हर महीने हजारों जानें बचाता है ये 'हत्यारा हिटलर'

Published: Monday, Jan 30,2012, 19:11 IST
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मानवता की यात्रा विरोधाभासों और विडंबनाओं का ही दूसरा नाम है | युग कोई भी हो, एक से एक विडंबनाएं देखने को मिल जाएँगी | प्राचीन काल में यहाँ पवित्रता की मूर्ति माता सीता पर चरित्रलोप का लाँछन लगाया गया, तो आधुनिक काल में शांति का सर्वोच्च पुरस्कार नोबेल डायनामाइट के आविष्कारक के नाम पर दिया जाता है | और ईश्वर की तलाश में युवावस्था में घर त्याग के २ वर्ष वनवास करने वाले नरेन्द्र मोदी को "मास मर्डरर" और हिटलर कहा जाता है |

जो लोग मोदी को जानते हैं, उन्हें मसीहा कहते हैं, वही एक वर्ग ऐसा भी है जो मोदी को मास मर्डरर अर्थात जन-हत्यारा कहता है | १० वर्ष तक देश का मीडिया एक व्यक्ति को चिल्ला चिल्ला कर हत्यारा बताता रहा जबकि उसके विरुद्ध एक एफआईआर तक दर्ज नहीं है | पर इस बीच मोदी चुप चाप अपने गुजरात का विकास करते रहे और जनता के दिलों पर राज करने लगे | मोदी का विकास केवल शहरों तक सीमित नहीं रहा, पानी की कमी वाले गुजरात में ९.६% की कृषि विकास दर अर्जित कर के मोदी ने असंभव को संभव कर दिखाया | गुजरात के सांस्कृतिक गौरव को भी उन्होंने विकास की आँधी में खोने नहीं दिया और तरह तरह के उत्सवों से जनता को जोड़ कर उसे भी एक नया आयाम दिया |

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In Eng : This 'mass-murderer' saves a thousand lives every month
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मोदी के घोर विरोधी मीडिया और राजनैतिक दलों को भी उनके विकास की प्रशंसा करने के लिए विवश होना पड़ा | संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका तक को मोदी का लोहा मानना पड़ा | पर फिर भी, मोदी को हत्यारा कहने वाले चुप नहीं हुए | सच्चाई ये है कि मोदी की जनकल्याण और स्वास्थ्य क्षेत्र में चलायी गयी केवल एक ही योजना को उठा लें, तो उसी योजना से मोदी ने गत ५ वर्षों में लगभग एक लाख जानें बचायी हैं | पर टोपी न पहनने और चुनाव प्रचार के लिए पंजाब न जाने जैसी व्यर्थ की बातों में समय गंवाने वाले मुख्यधारा के मीडिया को ये दिखाई नहीं देता | आईबीटीएल ने उस योजना पर एक दृष्टि डाली |

२००४-०५ में प्रसूति के केवल ५४% मामले ऐसे होते थे जहाँ अस्पताल में बच्चे का जन्म होता था | उसी संख्या को २०११ में मोदी ने ९०% तक पहुंचा दिया | ये चमत्कार संभव हुआ चिरंजीवी योजना से | इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की प्रसूता स्त्री को अस्पताल में भरती करवाया जाता है | सरकार ने इसके लिए चिकित्सकों से एमओयू किया है | इस योजना के अंतर्गत बच्चे के जन्म का सारा खर्च सरकार उठाती है तथा अस्पताल ले जाने, वापस घर ले जाने, और ३ दिन अस्पताल में रहने के लिए १००० रुपये की अतिरिक्त सहायता सरकार देती है | आंकड़ों के देखें तो इस योजना का ही परिणाम है कि इस कालखंड में २८००० बच्चों को जन्म लेते ही मरने से बचाया जा सका और ६०० माताओं को जन्म देते समय मरने से बचाया जा सका |

गुजरात सरकार केजी से कॉलेज तक प्रत्येक गरीब बच्चे का बीमा करवाती है | प्रत्येक वर्ष बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और लगभग १३०००-१४००० गरीब बच्चे हर साल ऐसे निकलते हैं जिन्हें गंभीर प्राणघातक बीमारी होती है और मुख्यमंत्री राहत कोष से ऐसे सभी बच्चों की चिकित्सा, शल्य-क्रिया आदि करवाई जाती है | इस योजना के अभाव में निर्धन परिवारों के ये बच्चे बीमारी से अनभिज्ञ ऐसे ही प्राण त्याग देते और माँ बाप उसे भगवान की इच्छा मान कर स्वीकार कर लेते | परन्तु एक योजना से और मुख्यमंत्री राहत कोष खोल देने से हर साल इन हजारों बच्चों की जान बचती है |

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पीने की पानी के लिए मोदी सरकार ने ७०० दिन में १४०० किलोमीटर पाईपलाईन डाली है जिससे ८००० गाँव में पानी पहुँचाया है | साबरमती नदी में नर्मदा का पानी पहुंचा कर अटल बिहारी वाजपेयी की नदियों को जोड़ने की योजना को साकार किया है | शुद्ध पानी पहुँचने से बीमारियाँ कम हो गयी हैं | भूखे गरीबों तक समाज के द्वारा खाना पहुंचाने के लिए मोदी ने एक और योजना चलाई | इसके अंतर्गत सभी लोगों को अपने रोज के दूध से "भगवान का हिस्सा" निकालने के लिए प्रोत्साहित किया गया और या दूध निर्धनतम परिवारों के कुपोषण से पीड़ित बच्चों तक पहुँचाया जाने लगा | सरकारी भ्रष्टाचार में उलझ कर जहाँ केंद्रीय योजनायें दम तोड़ देती है, ऐसे में गुजरात का ये प्रयास अति सराहनीय है |

मोदी की मानें तो पहले श्वेत क्रान्ति, फिर हरित क्रान्ति और अब ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बन कर केसरिया क्रान्ति कर चुके गुजरात ने तिरंगे के तीनों रंग भर दिए है | गुजरात के भाग्य बदल तो चुके हैं | भारत को अभी भी अच्छे दिनों की प्रतीक्षा है |

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