नई दिल्ली, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पहरे की शुरुआती योजना तैयार हो गई है। सरकार ने फैसला किया है कि सोशल नेटवर्क और इंट..
चौतरफा महंगाई की मार, महंगे पेट्रोल के लिए फिर हो जाइए तैयार?
चौतरफा महंगाई की मार झेल रही आम जनता को जल्द ही जोर का झटका लग
सकता है। तेल कंपनियां एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के
बारे में सोच रही हैं। वजह फिर वही। यानी पिछली बार की तरह इस बार भी
डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी को ही वजह बताया जा रहा है। गुरुवार
को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने 2 साल के निचले स्तर पर है। रुपया करीब
49 (48.830) रुपये पर कारोबार कर रहा है। रुपये की इस कमजोरी की मार
आम जनता पर जल्द पड़ सकती है। उन्हें महंगा पेट्रोल खरीदने को तैयार
हो जाना चाहिए। गौरतलब है कि जून 2010 में पेट्रोल के दाम नियंत्रण
मुक्त होने के बाद 9 बार बढ़ चुके हैं। अब तक यह 39 फीसदी बढ़कर 66.84
रुपए प्रति लीटर गया है।
जानकारों के मुताबिक , हाल ही में पेट्रोल की कीमत में की गई 3.14
रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की अंडर
रिकवरी तो बंद हो गई है। लेकिन , दुनिया में मंदी की आहट की खबर और
डॉलर की मजबूती के चलते इन कंपनियों के ऊपर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा
है। इनका नुकसान फिर बढ़ने लगा है। मौजूदा समय में डॉलर के मुकाबले
रुपए की कीमत 48.50-49.00 रुपए के आसपास चल रही है और इंटरनैशनल
मार्केट में डॉलर की बढ़ती मांग देखते हुए लग रहा है कि आने वाले
दिनों में रुपए के ऊपर दबाव और बढ़ेगा। गौरतलब है कि सितंबर के पहले
वीक में रुपए की कीमत 46-47 रुपए के आसपास चल रही थी।
16 सितंबर को ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में 3.14
रुपए प्रति लीटर की बढ़ाई थी। इससे पहले 15 मई को पेट्रोल के दाम 5
रुपए प्रति लीटर तक बढ़ाए थे। ऐसे में अब अगर पेट्रोल की कीमत में
इजाफा किया जाता है , तो यह आम लोगों पर सबसे बड़ी मार होगी।
गौरतलब है कि पहले पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि इंटरनैशनल मार्केट
में कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करती थी , लेकिन डी-कंट्रोलिंग के
बाद अब रुपए की कमजोरी और मजबूती का असर भी पेट्रोल के दामों पर देखा
जा रहा है।
Share Your View via Facebook
top trend
-
सोशल मीडिया पर पहरे की शुरुआती योजना तैयार
-
अन्ना के बाद अब दिग्विजिय सिंह गए मौन व्रत पर, मीडिया में मचा हड़कंप - फ़ेकिंग न्यूज़
Oct 18 2011 01:20:00 PM| अन्ना हज़ारे को मौन व्रत पर गए अभी एक दिन भी नहीं बीता कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी मौ..
-
राष्ट्र जीवन की समस्याएँ - प. दीनदयाल उपाध्याय
भारत में एक ही संस्कृति रह सकती है; एक से अधिक संस्कृतियों का नारा देश के टुकड़े-टुकड़े करके हमारे जीवन का विनाश कर देगा। ..
-
प्लास्टिक से बनाई सड़कें...
भारतीय शहरों का ज़िक्र हो और सड़कों की बात चले तो ध्यान आती हैं टूटी-बदहाल सड़कें और बड़े-बड़े गड्ढ. ये सड़कें न सिर्फ ज़ि..
-
नंगे सच को धर्मनिरपेक्षता के कपड़े पहनाने का प्रयास
मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के सच को सामने लाने पर एक समूह विशेष द्वारा आजतक को जमकर निशाना बनाया जा रहा है। इस स्टिंग ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)