भ्रष्टाचार के विरुद्ध एवं काले धन को वापस लाने के विषय पर केंद्र सरकार के विरुद्ध आर पार का युद्ध लड़ रहे बाबा रामदेव की त..
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देश की एकता-अखंडता खतरे में
|भारत इस समय किसी बड़ी संभावित साम्प्रदायिक-घटना रूपी ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है। देश की एकता-अखंडता खतरे में पड़ती हुई नजर आ रही है। देश की संसद में भी आतंरिक सुरक्षा को लेकर तथा सरकार की विश्वसनीयता और उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिंह खड़े किये जा रहे है। सांसदों की चीख-पुकार से सरकार की अब जाकर नीद खुली है। सरकार ने आनन्-फानन में देश में मचे अब तक के तांडव को पाकिस्तान की ..
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स्वतंत्रता दिवस विशेष... सावरकर आज भी हैं!
|आज 15 अगस्त है। भारतवर्ष में हर साल की इसी तिथि को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन अर्थात 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज-सरकार से हम स्वतंत्र हुए थे। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह स्वतंत्रता हमें बहुत आसानी से नहीं मिली अपितु इसको पाने के लिए कई लोगो ने अंग्रेजी-सरकार द्वारा अमानवीय यातनाओं के स्वीकार करते हुए जेल गए तो कई लोगों ने फाँसी के तख्ते पर झूलते हुए अपने जीव..
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स्वतंत्रता-दिवस की सार्थकता
|15 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के साथ द्वितीय विश्व युद्ध हिरोशिमा और नागासाकी के त्रासदी के रूप में कलंक लेकर समाप्त तो हुआ परन्तु जापान पिछले वर्ष आये भूकंप और सूनामी जैसी त्रासदी के बाद भी बिना अपने मूल्यों से समझौता किये राष्ट्रभक्ति, अपनी ईमानदारी और कठिन परिश्रम के आधार पर अखिल विश्व के मानस पटल पर लगभग हर क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ता हुआ नित्य-प्रतिदिन आगे बढ़ता जा रहा है। ठीक दो ..
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आरक्षण पर संविधान - संशोधन ही विकल्प
|आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद अल्पसंख्यको के नाम पर राजनीति करने वाली यू.पी.ए-2 की अगुआई वाले सबसे प्रमुख घटक दल कांग्रेस पार्टी की नियत पर अब सवाल उठने लगने लगे है। ऐसा लगता है कि उसकी धर्माधारित राजनीति पर अब ग्रहण लग गया है। ध्यान देने योग्य है कि अभी हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के चलते केंद्र सरकार ने ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के कोटे से 4.5 प्रतिशत आरक..
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अनशन की बिसात पर राजनीति
|स्वतंत्रता-पश्चात भारत में भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। देश से व्याप्त भ्रष्टाचार को ख़त्म करने हेतु जनता सडको पर उतरकर सरकार पर दबाव बनाकर उससे क़ानून बनवायेगी यह लगभग अशोचनीय सी-ही स्थिति थी। परन्तु गत दो वर्षो से भारत में ऐसा हुआ। जनता हाथो में मशाल थामे सडको पर उतरी, कई-कई दिनों तक समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में अनशन हुए। ऐसा लगने लग गया ..
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केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री को दुर्बल पाकर विदेशी ताकतें अपना स्वार्थ साधने का प्रयत्न करने लगी हैं
|अमेरिकी राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार नीति पर तीखी टिप्पणी से फिर एक बार विदेशी निवेश का मसला गरम हो गया है। अमेरिकी और ब्रितानी समाचार पत्रा-पत्रिकाओं में श्री मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री चित्रित किया जा रहा है। कहीं यह सब सोची समझी रणनीति तो नहीं ऐसी आशंका पैदा हो गई है। वैश्विक आर्थिक संकट तथा सत्ताधरी कांग्रेस दल के आंतरिक कारणों से श्री मनमोहन सिं..
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लंदन में विशाल मंदिर प्रांगण, सजा, संवरा, भारत से हजारों मील दूर पुरुषार्थ और समर्पण का एक उदाहरण
|यूरोप के कुछ देशो की यात्रा का अवसर पहले भी चुका है। इा वर्ष एक समारोह में ताशकंद जाना था लेकिन किसी विवाद के कारण मैंने और कुछ मित्रों ने उस कार्यक्रम को रद्द कर दिया। इसी बीच दिल्ली की जबरदस्त गर्मियों में ठंडे यूरोप की सैर का प्रस्ताव सामने आया तो इरादा बदल गया। ब्रिटेन और सैनेगन देशों का वीजा प्राप्त करना आसान नहीं है इसीलिए मेरे अग्रज सम हरिकिशन चावला व दो अन्य साथियों को निराशा हाथ लगी।..
