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भारत-अफगानिस्तान के बीच सुरक्षा से जुड़े मामलों में समझौता भारत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। दरअसल, भारत और अफगानिस्तान के बीच हुए समझौते से पाकिस्तान तिलमिला गया है और वह भारत के खिलाफ अपनी अघोषित जंग में तेजी ला सकता है।
अफगानिस्तान के भारत के करीब आने से पाकिस्तान बेहद चिंतित है। जानकार मानते हैं कि भारत और अफगानिस्तान के बीच नजदीकियां बढ़ने से पाकिस्तान की उस रणनीति को धक्का पहुंचा है, जिसमें वह अफगानिस्तान के साथ मिलकर भारत के बड़ी ताकत बनने की राह में रोड़ा पैदा करने की कोशिश करता रहा है। पाकिस्तान के दक्षिणपंथी माने जाने वाले अख़बार ' द नेशन' ने भारत और अफगानिस्तान के बीच करार को बेहद चिंताजनक करार दिया है और कहा है कि इससे संदेह और बढ़ेगा। अखबार के मुताबिक, अगर वह (करजई) अपने देश का विकास चाहते हैं तो इससे (भारत और अफगानिस्तान के बीच समझौते से) न तो पाकिस्तान को कोई फायदा होगा और न ही अफगानिस्तान को।
पाकिस्तान की सैन्य विशेषज्ञ आयशा सिद्दीकी ने कहा, इस समझौते से भारत और पाकिस्तान के बीच अफगानिस्तान में अप्रत्यक्ष जंग (प्रॉक्सी वॉर) में तेजी आएगी। भारत अफगानी सैनिकों को प्रशिक्षण देगा और पाकिस्तान इसे अपने हित में नहीं समझता है।
अफगानिस्तान ने दावा किया था कि हाल ही में वहां के पूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की हत्या की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और पाकिस्तान मामले की जांच में बाधा पहुंचा रहा है। भारत से खतरे की आशंका के चलते पाकिस्तान बहुत पहले से अफगानिस्तान को लेकर सक्रिय है। इसमें 80 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ अफगानी लड़ाकों को हथियार वगैरह मुहैया कराया जाना, 90 के दशक में अफगानिस्तान में तालिबान की मदद करना और 2000 के बाद इसको संरक्षण देने का सिलसिला जारी है।
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