सुबह से भाग-भाग कर बाघिन पूरी तरह थक चुकी थी। वह मुझसे सिर्फ 10 फीट दूर मानो आत्म समर्पण की मुद्रा में थी। मुझे लगा कि भीड..
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संघ के वनवासी कल्याण आश्रम का उज्जैन में अनूठा आयोजन... आखिर RSS करता ही क्या है?
|हाल ही में उज्जैन (मप्र) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठनों, वनवासी कल्याण परिषद तथा वनवासी कल्याण आश्रम के तत्वावधान में तीन दिवसीय सम्मेलन संपन्न हुआ. इस विशाल सम्मेलन में देश के लगभग सभी राज्यों के 8000 वनवासी बंधुओं ने इसमें भाग लिया. वनवास..
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आज के दौर मे स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता...
|11 सितम्बर, 1893 ई. को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन मे भारत का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई. मे कलकत्ते (कोलकाता) के शिमलापल्ली नामक मोहल्ले के निवासी श्री विश्वनाथ दत्त और भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ। बचपन का इनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था तथा ये अपने माता-पिता की छठ्वी संतान थे। बच्चो की प्राथमिक पाठशाला माता की गोद ही होती है और उस पाठशाला मे अध्यापन उसकी माता द्..
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‘नामर्दों के शहर में बलात्कार’ या 'डर्टी पिक्चर' को राष्ट्रीय पुरस्कार...
|देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में हुई सामूहिक बलात्कार की शर्मनाक घटना पर संसद से देश की हर मुख्य सड़क पर आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। बलात्कारियों को फाँसी की मांग उठ रही है इसीलिए एक आरोपी के पिता को भी कहना पड़ा, ‘यदि मेरा दोषी है तो उसे फाँसी अवश्य दी जाए।&r..
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लाखों कश्मीरी हिन्दू पलायन कर शरणार्थी कैम्पों में समा चुके थे : नरेन्द्र मोदी "प्रवृत्ति" का उदभव एवं विकास
|1996 के चुनावों पर बात करने से पहले नरसिंहराव सरकार के कार्यकाल की एक घटना का उल्लेख करना जरूरी है। यह घटना घटी थी कश्मीर की प्रसिद्ध चरार-ए-शरीफ़ दरगाह में 1994 के अंत में मस्त गुल नाम के आतंकवादी ने अपने कई साथियों के साथ कश्मीर की प्रसिद्ध चरार-ए-शरीफ़ दरगाह पर कब्जा जमा लिया था। हालांकि कश्मीर में हमारे सुरक्षा बलों को इसकी भनक लग चुकी थी, लेकिन कड़ाके की सर्दी और बर्फ़बारी तथा कश्मीर में उसे..
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आरक्षण पर राजनीति ...
|राज्यसभा द्वारा सोमवार को भारी बहुमत से 117वाँ संविधान विधयेक के पास होते ही पदोन्नति मे आरक्षण विधेयक के पास होने का रास्ता अब साफ हो गया है। अब यह विधेयक लोकसभा मे पेश किया जायेगा। हलांकि इस विषय के चलते भयंकर सर्दी के बीच इन दिनो राजनैतिक गलियारों का तपमान उबल रहा था। परंतु इस विधेयक के चलते यह भी साफ हो गया कि गठबन्धन की इस राजनीति मे कमजोर केन्द्र पर क्षेत्रिय राजनैतिक दल हावी है। अभी एफ..
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भारत में बढ़ती NGOs की गतिविधियां : संदेह के बढते दायरे...
|एक समय था, जब कहा जाता था कि “जब तोप मुकाबिल हो, तो अखबार निकालो…” (अर्थात कलम की ताकत को सम्मान दिया जाता था), लेकिन लगता है कि इक्कीसवीं सदी में इस कहावत को थोड़ा बदलने का समय आ गया है… कि “जब तोप मुकाबिल हो, तो NGO खोलो”। जी हाँ, जिस तरह से पिछले डेढ़-दो दशकों में भारत के सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक सभी क्षेत्रों में NGO (अनुदान प्राप्त गैर-सरकारी संस्थाएं) ..
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विभाजन के पश्चात अयोध्या : कारसेवकों की निर्मम हत्या एवं धर्मनिरपेक्षता के नाम पर झूठ ...
|रामलला का आगमन से लेकर कारसेवकों की निर्मम हत्या तक : १९४९ के पश्चात जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र हुआ मुस्लिमों ने इस्लाम के नाम पर जिन्ना के नेतृत्व मे भारत भू को विभाजित किया, जन्मस्थान के पास हिन्दुओं की संख्या उमडने लगी, दिसंबर २२, १९४९ की मध्य रात्रि श्री राम वहां प्रकट हुए, जिसकी सहमति उस रात वहां ड्यूटी पर तैनात एक मुस्लिम कांस्टेबल ने दी। इस पर कुछ हिंदू वहाँ..
