17 मई, 2012 को कोटा (राजस्थान) के घोड़े वाले बाबा चैराहा स्थित टीलेश्वर महादेव मंदिर के सभागार में राष्ट्रीय स्वाभिमान आ..
" बात खरी है | बात ऐसी है जो देश की पुरानी पीढ़ी का हर कोई जानकार
और निष्पक्ष नागरिक मानता है, और बोलता भी है | लेकिन इस बार बात कही
है नरेन्द्र मोदी ने | "
कल भारत के लौह-पुरुष सरदार पटेल की जयंती थी | इस अवसर पर एक
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने बिना शब्दों का जाल बुने
स्पष्ट कह दिया कि यदि सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री बने
होते, तो कश्मीर, आतंकवाद, साम्प्रदायिकता आदि कि आग में भारत न जलता
| किसानों की समस्याएँ वीभत्स रूप धारण करने से पहले सुलझा ली जाती और
भारत की दशा ऐसी न होती |
पटेल के देश को अखंडित रखने के प्रयासों का स्मरण करते हुए मोदी ने
कहा कि प्रत्येक गुजराती का हृदय पटेल के लिए गर्व और सम्मान से भरा
है | मोदी ने नर्मदा तट पर पटेल की संसार की सबसे ऊँची प्रतिमा
स्थापित करने की अपनी योजना की भी जानकारी दी | गुजरात में
उद्योग स्थापित करने के मारुति के निर्णय पर उन्होंने कहा कि गुजरात
एशिया के ऑटो हब के रूप में उभर रहा है |
ज्ञात हो कि मोदी में लोग सरदार पटेल कि ही छवि देखते हैं | उन्हें
छोटे सरदार या दूसरा लौह पुरुष भी कहा जाता है और मान मर्दन करने के
तमाम प्रयासों के बावजूद संबल न खो कर और गुजरात को विकास का पर्याय
बना कर मोदी ने सिद्ध भी किया है कि ये उपमाएँ मिथ्या नहीं हैं | उनके
सरदार पटेल के विषय में ऐसा कह देने से शायद नयी बहस छिड़ जाएगी |
नेहरु-गाँधी परिवार की भक्ति की परंपरा में लिप्त लोगों को शायद मोदी
का यह कथन अच्छा न लगे, परन्तु सच तो यही है कि अंग्रेजों द्वारा
कांग्रेस को सत्ता सौंपे जाने की बात थी तो यह तय हुआ था कि कांग्रेस
के सभी प्रान्तों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी पसंद
बताएँगे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी अपनी पसंद बताएगी | १-२ को छोड़ के
कांग्रेस कि सभी प्रांतीय इकाइयों ने अपना मत सरदार पटेल को दिया तथा
नेहरु को एक भी मत नहीं मिला | केवल राष्ट्रीय कार्यकारिणी का एक मत
नेहरु के पक्ष में गया | फिर परदे के पीछे गाँधी की मध्यस्थता और
नेहरु की महत्वाकांक्षा का परिणाम देश ने देखा और सरदार पटेल ने अपना
नाम वापस ले लिया | नेहरु प्रधानमंत्री बन गए |
पटेल के तीक्ष्ण विरोध के बाद भी पाकिस्तान को भारत ने अपने बचे २००
करोड़ में से ५५ करोड़ भी दिए, और एक तिहाई कश्मीर भी हाथ से चला गया,
और अपना २०० करोड़ का कर्जा भारत ने अकेले अपने सर लिया | यूएन में
जाने के नेहरु के हठ के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के अधिकार
में जो भी बचा खुचा कश्मीर है, वह भी विवादित ही माना जाता है | यही
नहीं, पाकिस्तान चले गए मुस्लिमों द्वारा खाली किये गए मकानों में
हिन्दू शरणार्थियों को न बसने देने का नेहरु का निर्णय एवं हिन्दुओं
एवं मुस्लिमों को एक साथ नहीं अपितु अलग अलग क्षेत्रों में बसा कर
मुस्लिम जनसँख्या के छोटे छोटे गढ़ बना देने का निर्णय भी पटेल के
विरोध के बावजूद लिए गए |
नेहरु ने हिन्दुओं के दान से बने सोमनाथ मंदिर के निर्माण के बाद
सरकारी अनुदान देकर अयोध्या के विवादित ढांचे के स्थान पर पूरी मस्जिद
बनवाने और रामलला को वहाँ से हटवाने का भी प्रयास किया था, जिसे
पटेल ने होने नहीं दिया था | इस घटना का उल्लेख पटेल की पुत्री की
डायरी में है |
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