देश की राजनीति के कई चेहरे हैं। यहां हर फैसले जरूरत के हिसाब से नहीं चुनाव की बिसात पर लिए जाते हैं। कमोबेश ऐसी ही कुछ हकी..
सत्यनिष्ठ सरकार देने का आश्वासन देकर मनमोहन पहुँचे भगवान् की शरण, पर काले झंडों ने किया स्वागत
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने २०११ का समापन इस स्वीकारोक्ति के साथ
किया कि २०११ उनके लिए मुश्किलों भरा वर्ष रहा | उन्होंने कहा कि उनकी
सरकार नए वर्ष में लोगों को सशक्त बनाने तथा भ्रष्टाचार से लड़ने के
लिए प्रतिबद्ध है एवं इसके लिए समुचित प्रयास करेगी | उन्होंने इस
दिशा में उठाये गए कदमों को भी गिनाया जैसे सिटिज़न चार्टर, लोकपाल
एवं लोकायुक्त आदि | प्रधानमंत्री ने देश को शांतिपूर्ण, उत्पादक एवं
सुरक्षित नए वर्ष के लिए शुभकामनायें दीं | कम बोलने वाले मनमोहन सिंह
ने अपने लम्बे सन्देश में देश को भरोसा दिलाया कि वे स्वयं एक
सत्यनिष्ठ एवं कार्यकुशल सरकार एवं एक उत्पादक, प्रतिस्पर्धी, एवं
सशक्त अर्थव्यवस्था देने के लिए तथा समानता पर आधारित सामाजिक एवं
राजनैतिक व्यवस्था के निर्माण के लिए काम करेंगे |
मनमोहन सिंह ने इस लक्ष्य की पूर्ति के मार्ग में ५ चुनौतियाँ भी
गिनाई | आजीविका सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, पारिस्थिकीय
सुरक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को उन्होंने चुनौतियाँ माना | उन्होंने
आह्वान किया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक देश के रूप में
इकट्ठे होकर तथा संवैचारिक देशों के साथ मिल कर काम करने की आवश्यकता
है | उन्होंने लोकपाल बिल के पास न हो पाने पर दुःख जताया |
नए कलेंडर वर्ष के अवसर पर प्रधानमंत्री ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर
में जा कर मत्था टेका | उन्होंने केसरिया अंग वस्त्र धारण किया हुआ था
तथा उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर भी उनके साथ थी | उन्होंने
दुर्ग्याना मंदिर में भी जा कर माँ दुर्गा के दर्शन किये | परन्तु
अन्ना हजारे के क्रुद्ध समर्थकों ने एक अशक्त लोकपाल बिल लाने एवं
अल्पमत में होने के भय सेआनन-फानन में राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित
कर देने को लेकर प्रधानमंत्री के विरुद्ध नारेबाजी की तथा उन्हें काले
झंडे दिखाए | काला झंडा दिखाने वालों में महिलाएँ भी शामिल थीं |
अन्ना समर्थकों ने "वापस जाओ" के नारे भी लगाये |
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