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तीस्ता सीतलवाड के पूर्व सहयोगी ने नानावटी आयोग को सौंपे झूठे शपथपत्र के प्रमाण
तीस्ता सीतलवाड कोई अपरिचित नाम नहीं है | ये वही है जिन्हें मीडिया के एक वर्ग ने 'न्याय की लड़ाई लड़ रही वीरांगना' के रूप में चित्रित किया, तब तक, जब तक न्यायालय में २२ गवाहों से झूठे प्रमाणपत्र दाखिल करवाने का मामला सामने नहीं आया। तब तीस्ता अग्रिम जमानत लेकर गिरफ्तारी से बची। [Zee News] फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई रोकी हुई है। तीस्ता को भारतीय न्याय-व्यवस्था में कितना विश्वास है, इसका प्रमाण उन्होंने दंगों के केवल ३ माह बाद अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग में इस विषय को उठा कर किया। इस कृत्या के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में उन्हें फटकार भी लगायी। [Outlook India]
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In Eng : Teesta’s own aid submits proof of
fake affidavits to Nanavati ...
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वैसे तीस्ता सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली भारत सरकार की
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सांप्रदायिक हिंसा निवारण विधेयक की
प्रारूपण समिति की सम्मानित सदस्या हैं। [NAC] मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने तो 'बेस्ट बेकरी
मामले के सम्बन्ध में उनके 'योगदान' के लिए उन्हें सम्मानित भी किया
था। राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तो 'मानवाधिकार' वालों का वैसे
भी बड़ा सम्मान होता ही है। हमारी यूपीए की भारत सरकार ने तीस्ता
सीतलवाड को 'राष्ट्र की प्रगति में उनके योगदान' को देखते हुए २००७
में उन्हें पद्म-श्री पुरस्कार भी दिया हुआ है।
अब पद्मश्री तीस्ता सीतलवाड पर समाचार है कि उनके अपने पूर्व सहयोगी
रईस खान जिन्होंने उन्ही की एनजीओ 'सेंटर फॉर पीस एंड जस्टिस में २८
फरवरी २००२ से १८ जनवरी २००८ तक काम किया, और जिन्होंने बाद में झूठे
शपथपत्र का सारा भंडाफोड किया था और तीस्ता को अग्रिम जमानत लेने पर
विवश किया था, उन्होंने नानावटी आयोग के सामने झूठे शपथपत्र सम्बन्धी
प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। यद्यपि रईस खान स्वयं भी न्यायालय के शिकंजे
में हैं। गत माह मेहसाना सत्र न्यायाधीश ने उनके विरुद्ध सरदारपुरा
दंगों के सन्दर्भ में शिकायत दर्ज करने के आदेश दिए।
आयोग को लिखे गए अपने पत्र में खान ने उन फोन वार्ताओं के प्रतिलेख
भेजे हैं जो पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार, जाकिया जाफरी के
बहनोई जाफरी सफ़दर, गुलबर्ग सोसाइटी दंगे के गवाह फिरोज खान पठान एवं
तीस्ता के सहयोगी सैयद खान पठान की बातें शामिल हैं। खान के अनुसार इन
सबसे यह सुस्पष्ट है कि सभी शपथपत्र झूठे थे, सभी गवाह पढ़ाए हुए थे
और तीस्ता ने झूठे अभियोग दर्ज करवाये। ऐसा उन्होंने अपने पत्र में
आयोग को लिखा है और आयोग से समुचित कार्यवाही करने का आग्रह किया
है।
भारत का एक आम नागरिक ये सोचने को विवश है कि २२ झूठे शपथपत्र दाखिल
करवाने की आरोपी, स्वयं वाहवाही बटोरने के लिए देश का सम्मान अमेरिका
जा कर गिरवी रखने वाली तथाकथित 'समाजसेविका' जिसे अपने अपराधों के लिए
संभवतः जेल में होना चाहिए, वो भारत के राष्ट्रपति से पद्मश्री ग्रहण
करती है और भारत की सवा अरब जनता के लिए एक ऐसा कानून बनाती है जिसका
विरोध हर वो व्यक्ति कर रहा है जिसने इसे पढ़ा है और जिसके कोई
राजनैतिक अथवा धार्मिक स्वार्थ इस कानून में नहीं हैं।
तीस्ता सीतलवाड के सहयोगी रईस खान का अक्टूबर २०१० के एक साक्षात्कार
का ८ मिनट का एक विडियो यूट्यूब पर उपलब्ध है जो इस मामले पर प्रकाश
डालता है। [YouTube Video]
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