क्या संघ अछूत है ? एक स्वयंसेवक का मर्म

Published: Wednesday, Jan 04,2012, 23:31 IST
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यूपीए-२ के मंत्रीगण एवं कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्त्ता अपना विवेक खो बैठे हैं परिणामतः बार-बार एक देशभक्त संगठन 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के ऊपर अपने शब्दों के माध्यम से कुठाराघात करते रहते है! इनकी आखों पर राजनीति की ऐसी परत चढी है कि समाज को बांटने के लिए संघ को कभी "भगवा आतंकवाद" से संबोधित करते है तो कभी "फासिस्ट संगठन" की संज्ञा देते हैं! कांग्रेस के नेता हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स के दोनों सिद्धांतो पर चलते है! मसलन एक–किसी भी झूठ को सौ बार बोलने से वह सच हो जाता है! दो–यदि झूठ ही बोलना है, तो सौ गुना बड़ा बोलो! इससे सबको लगेगा कि बात भले ही पूरी सच न हो; पर कुछ है जरूर! इसी सिद्धांतों पर चलते हुए कांग्रेसी हर उस व्यक्ति की आड़ में संघ को बदनाम करने कोशिश करते है जो देशहित की बात करता है! मसलन कभी अन्ना हजारे जी की ओट में संघ पर हमला करते है तो कभी बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर जी की ओट में संघ पर तीखा प्रहार करने से भी नहीं गुरेज करते! अन्ना जी की अगुवाई में भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में बने जनमानस की हवा निकालने के लिए सरकार बार-बार संघ का हाथ होने का दावा करती है! कभी किसी चित्र का हवाला देती है तो कभी संघ के किसी कार्यक्रम में अन्ना जी की उपस्थिति का पोस्टमार्टम करती है! इसकी आड़ में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लपेटने के चक्कर में हैं, जिसकी देशभक्ति तथा सेवा भावना पर विरोधी भी संदेह नहीं करते! भारत में स्वाधीनता के बाद भी अंग्रेजी कानून और उसकी मानसिकता बदस्तूर जारी है! इसीलिए कांग्रेसी नेता आतंकवाद को मजहबों में बांटकर इस्लामी, ईसाई आतंकवाद के सामने 'भगवा आतंक' का शिगूफा कांग्रेसी नेता छेड़ कर देश की जनता को भ्रमित करने नाकाम कोशिश करते है!

जो सभ्यता पूरे विश्व के कल्याण का उदघोष करती हो और उस सभ्यता का जोरदार समर्थन करने वाले लोगों को बदनाम करने की साजिश वर्तमान सरकार की नियत को दर्शाता है !  भारतीय चिंतन में 'सर्वे भवन्तु सुखिन:' की भावना और भोजन से पूर्व जीव-जंतुओं के लिए भी अंश निकालने का प्रावधान है। 'अतिथि देवो भव' का सूत्र तो अब शासन ने भी अपना लिया है!

खुद कमाओ खुद खाओ यह प्रकृति है, दूसरा कमाए तुम छीन कर खाओ यह विकृति है और खुद कमाओ दूसरे को खिलाओ यह भारतीय संस्कृति है! परन्तु तथाकथित वैश्वीकरण अर्थात ग्लोब्लाईजेशन के इस दौर में अपने को अधिक आधुनिक कहलाने की होड़ के चक्कर में व्यक्ति जब अपनी पहचान, अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान, अपने मूल्यों तथा अपनी संस्कृति से समझौता करने को आतुर हो तो ऐसे विकट समय में अपने देश की ध्वजा-पताका थामे अगर कोई भारत में भारतीयता की बात करता हो तो उसे बदनाम करने के लए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जाते है! क्या स्वतंत्र भारत में भारतीयता की बात करना गुनाह है? आज भारत अनेक आतंरिक कलहों से जूझ रहा है! देश में कही आतंकवाद अपने चरम पर है तो कही पर नक्सलवाद! बंगलादेशी घुसपैठ सबको विदित ही है! कृषि - प्रधान कहलाने वाले देश में  कृषक आत्म हत्या को मजबूर हो रहा है! वनवासियों, झुग्गी-झोपड़ियों अथवा गरीबों की सेवा के नाम पर उन्हें चिकित्सा, शिक्षा आर्थिक मदद देकर अथवा आतंकवादियों द्वारा प्रायोजित लव-जेहाद (आतंकवादी हिन्दू लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनसे शादी कर उन्हें मतांतरित करते है और बाद में उन्हें तलाक देकर नए शिकार की तलाश में जुट जाते है!) के माध्यम से हजारो बालिकाओं को धर्मांतरण करने पर मजबूर किया जाता है! [विडियो लिंक : यू-ट्यूब]

दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक की पुस्तक में करोडो भारतीयों के इष्ट देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणियां कर विद्यार्थियों को पढने पर मजबूर किया जाता है! भारत पर हर तरफ से चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, सेवा का क्षेत्र हो, राजनीति का क्षेत्र हो, ग्रामीण क्षेत्र हो हर तरफ से लगभग भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर लगातार हमला हो रहा है! राजनैतिक पार्टियाँ बस अपने स्वार्थ-पूर्ति में ही लगी रहती है कोई पार्टी जाति के नाम पर वोट मांगती है तो कोई किसी विशेष समुदाय को लाभ पहुचाने के लिए उन्हें कोटे के लोटे से अफीम चटाने का काम करती है! परन्तु राष्ट्रीयता की बात संघ विचार धारा की पार्टी अर्थात भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कोई नहीं करता! हिन्दी भाषा पर तो अंग्रेजी भाषा ने लगभग कब्ज़ा ही कर लिया है! कोई राज्य "गीता" पर प्रतिबंध लगा देता है तो कोई राष्ट्रीय गीत "वन्देमातरम" के गाने पर विरोध जताता है! आज भ्रष्टाचार का हर तरफ बोलबाला है परन्तु बावजूद इसके सरकार को इस समस्या से ज्यादा चिंता इस बात की है कि भ्रस्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले के पीछे कही संघ तो नहीं है! क्या संघ के लोग इस देश के नागरिक नहीं है? क्या संघ के लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते? संघ अछूत है क्या? ज्ञातव्य है कि देश के कई राज्यों में इस विचारधारा को मानने वाली राजनैतिक पार्टी अर्थात भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री है! "बाटों और राज्य करो" की नीति को मानने वाली राजनैतिक पार्टी "कांग्रेस" जिसकी अभी केंद्र में सरकार है, अगर वह संघ के लोगों को देशभक्त नहीं मानती तो संघ पर बैन क्यों नहीं लगा देती!

किसी प्रसिद्ध चिन्तक ने कहा है कि जो कौमें अपने पूर्वजों को भुला देती है वो ज्यादा दिन तक नहीं चलती है! परन्तु राजनेताओं पर राजनीति का ऐसा खुमार चढ़ा है अपनी सस्ती राजनीति चमकाने के चक्कर में देश की अखंडता के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आते! जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी दिल्ली में खुले आम देश की अखंडता को चुनौती देकर चले जाते है और किसी के कानो पर जूं तक नहीं रेंगती! पिछले दिनों अमरीका में 'कश्मीर अमेरिकन सेंटर' चलाने वाले डा0 गुलाम नबी फई तथा उसका एक साथी पकड़े गये हैं, जो कुख्यात पाकिस्तानी संस्था आई.एस.आई के धन से अवैध रूप से सांसदों एवं अन्य प्रभावी लोगों से मिलकर कश्मीर पर पाकिस्तान के पक्ष को पुष्ट करने का प्रयास (लाबिंग) करते थे! कश्मीर की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी है! इस बारे में देश को जागरूक करने के लिए कश्मीर विलय दिवस (२६ अक्तूबर) को २०१० में शाखाओं पर तथा सार्वजनिक रूप से लगभग १०,०००  कार्यक्रम हुए! ग्राम्य विकास में लगे कार्यकर्ताओं का सम्मेलन कन्याकुमारी तथा मथुरा में हुआ! हिन्दू आतंकवाद के नाम पर किये जा रहे षड्यन्त्र के विरोध में १० नवम्बर, २०१० को देश भर में ७५० से अधिक स्थानों पर हुए धरनों में करोड़ों लोगों ने भाग लिया।

