अंग्रेजी कोई बड़ी भाषा नहीं है, केवल १४ देशों में चलती है जो गुलाम रहे हैं : भारत का सांस्कृतिक पतन

Published: Thursday, Dec 01,2011, 22:51 IST
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English isn't a great language, Rajiv Dixit, Baba Ramdev, IBTL

विद्यालयों से लेकर न्यायालयों तक अंग्रेजी भाषा की गुलामी से आगे : अंग्रेजी कोई इतनी बड़ी भाषा नहीं है, जैसी की हमारे मन में उसकी छद्म छवि है, विश्व के मात्र १४ देशों में अंग्रेजी चलती है एवं यह वही देश है जो अंग्रेजो के परतंत्र रहे है।

इनके इन देशों में अंग्रेजी का स्वयं विकास नहीं हुआ है परतंत्रता के कारण इन्हें इसके लिए बाध्य होना पड़ा। विश्व की प्रमुख संस्थाए अंग्रेजी में कार्य नहीं करती, बहुत से देशों के लोग तो अंग्रेजी जानते हुए भी उसमें बात करना पसंद नहीं करते। जर्मनी में जर्मन में, फ़्रांस में फ्रेंच में, स्पेन में स्पेनिश में, जापान में जापानी में, चीन में चीनी में आदि देशों में अपनी भाषा में ही सरकारी कार्य भी किया जाता है। अंग्रेजी से निजात ही अच्छी है क्यूंकि इसमें हमारा विकास नहीं, मुक्ति नहीं।

संयुक्त राष्ट्र महासंघ के मानवीय विकास के लेखे जोखे में भारत लगभग १३४ में आता है बहुत से भारत से भी छोटे छोटे देश जो इस लेखे-जोखे में भारत से ऊपर आते है क्यूंकि उनमें अधिकांश अपनी मातृभाषा में कार्य करते है। स्वयं संयुक्तराष्ट्र भी फ्रेंच भाषा में कार्य करता है अंग्रेजी में तो वह अपने कार्यों का भाषांतर करता है अधिकांश भाषा विशेषज्ञ भी कहते है अंग्रेजी व्यकरण की दृष्टि से भी बहुत बुरी है।

भारत की सभी २२-२३ मातृभाषाएँ जो संविधान में स्वीकृत है, बहुत सबल है। उनमें से भी यदि सबसे छोटी भाषा को अंग्रेजी से तुलना करे तो वह भी अंग्रेजी से बड़ी है। उत्तर प्रांत के जो राज्य है, मणिपुर, नागालैण्ड, मिजोरम आदि उनमें जो सबसे छोटी भाषा एव बोलियां चलती है उनमें से भी सबसे छोटी भाषा है उसमें भी अंग्रेजी से अधिक शब्द है। जब सबसे छोटी भाषा भी अंग्रेजी से बड़ी है तो हम अंग्रेजी को क्यूँ पाल रहे है एवं हमारी सबसे बड़ी भाषा तो अंग्रेजी से कितनी बड़ी होगी। तकनिकी शब्द जो है न हम चाहे तो तात्कालिक रूप से जैसे के तैसे अंग्रेजी ले सकते।

लेकिन विचार की जो अभिव्यक्ति है वह मातृभाषा, बोलियों में कर थोड़े दिन में तकनिकी शब्दों को भी हर मातृभाषा में ला सकते है। कुछ परेशानी नहीं है और तो और हमारे पास माँ (संस्कृत) भी है उसका भी उपयोग किया जा सकता है। संस्कृत के शब्द तो सभी भाषओं में मिल जाते है।

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