महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में, नळदुर्ग के पास पारधीयों के, मरीआई समाज के लोगों की करीब तीस-पैतीस झोपड़ीयों की बस्ती है|..
दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में पुलिस ने ही सोते हुए लोगों पर लाठियां बरसाई। जिससे वहां भगदड़ मच गई और उसी में चोट लगने से मेरी शिष्या राजबाला की मौत हो गई। इसलिए दिल्ली पुलिस ही हत्यारी है और उसपर ही गैर इरादन हत्या का मामला बनता है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से ये बातें वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहीं।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान व न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ के सामने बहस शुरू करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा, दिल्ली पुलिस ने सोती हुई जनता पर लाठी चार्ज किया। पूरा मामला देखने से साबित होता है कि रात एक बजे रामलीला मैदान में बाबा रामदेव व उनके अनुयायी सो रहे थे। उनसे किसी भी तरह के उपद्रव या हंगामे की आशंका नहीं थी।
पुलिस पहले से कार्यवाही का मन बनाकर मैदान में घुसी थी इसीलिए वह लाठियां, आंसू गैस लेकर आई थी। इतना ही नहीं बसें भी लाई गई थी। इसका मतलब साफ है कि पुलिस रात में रामलीला मैदान खाली कराने के लिए आई थी। उन्होंने कहा कि पुलिस ने सोते हुए 20,000 लोगों को रात में जगाया और लाठियां बरसाना शुरू किया, जिससे वहां भगदड़ मच गई। इसे धारा 144 का आदेश पारित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। क्योंकि ऐसी परिस्थितियां वहां मौजूद लोगों ने नहीं पैदा की थीं। बल्कि पुलिस ने पैदा की थीं। इसलिए दोषी तो पुलिस होगी।
जेठमलानी ने कहा कि पुलिस ने अनुमति समाप्त करने के पीछे आधार दिया है कि वहां चारों ओर के क्षेत्र में अपराधियों और सांप्रदायिक तत्वों का जमावड़ा बढ़ रहा था। इससे अल्पसंख्यकों में भय हो सकता था। पुलिस ने सारी कार्यवाही अपने वरिष्ठों के निर्देश पर की थी और उनके पास इस बात के दस्तावेजी सबूत हैं कि किनके निर्देश पर कार्यवाही की गई। आपको बता दें कि सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में रामलीला मैदान में आधी रात को की गई पुलिस कार्रवाई पर सुनवाई शुरू हुई है। बहस अभी जारी है अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।
साभार वन इंडिया
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