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  • गंगा बचेगी, तभी हम बचेंगे - के. एन. गोविन्दाचार्य

    के. एन. गोविन्दाचार्य | Tuesday, Jul 24,2012, 16:15 IST .

    भारत के पौराणिक साहित्य से लेकर यहां की लोककथाओं तक में ऐसे कई प्रसंग मिल जाएंगे, जिसमें गंगा की अविरल धारा को उसी तरह त्रिकाल सत्य माना गया है, जैसे सूर्य और चंद्रमा को। लोग गंगा की धारा को अटूट सत्य मानकर कसमें खाते थे, आशीर्वाद देते थे। विवाह के समय मांगलिक गीतों में गाया जाता था, ‘जब तक गंग जमुन की धारा अविचल रहे सुहाग तुम्हारा।’ क्या आज इस गीत का कोई औचित्य रह गया है?
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  • कभी विदेशी मीडिया के दुलारे रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर विदेश से ही जोरदार प्रहार हो रहे हैं

    डा. विनोद बब्बर | Thursday, Jul 19,2012, 10:32 IST .

    कभी विदेशी मीडिया के दुलारे रहे हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर विदेश से ही जोरदार प्रहार हो रहे हैं तो प्रत्येक भारतीय को शंका है? सभी जानना चाहते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि मनमोहन सिंह आसमान से जमीन पर आ गए। कारण की विवेचना करने से पूर्व यह जानना जरूरी है कि पिछले हफ्ते प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका टाइम ने उन पर हमला बोलते हुए उन्हें 'अंडरअचीवर' घोषित किया था जबकि यही पत्रिका उन्हें ..

  • यदि चिदंबरम जनता को दोषी ठहराने का दुस्साहस करते हैं तो इस देश का भगवान ही मालिक है!

    डा. विनोद बब्बर | Tuesday, Jul 17,2012, 07:40 IST .

    भारत आश्चर्यो का देश है तभी तो यहाँ दोषी अपने अपराधबोध से ग्रस्त होने की बजाय दूसरो पर दहाड़ता है। अपनी गलतियों के लिए मेमने को दोषी ठहराकर उसे चट कर जाने की कथा यहाँ आज भी प्रचलन में हैं वरना महंगाई से त्रस्त जनता के घावों पर मरहम लगाने की बजाय उल्टा उन्हें ही कसूरबार ठहराने वाले माननीय मंत्री जी अब तक पद पर कैसे रहते। जी हाँ हम बात कर रहे हैं देश के गृहमंत्री पी. चिदंबरम की। उन्हें शायद माल..

  • भारत में विश्व जनसँख्या दिवस के मायने

    राजीव गुप्ता | Wednesday, Jul 11,2012, 18:16 IST .

    गत वर्ष 31 अक्टूबर 2011 को गैर सरकारी संस्थाओ के अनुसार भारत में 7 अरब वें बच्चे के जन्म के साथ विश्व की जनसँख्या 7 अरब हो गयी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के प्रतिनिधि ब्रूस कैम्पबेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में ने इस बढ़ती हुई आबादी को एक चुनौती मानते हुए कहा था कि "हमने जबकि मानव विकास के लिए ठोस बुनियाद तैयार की है लेकिन अमीर और गरीब के बीच मतभेद और गहरी खाई अभी भी कायम है..

  • सेतुसमुद्रम पर सियासत

    राजीव गुप्ता | Monday, Jul 09,2012, 17:57 IST .

    यू.पी.ए-2 सरकार दुविधा में है। इसकी पुष्टि तब हो गयी जब सरकार ने पचौरी रिपोर्ट पर अभी तक कोई स्टैंड नहीं लिया। ज्ञातव्य है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सेतु समुद्रम परियोजना पर गठित पर्यावरणविद् डॉ. आर.के. पचौरी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में समुद्री नहर के लिए वैकल्पिक मार्ग नंबर-4 ए पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से अनुकूल न पाते हुए खारिज करते हुए कहा है कि लिए..

  • सरबजीत पर पाकिस्तान का मानवीयता के साथ क्रूर मजाक

    राजीव गुप्ता | Saturday, Jun 30,2012, 10:02 IST .

    दोनों देशो में अचानक भरतमिलाप हो जाने की उम्मीद किसी को भी नहीं होनी चाहिए इसकी पुष्टि सरबजीत की रिहाई के मसले पर पाकिस्तान ने अपने रवैये से सिद्ध कर दिया। परन्तु इस सबके बावजूद रिश्ते सुधारने की जो पहल दोनों तरफ से शुरू हुई है, वह ईमानदारी के बिना ज्यादा आगे नही जा सकती, इसका ध्यान दोनों देशो को रखना चाहिए। ज्ञातव्य है कि सरबजीत सिंह को 1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फ़ैसलाबाद में हुए चार बम..

