समाज के 100% व्यक्ति को आज अनिष्ट शक्तियों (सूक्ष्म आसुरी शक्ति) द्वारा कष्ट है, ऐसे कष्ट के उपाय हेतु योग्य प्रकार से ..
मूर्ख और भयावह थीं इंदिरा गांधीः जैकलिन कैनेडी पत्नी जॉन एफ कैनेडी
वॉशिंगटन ।। एक नई पुस्तक में दावा किया गया है कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी और उनकी पत्नी जैकलिन को पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी से मिलकर खास खुशी नहीं हुई थी। इंदिरा तो जैकलिन को बिल्कुल नापसंद थीं। उन्होंने इंदिरा को मूर्ख और भयावह तक कहा है।
नेहरू नवंबर, 1961 में जब अमेरिका गए थे तब कैनेडी ने उसे किसी 'राष्ट्राध्यक्ष की सबसे बुरी यात्रा' कहा था। बाद में बतौर प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के अंतिम दिनों के संदर्भ में उन्होंने टिप्पणी की थी यह ऐसा ही है 'जैसे कोई नगर उपदेशक वेश्यालय में पकड़ा गया हो।'
कैनेडी को नेहरू की संगति नहीं सुहाती थी और उनकी पत्नी प्रधानमंत्री की बेटी इंदिरा गांधी से नफरत करती थीं। हालांकि इस प्रथम दंपती को भारत में तत्कालीन राजदूत जॉन कीनेथ गालब्रीयथ द्वारा भेजे गए राजनयिक संदेशों में विशेष दिलचस्पी थी, क्योंकि वे उसे साहित्य का बढि़या नमूना मानते थे।
हाल की नई पुस्तक 'जैकलिन कैनेडीः हिस्टॉरिक कनवरसेशन ऑन लाइफ विद जॉन एफ कैनेडी' में अमेरिकी राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया है कि वह सत्ता में नेहरू के अंतिम दिनों के बारे में कहा करते थे कि यह ऐसा ही है 'जैसे कोई नगर उपदेशक वेश्यालय में पकड़ा गया हो।' सन 1964 में जैकलिन कैनेडी से लिए गए साक्षात्कार पर आधारित यह पुस्तक आमेजन, बारनेस और नोबेल्स में बेस्ट सेलर है।
1961 में नेहरू की अमेरिका यात्रा पर इस पुस्तक में दावा किया गया है कि तब यह फैसला किया गया कि भोजन कक्ष में पुरुष भोजन करेंगे और जैकी, इंदिरा और अन्य महिलाएं बैठक वाले कक्ष में खाना खाएंगी। इस यात्रा के दौरान नेहरू के साथ इंदिरा भी गई थीं।
पुस्तक के अनुसार जैकी ने कहा, 'वाकई, उसे (इंदिरा को) यह पसंद नहीं आया। वह पुरुषों के साथ रहना चाहती थी। और वह वास्तव में अवांछित, भयानक और महत्वकांक्षी महिला थी। वह हमेशा ऐसे लगती थी मानो नीबू चूस रही हो।'
कैनेडी की पत्नी आगे कहती हैं, 'सत्ता के आखिरी दिनों में नेहरू की छवि काफी बदल गई थी।' जैकी ने कहा कि वह दोपहर के खाने से पहले ड्रिंक के लिए गए और नेहरू ने एक भी शब्द नहीं बोला। उनके मुताबिक कैनेडी नेहरू के इस दौरे से निराश थे। वह कहती हैं, 'मेरा मानना है कि कैनेडी और नेहरू की मुलाकातों का कोई नतीजा नहीं निकला। मुलाकात के वक्त कई लोग छत की ओर देख रहे थे।'
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