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इटली से आए हुए जहाज़ पर सवार, दम्भी और अकडू किस्म के कैप्टन
जिन्होंने भारतीय जल सीमा में भारत के दो गरीब नाविकों को गोली से उड़ा
दिया था, उनकी याद तो आपको होगी ही...
गत सप्ताह भारत सरकार ने भारी दयानतदारी दिखाते हुए "अपनी जमानत" पर
उन्हें क्रिसमस मनाने के लिए इटली जाने हेतु केरल हाईकोर्ट में अर्जी
दाखिल की थी, जिसे हाईकोर्ट ने, इस शर्त पर कि ये दोनों कैप्टन १८
जनवरी से पहले वापस भारत आकर मुक़दमे और जेल का सामना करेंगे...
स्वीकार कर लिया...
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि, जब भारत सरकार "मानवता के नाते" (?) इन
नौसनिकों की गारंटी ले रही है, तो इन्हें ६ करोड रूपए की जमानत पर
छोड़ा जा सकता है. सवाल उठता है कि क्या ये नौवहन कर्मचारी इटली के
अलावा किसी और देश के होते, तब भी भारत की सरकार इतनी दयानतदारी
दिखाती? इस "खतरनाक परम्परा" से तो यह भी संभव है कि पाकिस्तान या
बांग्लादेश का का कोई नागरिक "ईद" मनाने के लिए जमानत माँग ले...
देखना यह है कि चोरी, अधिक समय तक देश में रुकने, या छोटे-मोटे
अपराधों के जुर्म में कैद भारतीय नागरिक यदि दीपावली मनाने भारत आना
चाहे, तो क्या "मानवता के नाते", भारत की सरकार उस नागरिक की मदद
करेगी?
"गांधी के सिद्धांतों की सच्ची अनुयायी भारत सरकार" ने यह तथ्य
जानते-बूझते हुए इटली के उन कैप्टंस को क्रिसमस मनाने के लिए अपने देश
जाने की इजाज़त दी है कि, इटली की जेलों में कैद 109 भारतीयों के बारे
में इटली सरकार दया दिखाना तो दूर, उनकी जानकारी तक देने को तैयार
नहीं है... जबकि हमारे यहाँ कैद इटली के इन जहाजियों को पांच सितारा
सुविधाओं के साथ एक गेस्ट हाउस में "कैद" (?) करके रखा गया था.
संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वयं शशि थरूर ने लिखित में
स्वीकार किया है कि बांग्लादेश में ३२७, चीन में १६९, इटली में १०९,
कुवैत में २२८, मलेशिया में ४५८, नेपाल में ३६५, पाकिस्तान में ८४२,
क़तर में ३६६, सौदे अरब में १२२६, सिंगापुर में २२५, संयुक्त अरब
अमारात में १०९२, ब्रिटेन में ३३७, अमेरिका में १९३ भारतीय नागरिक
सम्बंधित देशों की जेल में बंद हैं...
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भारत सरकार का विदेशों में ऐसा "जलवा" है कि इनमें से इटली, ब्रिटेन,
सउदी अरब, जैसे कुछ देशों ने भारतीय कैदियों की पूरी जानकारी देने से
मना कर दिया... और भारतीय विदेश राज्यमंत्री को उलटे पाँव भगा
दिया...
लगता है भारत में सारी सुविधाएं और मानवता, पाकिस्तान से आने वाले
कसाब-अफजल टाइप के "मेहमानों", इटली के नागरिकों और "पवित्र परिवार"
के दामादों के लिए ही आरक्षित हैं...
स्रोत : www.idsa.in/system/files/Indianslanguishin...
- सुरेश चिपलूनकर (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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