अरबों का धन और अन्न लुटाने पर भी भारत के विरुद्ध खड़े होंगे अफगान

Published: Sunday, Oct 23,2011, 12:40 IST
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अफगानिस्तान, पाकिस्तान, युद्ध में भाई, २.५ करोड़ टन गेंहूँ एवं ५० करोड़ डॉलर का दान , India, Pakistan, Afghanistan, Wheat, Dollar, Karzai

कहते हैं गुरु का स्थान भगवान् के समकक्ष होता है और संकट के समय में सहायता करने वाला ही सच्चा मित्र होता है | भारतीय संस्कृति की इन्ही कतिपय विशेषताओं ने हमें संकटों से जूझने की शक्ति दी, परन्तु ४ वर्ष तक भारत में रह कर देवभूमि हिमाचल के शिमला विश्वविद्यालय से राजनीति का पाठ पढ़ कर निकले और उसी राजनीति विद्या से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बने हामिद करज़ई गुरुऋण का अर्थ नहीं जान पाए |
 
गुरु ऋण तो क्या, वे सन्मित्र की महत्ता भी नहीं समझ पाए | यह वही भारत है जिसने गत जून महीने में अपनी संसद से घोषणा की कि वह दुर्भिक्ष से जूझते अफगानिस्तान के भूखे बच्चों का पेट भरने के लिए ढाई लाख टन गेंहूँ देगा | ये वही भारत है जो गत दस वर्षों में अफगानिस्तान को डेढ़ अरब डॉलर (७५ अरब रुपये) की आर्थिक सहायता दे चुका है और इसी मई में जिसने ५० करोड़ डॉलर ( २५ अरब रुपये ) की अतिरिक्त सहायता देने का वचन भी अफगानिस्तान को दिया |
 
लेकिन भारत से विद्या का दान, भारत से धन का अनुदान, और भारत से ही अन्न का वरदान लेने वाले अफगानिस्तान ने विषैले नाग की भाँति भारत पर ही अपना फन फुँफकारा है | अफगानी राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कहा है कि यदि भारत या अमेरिका उसक 'भाई' पाकिस्तान पर आक्रमण करते हैं, तो युद्ध में वह पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा | यह बात उन्होंने पाकिस्तान के जियो टीवी को दिए एक साक्षात्कार में की | करज़ई ने कहा कि वह भाई पाकिस्तान के साथ कभी 'धोखा' नहीं करेंगे |
 
इसी बीच एक अन्य घटनाक्रम में भारत ने अपना मत पाकिस्तान के पक्ष में डाल कर पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यता दिलवा दी है | सरकार के इस कदम को जानकारों ने बुद्दिमत्तापूर्ण नहीं माना है |  परन्तु इन घटनाओं से अभी कुछ दिन पहले ही भारत का आतिथ्य स्वीकार कर गए करज़ई ने इस एक वक्तव्य से अपने गुरु-द्रोह, अपनी कृतघ्नता और मित्र द्रोह का तो घृणित उदहारण प्रस्तुत किया ही, "तव उर कुमति बसी विपरीता, हित अनहित, मानहु रिपु प्रीता" को भी चरितार्थ कर दिया |
 
आई.बी.टी.एल. विशेष

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