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हर हिंदुस्तानी तक इलाज के साधन मुहैया कराना आवश्यक, बाबा रामदेव की मदद ले सरकार : योजना आयोग
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने भले ही रामलीला
मैदान में बाबा रामदेव पर लाठियां चलवाई हों, लेकिन योजना आयोग चाहता
है कि अब सरकार उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाए। आयोग ने स्वास्थ्य
क्षेत्र में अगली पंचवर्षीय योजना के लिए बनाई रिपोर्ट में ऐसी कई
सिफारिशें की हैं। इसने एलोपैथी के डॉक्टरों को भी आयुर्वेद और योग के
नुस्खे पढ़ाने को बेहद जरूरी बताया है।
योजना आयोग की स्वास्थ्य संबंधी संचालन समिति ने 12वीं पंचवर्षीय
योजना के दौरान हर हिंदुस्तानी तक इलाज के साधनों को मुहैया करवाना
बेहद जरूरी बताया है। इसने पाया है कि सिर्फ एलोपैथी के दम पर यह काम
पूरा नहीं किया जा सकता। इस लिहाज से आयुर्वेद, योग, यूनानी और
होम्योपैथी जैसी इलाज की विधियों की अधिक से अधिक मदद ली जानी चाहिए।
अपनी सिफारिशों में इसने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में काम कर रहे
बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ जैसे गैर सरकारी संगठनों के काम को
बढ़ावा देने के लिए इनकी मदद करने को जरूरी बताया है।
सरकार के लिए बाबा रामदेव जैसे योग और आयुर्वेद के गुरुओं की मदद लेना
क्यों जरूरी है, यह पूछे जाने पर समिति के एक सदस्य कहते हैं, 'सरकार
खुद ही दवा बनाने की विधि तय करे, दवा बनाए, सभी तक पहुंचाए और उन पर
नजर भी रखे, यह मुमकिन नहीं। इसके लिए गैर सरकारी संगठनों को आगे
बढ़ाना ही होगा। वे यह भी कहते हैं कि राजनीतिक विरोध अपनी जगह पर है,
लेकिन ऐसे कुछ संगठनों और लोगों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
इसी तरह आयोग चाहता है कि एलोपैथी के डॉक्टर अब योग और आयुर्वेद से
नाक-भौं सिकोड़ना बंद कर खुद भी अपने मरीजों पर इन्हें आजमाएं। उसने
साफ तौर पर सिफारिश की है कि एलोपैथी चिकित्सा के एमबीबीएस पाठ्यक्रम
में योग और आयुर्वेद को भी शामिल किया जाए। इसके मुताबिक आयुर्वेद,
योग, यूनानी, होम्योपैथी और सिद्धा जैसी पद्धतियों को शामिल करते हुए
अनिवार्य स्वास्थ्य पैकेज और लोक स्वास्थ्य के आदर्श माड्यूल तैयार
किए जाएं और उन्हें इन पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए।
प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पतालों का हवाला देते हुए इसने कहा है कि एम्स
जैसे अस्पतालों में भी आयुर्वेद और योग जैसी पद्धतियों के विशेषज्ञों
को जरूर शामिल किया जाना चाहिए। इलाज के साथ ही गंभीर बीमारियों के
मामले में उसके बाद की देख-भाल के लिए भी इसे जरूरी बताया है।
इस समय देश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के 7.87 लाख रजिस्टर्ड
डॉक्टर हैं। देश भर में ऐसे 3277 अस्पताल, 24289 दवाखाने, 489 कालेज
और 8644 दवा निर्माण इकाइयां चल रही हैं।
साभार [मुकेश केजरीवाल] दैनिक जागरण
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