आज कांग्रेस स्वामी रामदेव और अन्ना हज़ारे दोनों से एक साथ लोहा लेती नज़र आ रही है। लेकिन क्या वाक़ई कांग्रेस का इरादा इन द..
सर्वे: किरन बेदी के आगे नहीं टिकेंगे सिब्बल, लोगों ने बीजेपी पर भरोसा जताया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का आंदोलन गैर-राजनीतिक था, लेकिन इसका जबर्दस्त राजनीतिक असर दिख रहा है। टीम अन्ना के सदस्यों के खिलाफ जुबानी जंग छेड़ने और बार-बार चुनाव के मैदान में किस्मत आजमाने की धमकी देने वाले मंत्रियों और नेताओं के लिए ताजा सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं।
स्टार न्यूज और मार्केट रिसर्च कंपनी नीलसन के सर्वे में यह बात सामने आई है कि आंदोलन की लहर का फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलता दिख रहा है। अगर अभी लोकसभा के चुनाव हुए तो मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल अपनी सीट भी नहीं बचा पाएंगे। यही नहीं, इसकी वजह से कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का क्रेज भी घटा है। युवाओं की पसंद भी राहुल नहीं, अन्ना हैं।
आंदोलन से बीजेपी को फायदा
देश के 28 शहरों में कराए गए इस सर्वे में अभी चुनाव होने पर 32 फीसदी
लोगों ने बीजेपी को वोट देने की बात कही। सिर्फ 20 % ने कांग्रेस पर
भरोसा जताया। सर्वे में चौंकाने वाली बात यह है कि महज तीन महीने में
तस्वीर पूरी तरह बदल गई। आंदोलन से पहले मई, 2011 में कराए गए ऐसे ही
सर्वे में 30 % लोग कांग्रेस के पक्ष में थे, जबकि सिर्फ 23% ने ही
बीजेपी को वोट देने की बात कही थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में जिन
लोगों ने कांग्रेस पार्टी को वोट दिया था, उनमें से अब 11 % बीजेपी को
वोट देने के हक में हैं। वहीं, जिन लोगों ने बीजेपी को वोट दिया था
उनमें से महज़ 5% ही उनसे खिसक रहे हैं।
युवाओं का हीरो राहुल नहीं, अन्ना
अन्ना के आंदोलन से कांग्रेस के साथ-साथ राहुल गांधी की भी किरकिरी
हुई है। आंदोलन के दौरान चुप्पी साधने वाले राहुल जब संसद में बोले भी
तो उनके बयान को जनलोकपाल के खिलाफ माना गया। सर्वे में शामिल 54%
लोगों का कहना है कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का यह सही समय
नहीं है। अन्ना 78 % लोगों की पसंद हैं, जबकि सिर्फ 17 % लोग ने ही
राहुल को तरजीह दी है।यहां तक कि 18-25 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं में
भी राहुल की लोकप्रियता अन्ना से कम है।
किरन बेदी के आगे नहीं टिकेंगे सिब्बल
अगर अभी लोकसभा के चुनाव हुए तो मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल
अपनी चांदनी चौक सीट नहीं बचा पाएंगे। अगर उनका सामना पूर्व आइपीएस
किरन बेदी से हो गया, तब तो उन्हें बड़ी फजीहत का सामना करना पड़ सकता
है। सर्वे में लोगों से यह भी पूछा गया कि किरन बेदी बनाम सिब्बल के
मुकाबले में वह किसे चुनेंगे? आश्चर्यजनक रूप से 74 फीसदी ने बेदी को
चुना। सिब्बल सिर्फ 14 फीसदी वोट हासिल कर सके।
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