शनिवार को संसद के दोनों सदनों में लोकपाल पर सार्थक बहस और प्रस्ताव पारित होने के बाद गांधीवादी अन्ना हजारे आज रविवार को दस..
यशवंत और शत्रुघ्न सहित तीन भाजपा सांसदों की इस्तीफे की पेशकश
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पार्टी के गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा सहित भाजपा के तीन नेताओं ने संसद की सदस्यता से इस्तीफे देने की पेशकश की. ऐसी पेशकश करने वाले तीसरे सांसद उदय सिंह हैं.
इन सांसदों ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में आरोप लगाया कि पार्टी लोकपाल मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने में असमर्थ रही है. यह बैठक सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक और चालू सत्र में रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई थी.
हजारीबाग से सांसद और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महज अन्ना हजारे के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त करने और उनसे अनशन समाप्त करने की अपील किये जाने पर आश्चर्य जताया. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भाजपा को इस विषय पर स्पष्ट रुख अख्तियार करना चाहिए और हजारे मामले में जुबानी जमाखर्च से काम नहीं चलेगा.
वरिष्ठ भाजपा नेता एसएस आहलुवालिया ने हालांकि यशवंत सिन्हा के इस्तीफे की पेशकश को कमतर करने का प्रयास करते हुए बैठक के बाद संवददाताओं से कहा कि इस बैठक में कई तरह के विचार सामने आए और अंतिम प्रस्ताव वास्तव में अहमियत रखता है. इस प्रस्ताव में प्रभावी लोकपाल विधेयक लाने और अन्ना से अनशन समाप्त करने का आग्रह किया गया है
तीनों सांसदों ने पार्टी मंच पर विभिन्न मुद्दों पर भाजपा के रुख पर असहमति के स्वर उठाये. शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा के वरिष्ष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की उस मांग का समर्थन किया जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग की गई थी, हालांकि इस मांग पर पार्टी के भीतर उन्हें कोई खास समर्थन नहीं मिला था.
आहलुवालिया ने कहा, ‘भाजपा अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ है. पार्टी अन्ना के गिरते स्वास्थ्य से चिंतित है और उनसे अनशन समाप्त करने का आग्रह करती है क्योंकि उन्हें भविष्य में भी देश के लिए काम करना है. हम उनके साथ हैं.’
उन्होंने इस सवाल पर कुछ भी कहने से से इनकार कर दिया जिसमें पूछा गया था कि क्या भाजपा जन लोकपाल विधेयक के सभी प्रावधानों का समर्थन करती है. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को आहलुवालिया ने कहा था कि भाजपा अन्ना के जन लोकपाल विधेयक के प्रारूप को ‘जस का तस’ मानने और इसे पारित करने की समय सीमा तय करने से सहमत नहीं है.
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