उत्तराखंड में जनसभा की मंजूरी नहीं, बाबा रामदेव ने कहा बीजेपी और सीपीआई को वोट दो
उत्तराखंड में जनसभा की परमिशन न मिलने से बाबा रामदेव ने कांग्रेस
पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी भ्रष्टाचार खत्म करने की बात
उठाने वालों पर हमला करती है, उसका चुनाव में बहिष्कार किया जाना
चाहिए। बाबा रामदेव ने बीजेपी और सीपीआई को वोट देने की अपील भी
की।
बाबा रामदेव ने कहा, 'पिछले दिनों तक देश के तीन-तीन प्रधानमंत्री,
राष्ट्रपति और पच्चीस मुख्यमंत्री भगवान की तरह उनकी पूजा करते थे।
लेकिन आज ऐसा क्या हो गया जो उन्हें सभा करने की परमिशन तक नहीं दी गई
और प्रशासन के अधिकारियों ने रिपोर्ट लगा दी कि सभा करने पर कानून और
व्यवस्था की समस्या आ सकती है।'
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि काले धन के मुद्दे को
उठाकर उन्होंने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया है कि आज उनके मुंह पर कालिख
लगाई जा रही है। उन्होंने कहा 'मैं कहता हूं कि मेरे पूरे मुंह पर
कालिख लगा दो लेकिन काला धन वापस ला दो।'
एक सवाल के जवाब में बाबा रामदेव ने कहा, 'मेरे निशाने पर कोई भी
पार्टी नहीं है लेकिन कुछ पार्टियों में जो राक्षस और गुंडे हैं उनके
निशाने पर मैं जरूर हूं।' उनसे जब यह पूछा गया कि किस पार्टी में
गुंडे और राक्षस हैं, जो उनको निशाना बनाए हुए हैं? तो उन्होंने कहा
कि भारतीय संस्कृति की सभ्यता में किसी का नाम लिए बगैर ही अपनी बात
कहने की परम्परा है। अन्य समस्त भारत स्वाभिमान समाचार पढ़ें !!
साभार नवभारत टाइम्स
Share Your View via Facebook
top trend
-
शरियत रैली पर हाई-कोर्ट की रोक, शरिया 4 हिन्द पर लग सकता है प्रतिबन्ध
-
इरोम ने कहा, अन्ना का आंदोलन बनावटी! कश्मीरी अलगाववादी ने मांगा हजारे का साथ
मणिपुर में पिछले 11 वर्षो से अनशन कर रहीं इरोम शर्मिला ने अन्ना हजारे के आंदोलन को बनावटी करार दिया है। सुरक्षा बलों ..
-
क्या विदेशी कंपनियों के आने से पूंजी आती है : राजीव दीक्षित
-
सलमान भाई आप हमारे यहां आते तो सस्ते में कर देता इलाज !
सलमान खान को होने वाला असहनीय दर्द और उनका ऑपरेशन उपराजधानी के उनके प्रशंसकों को थोड़ा परेशान किए हुए था। दरअसल, बॉलीवुड अ..
-
तस्करों के निशाने पर वन्य संपदा
भारत में तस्करों की पसंद वह नैसर्गिक संपदा है, जिसके प्रति भारतीय समाज लापरवाह हो चुका है। भारत में लगभग 45 हजार प्रजातियो..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)