भारत में छपने वाले कई उर्दू समाचार पत्रों ने अन्ना हज़ारे के
अनशन वापस लेने को उनकी घटती लोकप्रियता से जोड़ा है.
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भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा की जा रही लूट : राजीव दीक्षित
भारत में जो ५०००+ विदेशी कंपनियां कार्यरत है इनमें से कुछ विदेशी
कंपनियां ऐसी है जो सीधे अपनी शाखा स्थापित कर व्यापार कर रही है एवं
कुछ कंपनियां ऐसी है जो भारत की कंपनियों के साथ समझौते करती हैं |
कुछ कंपनियां तकनीकी रूप से तो कुछ वित्तीय रूप से समझौता करती है |
इन कंपनियों को हमारे देश में बुलाया गया, नियमानुसार निमंत्रण दिया
गया, हमारी सरकारों ने लाल-कालीन बिछाया एवं कुछ इस प्रकार स्वागत
किया है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी का कुछ नवाबों आदि ने किया था | सन
१९१५ से हमारे देश में एक नीति चल रही है जिसका एक नाम है उदारीकरण,
दूसरा नाम है वैश्वीकरण एवं एक और नाम है निजीकरण (ग्लोबलाइज़ेशन,
लिब्रलाइजेशन एवं प्राइवेटाइजेशन) इन शब्दों का उपयोग समाचार चैनलों
द्वारा आपने : 'सरकार की वैश्वीकरण', 'निजीकरण-उदारीकरण की नीति के
अनुसार' ये समझोते किये गए, के रूप में सुना होगा |
सरकार से जब यह कहा जाता है की आप इन विदेशी कंपनियों को क्यूँ बुला
रहे है जबकि आप जानते है की हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है की
मात्र एक विदेशी कंपनी के भारत में आने से भारत २००-२५० वर्ष परतंत्र
रहा है | क्या ५०००+ विदेशी कंपनियों को भारत में बुलावा देना भारत की
स्वतंत्रता को गिरवी रख देने जैसा नहीं होगा ? क्या हमारे देश की
आज़ादी के साथ कोई समझौता तो नहीं किया जा रहा है ? क्या भारत की
स्वतंत्रता संकट में तो नहीं आ रही है | हम भारतवासी अपना विकास स्वयं
कर सकते है,
# क्या हमारे पास पूंजी की बहुत कमी है ?
# क्या हमारे पास तकनीकी नहीं है?
# क्या हमारे पास श्रम शक्ति नहीं है ?
हमे विदेशी कंपनियों की कोई आवश्यकता नहीं है | ऐसे कई तर्क जब सरकार
से किये जाते है तो सरकार की ओर से चार उत्तर (तर्क) दिए जाते है
|
१. इनके आने से पूंजी आती है
२. भारत का निर्यात (एक्सपोर्ट) बढ़ता है
३. लोगों को आजीविका मिलती है , गरीबी कम होती है
४ . तकनीकी आती है
चौथा तर्क सरकार सबसे अधिक बल से हमारे समक्ष प्रस्तुत करती है, इन
चार तर्कों के आधार पर हमारी सरकार विदेशी कंपनियों को बुलाती है |
आपको इस बात की जानकारी अवश्य होगी की विदेशी कंपनियों को बुलाने में
भारत की सरकार जो केन्द्र में कार्य करती है वह तो लगी ही हुई है
राज्य सरकारे भी विदेशी कंपनियों को बुलाती है | भारत के कुछ उत्तर
पूर्व के राज्यों को छोड़ कर भारत के लगभग सभी राज्य सरकारे विदेशी
कंपनियों को बुलाती है | सरकार के उपरोक्त तर्कों को आधार बना, सत्य
खोजने का प्रयास किया इस हेतु के लिए सरकारी प्रलेखों का ही उपयोग
किया विगत कुछ वर्षों के सरकारी प्रलेखों (दस्तावेजो) का जब अध्ययन
किया, समझा, पढ़ा तो पाया यह प्रलेख कुछ और कहानी कह रहे है एवं सरकार
के दस्तावेज उसकी ही पोल खोल रहे है ... अगला भाग आगे पढ़ें ...
क्या विदेशी कंपनियों के आने से पूंजी आती है
: राजीव दीक्षित (भाग ०२)
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