर से १६ कि.मी. दूर है और
उस्मानाबाद-तुलजापूर अंतर १९ कि.मी. है| उस्मानाबाद यह महाराष्ट्र का
जिला स्थान है|
हवाई मार्ग : उस्मानाबाद में हवाई अड्डा नही हैं| समीप हवाई अड्डा २४८
कि.मी. दूरीपर पुणे में हैं|
रेल मार्ग : उस्मानाबाद रेल मार्ग पर नही हैं| नजीकतम रेल्वे स्टेशन
सोलापूर है| सोलापूर उस्मानाबाद से ६३ कि.मी. दूरी पर हैं| लेकिन हम
सोलापुर से रेल से तुलजापुर पहुँच सकते है|
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