संघ एक अनुशासित तथा शांतिप्रिय संगठन है और उसका काम "व्यक्ति निर्माण" का है! संघ को समझने के लिए बहुत दूर जाने की आवश्यकता नहीं होती! देश भर में हर दिन सुबह-शाम संघ की लगभग ५०,००० शाखाएं सार्वजनिक स्थानों पर लगती हैं! इनमें से किसी में भी जाकर संघ को समझ सकते हैं! शाखा में प्रारम्भ के ४० मिनट शारीरिक कार्यक्रम होते हैं! बुजुर्ग लोग आसन करते हैं, तो नवयुवक और बालक खेल व व्यायाम! इसके बाद वे कोई देशभक्तिपूर्ण गीत बोलते हैं! किसी महामानव के जीवन का कोई प्रसंग स्मरण करते हैं और फिर भगवा ध्वज के सामने पंक्तियों में खड़े होकर भारत माता की वंदना के साथ एक घंटे की शाखा सम्पन्न हो जाती है! संघ के ऊपर प्रायः आरोप लगता रहा है कि उसने स्वाधीनता संग्राम में भाग नहीं लिया, जबकि संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार ने जंगल सत्याग्रह में भाग लेकर एक साल का सश्रम कारावास वरण किया था! चूंकि उन दिनों कांग्रेस आजादी के संघर्ष में एक प्रमुख मंच के रूप में काम कर रही थी, अतः संघ के हजारों स्वयंसेवक सत्याग्रह कर कांग्रेस के बैनर पर ही जेल गये!

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शाखा चलाने के अलावा अनेक क्षेत्रों में भी काम करता हैं। निस्वार्थ भाव एवं लगन के कारण ऐसे सब कार्यां ने उस क्षेत्र में अपनी एक अलग व अग्रणी पहचान बनाई है। संस्कृत भाषा के प्रति जागृति लाने हेतु विभिन्न संस्थाएं प्रयासरत हैं! पूरी दुनिया को पांच क्षेत्रों (अमरीका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका तथा एशिया) में बांटकर, जिन देशों में हिन्दू हैं, वहां साप्ताहिक, मासिक या उत्सवों में मिलन के माध्यम से काम हो रहा है! भारत के वनों व पर्वतों में रहने वाले हिन्दुओं को अंग्रेजों ने आदिवासी कहकर शेष हिन्दू समाज से अलग करने का षड्यन्त्र किया! दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी यही गलत शब्द प्रयोग जारी है! ये वही वीर लोग हैं, जिन्होंने विदेशी मुगलों तथा अंग्रेजों से टक्कर ली है; पर वन-पर्वतों में रहने के कारण वे विकास की धारा से दूर रहे गये! इनके बीच स्वयंसेवक ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ नामक संस्था बनाकर काम करते हैं!  इसकी २९ प्रान्तों में २१४ से अधिक इकाइयां हैं! इनके द्वारा शिक्षा, चिकित्सा, खेलकूद और हस्तशिल्प प्रशिक्षण आदि के काम चलाये जाते हैं! ज्ञातव्य है कि दिल्ली में अभी हाल में ही संपन्न हुए "कॉमनवेल्थ गेम्स-२०१०" में ट्रैक फील्ड में पहला पदक और एसियन गेम्स में १०,००० मीटर में सिल्वर पदक, ५,००० मीटर में कांस्य पदक जीतने वाली "कविता राऊत" वनवासी कल्याण आश्रम संस्था से ही निकली हैं!