  • मिशन महंगाई और अर्थशास्त्र : गरीब तो क्या, मध्यम वर्ग के मुँह का निवाला तक छीन लिया

    डा. विनोद बब्बर | Saturday, Jun 23,2012, 14:25 IST .

    मिशन महंगाई और अर्थशास्त्र डा. विनोद बब्बर यूपीए सरकार ने अपनी एक और सालगिरह क्या मनाई, जनता की मुसीबत और बढ़ गई। सब्जियों, दालों, बिजली, पानी के बिल, दूध आदि के दाम आसमान को छू रहे थे कि पैट्रोल के दामों में भी अभूतपूर्व वृद्धि करते हुए साढ़े सात रूपये प्रति लीटर का बोझ डाला गया। अब इसके बाद डीजल, रसोई गैस और मिट्टी के तेल के दाम बढ़ाने के कयास लगाये जा रहे हैं। सारा देश हाहाकार कर रहा है इस..

  • यह स्मरण रखना जरूरी है कि हिन्दी का इतिहास वैदिक काल से आरंभ होता है

    डा. विनोद बब्बर | Thursday, Jun 14,2012, 23:00 IST .

    हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष आज के दौर में पत्रकारिता हिन्दी पत्रकारिता की चर्चा करने से पूर्व हिन्दी के इतिहास को जानना जरूरी है। यह स्मरण रखना जरूरी है कि हिन्दी का इतिहास वैदिक काल से आरंभ होता है। हर युग में इसका नाम परिवर्तित होता रहा है, कभी वैदिक, कभी संस्कृत, कभी प्राकृत, कभी अपभ्रंश और अब हिन्दी। लेकिन एक बात बिल्कुल स्पष्ट और सिद्ध है कि हर कालखंड में अपने परिवर्..

  • लिव-इन रिलेशनशिप लोगों की शादीशुदा जिंदगी को बर्बाद कर रहा है! - बॉम्बे हाई कोर्ट

    राजीव गुप्ता | Saturday, Jun 09,2012, 08:55 IST .

    भारत के प्रमुख महानगरो जैसे दिल्ली, मुम्बई, बैगलूरू, कोलकाता, लखनऊ में आये दिन तलाको की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है! अभी तक यह गलत धारणा थी कि तलाक की समस्या छोटे शहरो और बिना पढ़े-लिखे समाज में ज्यादा है परन्तु आंकड़े कुछ और ही इशारा करते है! एक सर्वे के अनुसार 1960 में जहा तलाक के वर्ष भर में एक या दो केस ही होते थे वही 1990 तक आते-आते तलाको की संख्या प्रतिवर्ष हजारो की गिनती को पार ..

  • अश्लील, असभ्य, अमर्यादित टिप्पणियां छात्रों का अनुशासन से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं

    डा. विनोद बब्बर | Tuesday, May 29,2012, 15:08 IST .

    अनुशासन के महत्व पर हजारों ग्रन्थ लिखे जा सकते हैं। इसे समाज और राष्ट्र की नींव कहा जा सकता है। अनुशासन संस्कृति का मेरूदंड है। सड़क हो या सदन, व्यवसाय हो या खेती, खेल का मैदान हो या युद्ध भूमि अनुशासन के बिना संभव ही नहीं है इस दुनिया की संरचना। अनुशासन विकास-पथ है तो अनुशासनहीनता विनाश को आमंत्रण। ये तमाम बातें सभी जानते हैं लेकिन अपनी नई पीढ़ी में अनुशासन के प्रति भाव जगाने की बात करने वाल..

  • देश की संसद के भीतर हत्यारे, लुटेरे और जाहिल बैठे हैं: सत्ता, संसद और बाबा रामदेव

    डा. विनोद बब्बर | Tuesday, May 22,2012, 13:39 IST .

    सत्ता के प्रति असहमति का स्वर कोई नई बात नहीं है। कभी सुप्रसिद्ध कवि धूमिल ने कहा था- वे सब के सब तिजोरियों के दुभाषिये हैं, जो वकील हैं, वैज्ञानिक हैं, अध्यापक हैं, नेता है, दार्शनिक हैं... लेखक हैं, कवि हैं, कलाकार हैं - यानी-कानून की भाषा बोलता हुआ अपराधियों का एक संयुक्त परिवार है। (संसद से सड़क तक पृ. 139)  इस बार एक कवि की बजाय जब एक सन्यासी ने कहा कि ‘देश की संसद के भीतर हत्..

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