2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंत्रियों के समूह (जीओएम) के टर्म्स ऑफ रिफरेंस (टीओआर अथव..
'अन्ना का आंदोलन जनता के लिए खतरा, कुछ हजार की भीड़ से नहीं बन सकते जनता की आवाज' : शशि थरूर
जन लोकपाल बिल पर सरकार को झुकाने वाले अन्ना हजारे पर अब
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने निशाना साधा है। पहली बार सांसद बने,
पूर्व विदेश राज्य मंत्री थरूर ने कहा, 'जो आदमी कभी चुनाव नहीं लड़ा
हो, वह कैसे जनता की आवाज होने का दावा कर सकता है।'
थरूर ने कहा कि देश में कानून बनाने का काम संसद का है और उसी को करने
देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'गैर निर्वाचित लोगों के छोटे से समूह को
अपनी मर्जी संसद पर थोपने की इजाजत नहीं दी जा सकती, क्योंकि आगे चल
कर इसका खामियाजा आप ही को, यानी जनता को उठाना पड़ेगा।' उन्होंने
कहा कि लोकतंत्र रामलीला मैदान या टेलीविजन स्टूडियो से नहीं चलाया
जा सकता, यह संसद के दोनों सदनों से ही चलेगा।
थरूर ने कहा कि देश में 500 से ज्यादा सांसद और विधानसभाओं में
हजारों निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं। ये लोग जनता से वोट मांगते हैं और
उनके मिले समर्थन को सहेज कर रखते हैं। ऐसे में अगर ये लोग जनता की
आवाज होने का दावा नहीं करेंगे तो क्या वे लोग करेंगे जिन्होंने कभी
चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि ढेर सारे टीवी कैमरे सामने जुटवा लिए और कुछ
हजार लोग मैदान में बिठा लिए। क्या वही जनता की आवाज बनेगा? यही
लोकतंत्र है?
थरूर ने मंगलवार रात को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों
को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। वह 'उदारीकरण के 20 साल' विषय पर
बोलने के लिए बुलाए गए थे। बुधवार दोपहर को उन्होंने सोशल नेटवर्किंग
साइट ट्विटर के जरिए यह जानकारी दी कि वह जेएनयू में बहस में बतौर
वक्ता गए थे। उन्होंने कार्यक्रम की कुछ तस्वीरों की एक लिंक
पोस्ट करते हुए बताया कि न तो लिखित भाषण था और न ही इसकी रिकॉर्डिंग
हो सकी, लेकिन कुछ तस्वीरें जरूर ली गईं।
Share Your View via Facebook
top trend
-
एक्सक्लूसिवः 2जी घोटाले में प्रधानमंत्री की भी भूमिका! अमेरिका में आपात बैठक
-
मस्जिद बनाने के लिए अरबों की जमीन व दिल्ली का सरकारी खजाना लुटाने की तैयारी
मस्जिद बनाने को अरबों की जमीन व सरकारी खजाना लुटाने की तैयारी दिल्ली के मुसलमान नेताओं को खुश करने में जुटीं शीला दीक्षि..
-
मिले सुर मेरा तुम्हारा : पंडित भीमसेन जोशी
पंडित भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। वह किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे। ..
-
गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति में राज्यपाल की नीयत पर सवाल
राज्यपाल का पद एक बार फिर विवादों में है। इस बार गुजरात की राज्यपाल की नीयत पर उंगली उठाई जा रही है। घटना की पृष्ठभूमि में..
-
अजमेर धमाकों में संघ को बदनाम करने के लिए एनआईऐ ने दिया था १ करोड़ की रिश्वत का प्रस्ताव
अजमेर धमाकों के दो आरोपियों ने अलग अलग दाखिल याचिकाओं में ऐसी बात कह दी है जो पूरे राष्ट्र और प्रत्येक राष्ट्रभक्त के लि..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)