संघ का कार्य केवल पुरुष वर्ग के बीच चलता है; पर उसकी प्रेरणा से महिला वर्ग में 'राष्ट्र सेविका समिति' काम करती है! इस समय देश में उसकी ५,००० से अधिक शाखाएं हैं!  इसके साथ ही समिति ७५० सेवाकार्य भी चलाती है! 'क्रीड़ा भारती' निर्धन, वनवासी व ग्रामीण क्षेत्र में छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास कर रही है! धर्मान्तरण के षड्यन्त्रों को विफल करने के लिए धर्म जागरण के प्रयासों के अन्तर्गत ११० से अधिक जाति समूहों में सेवा कार्य प्रारम्भ किया गया है! सेवा के कार्य में 'दीनदयाल शोध संस्थान' भी लगा है! गोंडा एवं चित्रकूट का प्रकल्प इस नाते उल्लेखनीय है! राजनीतिक क्षेत्र में 'भारतीय जनता पार्टी' की छह राज्यों में अपनी तथा तीन में गठबंधन सरकार है! समाज के प्रबुद्ध तथा सम्पन्न वर्ग की शक्ति को आरोग्य सम्पन्न, आर्थिक रूप से स्वावलम्बी तथा समर्थ भारत के निर्माण में लगाने के लिए 'भारत विकास परिषद' काम करती है! परिषद द्वारा संचालित देशभक्ति समूह गान प्रतियोगिता तथा विकलांग सहायता योजना ने पूरे देश में एक विशेष पहचान बनायी है! इसके अतिरिक्त परिषद के १५४५ से अधिक सेवा कार्य भी चला रही है! १९७५ के बाद से संघ प्रेरित संगठनों ने सेवा कार्य को प्रमुखता से अपनाया है! 'राष्ट्रीय सेवा भारती' के बैनर के नीचे इस समय लगभग ४००० से अधिक संस्थाएं काम कर रही हैं! विकलांगों में कार्यरत 'सक्षम' नामक संस्था की १०२ से अधिक नगरों में बड़े जोर-शोर से लगी है! नेत्र सेवा के क्षेत्र में इसका कार्य उल्लेखनीय है!

आयुर्वेद तथा अन्य विधाओं के चिकित्सकों को 'आरोग्य भारती' के माध्यम से संगठित किया  गया है! 'नैशनल मैडिकोज आर्गनाइजेशन' द्वारा ऐसे ही प्रयास एलोपैथी चिकित्सकों को संगठित कर किये जा रहे हैं! 'चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो' के स्थान पर ‘देश के हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम’ की अलख जगाने वाले ‘भारतीय मजदूर संघ’ का देश के सभी राज्यों के ५५० जिलों में काम है! अब धीरे-धीरे असंगठित मजदूरों के क्षेत्र में भी कदम बढ़ रहे हैं! 'भारतीय किसान संघ' ने बी.टी. बैंगन के विरुद्ध हुई लड़ाई में सफलता पाई! 'स्वदेशी जागरण मंच' का विचार केवल भारत में ही नहीं, तो विश्व भर में स्वीकार्य होने से विश्व व्यापार संगठन मृत्यु की ओर अग्रसर है! मंच के प्रयास से खुदरा व्यापार में एक अमरीकी कंपनी का प्रवेश को रोका गया तथा जगन्नाथ मंदिर की भूमि वेदांता वि.वि. को देने का षड्यन्त्र विफल किया गया! ग्राहक जागरण को समर्पित 'ग्राहक पंचायत' का काम भी १३५ से अधिक जिलों में पहुंच गया है! इसके द्वारा २४ दिसम्बर को ग्राहक दिवस तथा १५ मार्च को क्रय निषेध दिवस के रूप मनाया जाता है! 'सहकार भारती' के ६८० से अधिक तहसीलों में २० लाख से ज्यादा सदस्य हैं! इसके माध्यम से मांस उद्योग को ३० प्रतिशत सरकारी सहायता बंद करायी गयी! अब सहकारी क्षेत्र को करमुक्त कराने के प्रयास जारी हैं! 'लघु उद्योग भारती' मध्यम श्रेणी के उद्योगों का संगठन है ! इसकी 26 प्रांतों में 100 से ज्यादा इकाइयां हैं।

