हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि कलियुग के ५००० (5000) वर्षों बाद गंगा नहीं रहेगी। चाणक्य नीति में भी इसका उल्लेख है। कलि..
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरुवार को भव्य पथ संचलन ने 10 वर्ष पहले के ‘राष्ट्र शक्ति संगम’ को साकार किया। चौगान स्टेडियम में एकत्र स्वयंसेवकों का पथ संचलन 11:30 बजे शुरू हुआ।
स्थापना दिवस : 3 संचलन, 2 संगम
पहले दो
संचलनों का संगम दोपहर 12:13 बजे न्यू गेट पर हुआ। इसके बाद तीसरे
संचलन का इस संगमित संचलन से फिर एक और बड़ा संगम बड़ी चौपड़ पर हुआ।
अब समानांतर रूप तीनों संचलन यहां से रामगंज बाजार, रामगंज चौपड़,
हीदा की मोरी होकर सूरजपोल गेट से दोपहर 12:50 बजे अनाज मंडी पहुंचे।
यहीं से विसर्जित हुआ संचलन का यह भव्य स्वरूप। पथ संचलन में करीब
1000 बाल स्वयंसेवक शामिल थे।
1 किमी से अधिक की दूरी अग्रिम से अंतिम स्वयंसेवक के बीच
5034 स्वयंसेवक चौगान स्टेडियम में सूर्यनमस्कार के समय
6500 स्वयंसेवक संचलन में शामिल हुए
5.25 किमी की दूरी में निकले त्रिपोलिया व किशनपोल से गुजरने वाले
संचलन
6.25 किमी की दूरी तीसरे संचलन की ब्रह्मपुरी से चांदी की टकसाल
तक
125 वाहन, 3 वाहन शस्त्रों से सुसज्जित
हर बार ये होता था
संघ की विभिन्न शाखाओं के स्वयंसेवक शहर के अलग अलग भागों में पथ
संचलन करते थे। इससे इनका संख्या बल कम दिखाई देता था और इसको लेकर
सवाल उठने शुरू हो गए थे। पंथ संचलन का संगम भी पहले ये किसी एक स्थान
पर करते थे।
और दस साल पहले
दस साल पहले जयपुर में राज्य भर के करीब एक लाख स्वयंसेवक एकत्र हुए।
इस दौरान आयोजित ‘राष्ट्र शक्ति संगम’ के जरिए उन्होंने संगठन की ताकत
का एहसास कराया। उस समय भी शहर के विभिन्न संघ स्थानों से पथ संचलन
निकला। ये संचलन अमरूदों के बाग में एकत्र हुआ था।
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