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आखिर नरेंद्र मोदी का कसूर क्या है?
|भारत एक लोकतांत्रिक देश है। अतः संविधान ने भारत की जनता को स्वतंत्र रूप से अपना प्रधान चुनने की व्यवस्था दी है। स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर अब तक हर राज्य की बहुसंख्यक जनता अपनी मनपसंद का अपने राज्य का मुखिया चुनती है और संवैधानिक व्यवस्था द्वारा वहाँ की जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाता है। लोकतान्त्रिक देश होने के कारण भारत में हर किसी को कर्तव्यो के साथ अपनी बात कहने की पूर्ण स्वतंत्रता ..
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आखिर ये दंगे होते ही क्यों हैं : क्या कहते है आंकड़े?
|1948 के बाद भारत में पहला सांप्रदायिक दंगा 1961 में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ। उसके बाद से अब तक सांप्रदायिक दंगो की झड़ी सी लग गयी। बात चाहे 1969 में गुजरात के दंगो की हो, 1984 में सिख विरोधी हिंसा की हो, 1987 में मेरठ के दंगे हो जो लगभग दो महीने तक चला था और कई लोगो ने अपनी जान गंवाई थी, 1989 में हुए भागलपुर-दंगे की बात हो, 1992-93 में बाबरी काण्ड के बाद मुंबई में भड़की हिंसा की हो, ..
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असम की इस परिस्थिति का जिम्मेदार कौन... ?
|जब राजनेता अपना जमीर, आत्म सम्मान बेच दे तो राजनीति का वैश्यावृतिकरण (Prostitution of Politics) शुरू होता है ये राजनीति का वैश्यावृतिकरण यू पी ए सरकार की ही देन हैं। बोडो आसाम राज्य की मिटटी से जुड़ी स्थानीय जनजाति है। बोडो जो भारत की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, बांग्लादेश की सीमा से आने वाले घुसपैठिये आज उन पर हमला कर रहे हैं और यू पी ए सरकार सुन्न होकर देख रही है। हुजी, आई एम और आई एस आई ..
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का बरखा जब कृषि सुखाने
|यह केवल कहावत भर ही नहीं है अपितु वर्तमान समय के ख़राब मानसून ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है। भविष्य में आने वाले किसी भी संकट से छुटकारा पाने हेतु भारत की जनता के हमदर्द के रूप में भारत सरकार एक केन्द्रीय मंत्री की नियुक्ति करती है, पर विपत्ति के समय अगर वही दुःख-हरता अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ लेने लग जाय तो भला जनता किसकी ओर आस की नजर से देखेगी यह अपने आप में एक विचारणीय प्रश्न है।..
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सरकार पहले अपनी फिजूलखर्ची बंद करे
|यूपीए की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी ने पिछले महीने अपनी सरकार की उपलब्धियों का "जनता के लिए रिपोर्ट 2011-2012 " मे लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा था कि भारत में आर्थिक विकास दर अब तेजी के पथ पर है लेकिन इसका लाभ अभी हमारे लाखों गरीबों को पहुंचना बाकी है ! परन्तु योजना आयोग ने पिछले दिनों गरीबों के लिए आलीशान शौचालय बनवाकर सोनिया जी की इन बातों को झुठला दिया ! गौरतलब है कि योजना आयोग ..
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रामदेव अब ग्राम, कस्बों और शहरों की सीमाओं को लांघ महानगरों में : पुणे नागरिक संगठन
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टीम अण्णा की दुकान पर दो-तरफ़ा खतरा मंडराया - सुरेश चिपलूनकर
बड़ी मेहनत से NGO वादियों ने अण्णा को "मोहरा" बनाकर, मीडिया का भरपूर उपयोग करके, अपने NGOs के नेटवर्क के जरिये एक खिचड़ी प..
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सुरक्षा सलाहकार के सुझाव दरकिनार, सस्ते आयात के कारण अर्थव्यवस्था पर खतरा
अंशुमान तिवारी, नई दिल्ली चीन से सस्ते आयात के कारण अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे खतरे को दूर करने को लेकर केंद्र सरकार गहरे अ..
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अब भारत में भी 300 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन, डेडिकेटेड कॉरिडोर की जरूरत
अगर आप से यह कहा जाए कि जल्दी ही भारत में भी रेल गाड़ियां 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फर्राटा भरती नजर आएंगी तो..
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राहुल गांधी ने पहुंचाया पुल को नुकसान: यूपी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने बांदा जिले के करिया नाले पर निर्माणाधीन छोटे पुल के नीचे लगे स्टिंग को निकालने की कोशिश के मामले को ..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
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सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
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नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
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न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
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पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
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कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
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मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
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भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
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२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
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वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
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चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
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समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
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विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
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सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
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