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राम राज्य से मुग़ल शासन, मुग़ल शासन से धर्मनिरपेक्ष सरकार : रामलला की उपासना निरंतर जारी ...
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अपराजेय अयोध्या, एक यात्रा ...
|अयोध्या अपने शाब्दिक अर्थ के अनुसार यह अपराजित है.. यह नगर अपने २२०० वर्षों के इतिहास मे अनेकों युद्धों व संघर्षो का प्रत्यक्ष दर्शी रहा है, अयोध्या को राजा मनु द्वारा निर्मित किया गया और यह श्री राम जी का जन्मस्थल है। इसका उल्लेख प्राचीन संस्कृत ग्रंथों जिसमे रामायण व महाभारत सम्मिलित हैं, में आता है। वाल्मिकि रामायण के एक श्लोक मे इसका वर्णन निम्न प्रकार है।
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केवल साम्प्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखने हेतु समर्थन ...
|अपनी जुगाड-राजनीति के लिये प्रसिद्ध यू.पी.ए-2 सरकार वर्तमान समय में अपने कार्यकाल के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के ऐलान के साथ कि एफडीआई मुद्दे पर संसद मे नियम 184 के तहत चर्चा होगी। परिणामत: एफडीआई पर आखिरकार सरकार का रुख नरम पड़ा और संसद मे गतिरोध टूटा। यू पी ए-2 के अहम सहयोगी सपा, बसपा और डीमके जैसे दलों ने वर्तमान सरकार को बचाने हेतु भले ही सशर्त समर्थन देने की..
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अरविन्द केजरीवाल : एक योद्धा या एक मोहरा?
|जब किसी कम्पनी के सारे उत्पाद एक-एक करके मार्केट में फ़ेल होने लगते हैं और कम्पनी का मार्केट शेयर गिरने लगता है, तथा उसकी साख खराब होने लगती है, साथ ही जब उसकी प्रतिद्वंद्वी कम्पनी के मार्केट में छा जाने की संभावनाएं मजबूत होने लगती हैं, तब ऐसी स्थिति में वह कम्पनी क्या करती है? अक्सर ऐसी स्थिति में दो-तरफ़ा “मार्केटिंग और मैनेजमेण्ट की रणनीति” के तहत – 1) किसी तीसरी कम्पनी को..
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लोकतंत्र से समृद्धि आती है या समृद्धि से लोकतंत्र आता है...
|सारी दुनिया भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताती है तो गर्व से हमारा सिर तन जाता हैं कि हमने दुनिया को एक श्रेष्ठ शासन प्रणाली दी। आधुनिक समाज में लोकतंत्र की परिभाषा बेशक ‘जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन’ हो लेकिन आज कुछ दिनों पूर्व मलयेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा था, ‘भारत चीन की बराबरी कर सकता है लेकिन यहाँ जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र है।&rs..
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बाघिन भाग-भाग कर थक चुकी थी, फिर भी मार दिया...
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रामदेव पर पुलिस कार्रवाई किसके इशारे पर? आखिर काले धन को वापिस लाने की मुहीम के कौन खिलाफ है ?
रामलीला मैदान में हुई पुलिस की कार्रवाई के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्युरी (कोर्ट सलाहकार) ने कहा..
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गुरु गोबिंद सिंह जी के पुन्य/शोक दिवस ०७ अक्टूबर १७०८ पर विशेष
शोर मचा है, होड़ लगी है, छाती पीट रहे हैं लोग,
हाय ! स्टीव मर गया, कैंसर का था उसको रोग,
लेकिन ये छाती पीटन.. -
राष्ट्रपति को दी गयी सेना एवं अधिकारियों की २,६१,०० स्क्वेयर फीट जमीन
एक RTI द्वारा हुए खुलासे में, राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल को पुणे में बंगला बनाने के लिए तय सीमा से छह गुना अधिक सेना ..
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'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आह्वान की 07वीं वर्षगांठ पर 'कांग्रेस हटाओ-देश बचाओ' की जनक्रांति का श्रीगणेश
09 अगस्त की तारीख भारतीय और अन्तरराष्ट्रीय इतिहास में बहुत महत्व रखती है। 1942 में इसी तारीख को महात्मा गांधी ने मुम्बई ..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
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सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
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नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
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न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
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पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
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कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
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मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
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भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
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२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
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वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
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चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
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समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
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विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
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सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
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