क्या ‘भगवा आतंक’ हिंदुओं एवं मुस्लिमों को राजनीतिक रूप से समान करने का एक उन्मादी प्रयास है? जिसके लिय..
संघ को जबरन फसाने के लिए हेमंत करकरे पर दबाव डाल रही थी सरकार
२६/११ मुंबई आतंकी हमले में मृत्यु से पांच दिन पूर्व ए.टी.एस
प्रमुख हेमंत करकरे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) प्रमुख
मोहन भगवत को बताया था कि इन अनसुलझे बम धमाकों पर चल रहे अभियोगों
में संघ कार्यकर्ताओं को फ़साने के लिए अत्यधिक दवाब बनाया जा रहा था,
ऐसा आर.एस.एस प्रमुख दावा करते हैं।
मोहन भगवत के अनुसार वह हेमन्त करकरे को लम्बे समय से जानते थे, करकरे
ने विस्तृत रूप से नहीं बताया लेकिन उन्होंने साफ किया था कि उन पर
दक्षिण-पंथियों को फ़साने के लिए अत्यधिक दवाब
बनाया जा रहा था। उनके अनुसार, करकरे से उनकी मुलाकात मालेगांव (२००६
- २००८), समझोता एक्सप्रेस (२००७) एवं अजमेर शरीफ व् मक्का मस्जिद
(२००७) कि जांच में आर.एस.एस से सहयोग कि अपेक्षा के कारण हुई थी।
मोहन भगवत ने कहा, " हमें यह शंका है कि, प्रारंभ से ही आर.एस.एस को
फसाने एवं इसकी छवि को धूमिल करने में राजनितिक षड़यंत्र है। "
अन्य आर.एस.एस कार्यकर्ताओं के अनुसार उत्तर प्रदेश चुनावों के दौरान
यह गिरफ़्तारी अल्पसंख्यकों को रिझाना व हिन्दू संगठनों पर दवाब बनाना
यह कांग्रेस की केवल एक रणनीति मात्र है।
आगे मोहन भगवत कहते है मैंने करकरे को यह स्पष्ट किया कि किसी भी
प्रकार की जांच, निष्पक्षता एवं गिरफ्तारियों के लिए संघ कभी बाधा
नहीं बनेगा, परन्तु मुझे नहीं लगता की इन सब में संघ का कोई भी
कार्यकर्ता एवं संघ स्वयं किसी भी प्रकार से शामिल है। हम इन धमाकों
की घोर निंदा करते हैं एवं ऐसे किसी भी प्रकार के कृत्य में लिप्त
व्यक्ति का समर्थन नहीं करेंगे।
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