शिक्षा क्षेत्र में 'विद्या भारती' द्वारा १५,००० से अधिक विद्यालय चलाये जा रहे हैं, जिनमें लाखों आचार्य करोड़ों शिक्षार्थियों को पढ़ा रहे हैं! शिक्षा बचाओ आंदोलन द्वारा पाठ्य पुस्तकों में से वे अंश निकलवाये गये, जिनमें देश एवं धर्म के लिए बलिदान हुए हुतात्माओं के लिए अभद्र विशेषण प्रयोग किये गये थे! 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' का ५,६०४ से अधिक  महाविद्यालयों में काम है! इसके माध्यम से शिक्षा के व्यापारीकरण के विरुद्ध व्यापक जागरण किया जाता है! 'भारतीय शिक्षण मंडल' शिक्षा में भारतीयता संबंधी विषयों को लाने के लिए प्रयासरत है! सभी स्तर के ७.५ लाख से अधिक अध्यापकों की सदस्यता वाले 'शैक्षिक महासंघ' में लगभग सभी राज्यों के लगभग विश्वविद्यालयों के शिक्षक जुड़े हैं। स्वामी विवेकानंद के विचारों के प्रसार के लिए कार्यरत 'विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी' ने स्वामी जी की १५० वीं जयन्ती १२ जनवरी, २०१३ से एक वर्ष तक भारत जागो, विश्व जगाओ अभियान चलाने का निश्चय किया है! पूर्वोत्तर भारत में इस संस्था के माध्यम से शिक्षा एवं सेवा के विविध प्रकल्प चलाये जाते हैं!

'विश्व हिन्दू परिषद' जहां एक ओर श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से देश में हिन्दू जागरण की लहर उत्पन्न करने में सफल हुआ है, वहां ३६,६०९ से अधिक सेवा कार्यों के माध्यम से निर्धन एवं निर्बल वर्ग के बीच भी पहुंचा है! इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालम्बन तथा सामाजिक समरसता की वृद्धि के कार्य प्रमुख रूप से चलाये जाते हैं! "एकल विद्यालय" योजना द्वारा साक्षरता के लिए हो रहे प्रयास उल्लेखनीय हैं! बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, गोसेवा, धर्म प्रसार, संस्कृत प्रचार, सत्संग, वेद शिक्षा, मठ-मंदिर सुरक्षा आदि विविध आयामों के माध्यम से परिषद विश्व में हिन्दुओं का अग्रणी संगठन बन गया है!

पूर्व सैनिकों की क्षमता का समाज की सेवा में उपयोग हो, इसके लिए 'पूर्व सैनिक सेवा परिषद' तथा सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों में सजगता बढ़ाने के लिए 'सीमा जागरण मंच' सक्रिय है! कलाकारों को संगठित करने वाली 'संस्कार भारती' का ५० प्रतिशत से अधिक जिलों में पहुँच है! अपने गौरवशाली इतिहास को सम्मुख लाने का प्रयास 'भारतीय इतिहास संकलन समिति' कर रही है! इसी प्रकार विज्ञान भारती, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, राष्ट्रीय सिख संगत, अधिवक्ता परिषद, प्रज्ञा प्रवाह आदि अनेक संगठन अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्रीयता के भाव को पुष्ट करने में लगे हैं!

इस प्रकार स्वयंसेवकों द्वारा चलाये जा रहे सैकड़ों छोटे-बड़े संगठन और संस्थाओं द्वारा देश के नागरिको को देशभक्ति का पाठ पढाया जा रहा है परिणामतः देश भर में लोग सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते है जिससे सरकार की किरकिरी होती है! इसलिए सरकार के मंत्री और कांग्रेसी नेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा देशभक्त संगठन को बदनाम करने की नाकाम कोशिश मात्र अपनी राजनैतिक रोटी सेंकते है इससे ज्यादा कुछ नहीं! १९२५ में डा. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा संघ रूपी जो बीज बोया गया था, वह अब एक विराट वृक्ष बन चुका है! अब न उसकी उपेक्षा संभव है और न दमन अतः इस मुगालते में किसी को नहीं रहना चाहिए!

- राजीव गुप्ता (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, यह उनके निजी विचार हैं)

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