कई सौ साल पहले भारत को दुनिया भर में सोने की चिडि़या माना जाता था, लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों ने इसे लूटा-खसोटा और इसके धन..
अब भारत में भी 300 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन, डेडिकेटेड कॉरिडोर की जरूरत

अगर आप से यह कहा जाए कि जल्दी ही भारत में भी रेल गाड़ियां 300
किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फर्राटा भरती नजर आएंगी तो शायद
आपको यह मजाक जैसा लगेगा। लेकिन जनाब यह हकीकत में होने जा रहा है।
रेल मंत्रालय की तरफ से इस सिलसिले में एक प्रोजेक्ट ड्राफ्ट तैयार कर
लिया गया है।
इस ड्राफ्ट में कई ऐसे रुट्स का चयन किया गया है जहां ट्रेनों की
रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटे तक की होगी। सूत्रों का तो यह भी कहना
है कि संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान इस मामले से जुड़ा बिल
संसद में पेश किया जा सकता है।
खबर है कि फिलहाल इस बिल के ड्राफ्ट को लॉ मिनिस्ट्री, अर्बन
डेवलपमेंट मिनिस्ट्री, वित्त मंत्रालय और प्लानिंग कमीशन के पास भेजा
जा रहा है। ताकि इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर इन मंत्रालयों के विचार का
पता लगाया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि भारत में हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए खास
डेडिकेटेड कॉरिडोर बनाने की जरूरत पड़ेगी। और ऐसे कॉरिडोर के एक
किलोमीटर की निर्माण कार्य पर करीब 100 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। ऐसे
में इस बिल के ड्राफ्ट को संसद में पेश करने से पहले सभी महत्वपूर्ण
मंत्रालयों के विचार जानना बेहद जरूरी है।
Share Your View via Facebook
top trend
-
कैसे बने भारत फिर सोने की चिड़िया? देश से बाहर है 1400 अरब डॉलर?
-
भारतवासियों ने विश्व को कपड़ा पहनना एवं बनाना सिखाया है : भारत का स्वर्णिम अतीत
पूर्णतः दोषी आप नहीं है, संपन्नता एवं उन्नति रूपी प्रकाश हेतु हम पूर्व की ओर ताकते है किंतु सूर्य हमारी पीठ की ओर से निकलत..
-
हिंदुओं के लिए काम करने की सजा, मां के सामने कपड़े उतारने की धमकी देते थे : असीमानंद
पंचकूला धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने वालों हिंदुओं को वापस अपने में धर्म लाने के कारण केंद्र सरकार, एनआइए, सीबीआई एवं अन्य ज..
-
आरटीआई में बदलाव का विरोध करेगी भाजपा
सरकार को पारदर्शी बनाने के लिए सूचना का अधिकार [आरटीआई] कानून को प्रभावी हथियार बताते हुए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्..
-
शास्त्र को शस्त्र अथवा हथियार ना बनाओ - अष्टावक्र
ज्ञान ही शक्ति है। इसलिए ज्ञान का उद्देश्य "सभी का समान रूप से लाभ" होना चाहिए। लेकिन अगर ज्ञान किसी के अहंकार..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)