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गुजरात दंगा मामले में दो ब्रिटिश राजनयिकों को समन
गोधरा ट्रेन नरसंहार के बाद हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने दो ब्रिटिश राजनयिकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये 23 नवंबर को अपने समक्ष गवाही देने के लिए समन जारी किया है। गुजरात के साबरकांठा जिले में दंगों में तीन ब्रिटिश नागरिकों सहित चार व्यक्ति मारे गए थे। दोनों राजनयिकों को इसी मामले में गवाही के लिए समन जारी किया गया है। साबरकांठा अदालत की विशेष जज गीता गोपी ने भारत में पूर्व में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त रहे इयान रेकेस और होवार्ड पार्किन्सन को सम्मन जारी कर उन्हें अगले माह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपने समक्ष गवाही देने को कहा है।
ब्रिटिश सरकार ने अदालत को इस मामले में राजनयिकों से जिरह के लिए पिछले माह अनुमति दे दी थी। पूर्व ब्रिटिश राजनयिकों से जिरह इस मामले में मूल शिकायतकर्ता और मुख्य गवाह इमरान दाउद के आवेदन पर होगी। साबरकांठा में प्रांतिज के समीप जिन लोगों पर हमला हुआ था उनमें ब्रिटिश नागरिक इमरान दाउद भी थे। इमरान हमले में बच गए थे। दाउद के वकील एएम मलिक ने बताया कि मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने भी दोनों राजनयिकों से अभियोजन पक्ष के गवाहों के तौर पर पूछताछ करने के लिए सहमति दे दी थी।
प्रांतिज के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ पर तीनों ब्रिटिश नागरिकों सईद दाउद, मोहम्मद अस्वात नल्लाभाई, शकील दाउद और उनके गुजराती चालक यूसुफ सुलेमान को 28 फरवरी 2002 को जिंदा जला कर मार डाला गया था। दंगों के बाद सात साल बीत गए लेकिन शकील का शव नहीं मिला और उसे मृत घोषित कर दिया गया। घटना में बुरी तरह घायल इमरान को पुलिस के एक गश्ती दल ने बचा लिया था। बाद में उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई। मामले में इमरान और चार अन्य गवाह पहले ही अपने बयान दर्ज करा चुके हैं।
इमरान ने आवेदन में रेकेस से इस आधार पर जिरह की अनुमति मांगी थी कि जब मृतक के अवशेष एकत्र किए जा रहे थे तब वह जांच अधिकारी के साथ उपस्थित था। वह चाहते हैं कि अदालत पाकिन्सन का बयान दर्ज करे क्योंकि अधिकारी को एक गुमनाम पत्र मिला था, जिसमें आरोपी के नाम और घटना के बारे में जानकारी दी गई थी। पिछले माह अदालत ने ब्रिटिश नागरिक बशीर सूफी से जिरह की थी। सूफी ने बताया कि घटना के तत्काल बाद दो लापता व्यक्तियों की खोज के दौरान क्या हुआ था।
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