सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की स्थिति उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख..
समाचार पत्रों में छपी ख़बरों और मीडिया चेनलों पर छाया रखा कि
वर्तमान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी और इंदिरा गांधी
की जयंती के अवसर पर प्रिंट मीडिया में विज्ञापन देने के लिए क्रमश:
4.79 करोड़ और 2.46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सूचना एवं प्रसारण राज्य
मंत्री सीएम जटुआ ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि कुल 7.25 करोड़
रुपये विज्ञापन पर खर्च हुए। सवाल के जवाब में जटुआ ने कहा कि राजीव
के जन्मदिवस समारोह को मनाने के लिए इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से
अभियान नहीं चलाया गया। वर्ष 2011 में उनके जन्मदिवस के अवसर पर
प्रिंट मीडिया को 7 करोड़ 79 लाख 73 हजार 656 रुपये विज्ञापन पर खर्च
किए गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सबसे ज्यादा धनराशि 95 लाख रुपये खर्च की। नवी
और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 82 लाख जबकि पर्यटन मंत्रालय ने 79 लाख
खर्च किए। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने 65 लाख, सूचना एवं
संचार मंत्रालय ने 58 लाख जबकि सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 51 लाख
रुपये खर्च किए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु और
मध्यम उद्यम मंत्रालय ने प्रिंट मीडिया को 25 लाख और 21 लाख के
विज्ञापन दिए।
इंदिरा गाँधी के जन्मदिन पर सूचना एवं संचार मंत्रालय ने 60 लाख,
सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 56 लाख और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम
मंत्रालय ने 41 लाख, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने 25 लाख और
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने 22 लाख खर्च किए। जल
संसाधन और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों ने 19-19 लाख रुपये खर्च
किए।
देश के हालातों के देख यह कहना गलत नं होगा कि देश एक परिवार विशेष का
हो चला है। १२१ करोड़ लोगों का उससे कोई सम्बन्ध नहीं रहा। समस्या
दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। वंशवाद एक श्राप के रूप में भारत के
सामने आ रहा है। इस बात पर सरकार की जितने कठोर शब्दों में निंदा की
जाए उतनी कम है।
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