आरएसएस की चेतावनी, चीन और पाकिस्‍तान से भारत को गंभीर खतरा

Published: Tuesday, Oct 18,2011, 17:58 IST
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आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल ने तीन दिवसीय बैठक के दौरान देश की सीमाओं पर बढ़ते तनाव, सीमा पार से देष में अलगाववाद व आतंकवाद को बढ़ावा देने की बढ़ती घटनाओं, सामुद्रिक सीमाओं पर उभरती चुनौतियों के प्रति सरकार की उपेक्षा के प्रति गम्भीर चिन्ता व्यक्त किया। बैठक में निम्नलिखित प्रमुख बिन्दुओं पर गंभीर चिन्ता की गई।

चीन के दुस्साहस से उपजे संकट
आरएसएस का मानना है कि चीन भारतीय सीमा पर सैन्य दबाव बनाने के साथ-साथ वहाँ पर बार-बार सीमा का अतिक्रमण करते हुए सैन्य व असैन्य सम्पदा की तोड़ फोड़ एवं सीमा क्षेत्र में नागरिकों को लगातार आतंकित कर रहा है। भारत की सुनियोजित सैन्य घेराबन्दी करने के उद्देश्य से हमारे पड़ौसी देशों में चीन की सैन्य उपस्थिति, वहाँ उसके सैनिक अड्डों का विकास व उनके साथ रणनीतिक साझेदारी को भी गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है।

आरएसएस कार्यकारी मण्डल का मानना है कि सीमा पार से देश में आतंकवाद व अलगाववाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूर्वोत्तर के उग्रवादी गुटों को चीन का सक्रिय सहयोग देश की एकता व अखण्डता को सीधी चुनौती है। चीन द्वारा अपने साइबर योद्धाओं के माध्यम से देष के संचार व सूचना तंत्र में सेंध लगाने की घटनाएँ एवं देष के विविध संवेदनशील स्थानों के निकट अत्यन्त अल्प निविदा मूल्य पर परियोजनाओं में प्रवेष के माध्यम से अपने गुप्तचर तंत्र का फैलाव भी देष की सुरक्षा के लिये गम्भीर संकट उत्पन्न करने वाला है।

चिन्ताजनक हैं पाकिस्तान की गतिविधियां
आरएसएस कार्यकारी मण्डल का कहना है कि भारत की पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की गतिविधियां भी चिन्ताजनक हैं। स्वयं प्रधानमंत्री ने सेना के कमाण्डरों को सम्बोधित करते हुए स्वीकार किया है कि सीमा पार से घुसपैठ की घटनाओं में विगत कुछ माह के दौरान अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। एक अनुमान के अनुसार अकेले कश्मीर की सीमा पर विगत साढ़े चार माह के दौरान छिटपुट फायरिंग या घुसपैठ की 70 घटनाएँ घटी हैं।

पाक सेना में कट्टरपंथियों का बढ़ता प्रभाव वहां के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर भी एक गम्भीर चुनौती बनता जा रहा है। पाकिस्तान लगातार अफगानिस्तान में हामिद करजई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है। अपने आन्तरिक कारणों से अगले साल से आरम्भ करते हुए अमरीकी सेना के वहाँ से हटने की स्थिति में पाकिस्तान वहाँ पुनः भारत विरोधी कट्टरपंथी तालिबान को सत्ता में लाना चाहता है।

अफगानिस्तान में ऐसी कोई परिस्थिति भारत के लिए सीधी चुनौती होगी। अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल पाक-अफगानिस्तान क्षेत्र की इन घटनाओं की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहता है।

बांग्लादेश सीमा सम्बन्धी मुद्दे
आरएसएस कार्यकारी मण्डल का मानना है सितम्बर 2011 में बांग्लादेश के साथ हुई वार्ता में राष्ट्रीय हितों की ओर पूरा ध्यान नहीं दिया गया है। असम व प. बंगाल की कई हजार एकड़ भारतीय भूमि को यह कहकर बांग्लादेष को सौंपना कि ‘‘वहाँ पर उनका अवैध अधिकार पहले से ही है’’, किसी भी तरह उचित नहीं माना जा सकता।

भूमि की अदला-बदली में कम भूमि पाकर अधिक भूमि देने की बात विवेकहीन व अस्वीकार्य है। कार्यकारी मण्डल की माँग है कि बाँग्लादेष से होने वाले समझौतों में राष्ट्रीहित, एकता और क्षेत्रीय अखण्डता के मुद्दों को सर्वोपरी रखा जाना चाहिए।
सुरक्षा सम्बन्धी इन चुनौतियों के चलते अ.भा.कार्यकारी मण्डल सरकार से आग्रह किया है कि वह भारत-तिब्बत सीमा सहित देश की सम्पूर्ण थल सीमा, सामुद्रिक सीमा, वायु सीमा, अंतरिक्ष व समग्र सामुद्रिक क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु प्रभावी कदम उठाए। साथ ही अलगाववाद, आतंकवाद व अवैध घुसपैठ जैसी सभी सुरक्षा सम्बन्धी चुनौतियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करे।

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