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  • राजीव गुप्ता
  • अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...

    Wednesday, Sep 04,2013, 10:57 IST .

    प्र.- मीडिया और राजनैतिक दलों का विश्व हिन्दू परिषद पर यह आरोप है कि उसने आगामी लोकसभा चुनाव-2014 के निमित्त इस 84 कोसी परिक्रमा के नाम पर वोट-परिक्रमा का आयोजन किया. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?

    उ. – 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत को मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता मिली थी, और इसको पाने के लिए हमें बहुत संघर्ष करना पडा था. 1857 से  कहा जा सकता है यह संघर्ष अंग्रेजों के वि..

  • सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति

    Monday, Jun 24,2013, 13:35 IST .

    भारत की गठबन्धन-राजनीति के गलियारों मे अक्सर ‘गठबन्धन की मजबूरी’ का जुमला सुनने को मिल ही जाता है. इस जुमले का सहारा लेकर आये दिन राजनेता गंभीरतम बातों की भी हवा निकाल देते है. अब सवाल यह उठता है कि क्या गठबन्धन किसी सिद्धांत पर बनाये जाते है अथवा सत्ता का स्वाद चखने हेतु समझौते किये जाते है ? हमे ध्यान रखना चाहिये कि सिद्धांत और समझौता दो अलग-अलग बाते है. राजनैति..

  • नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...

    Friday, May 31,2013, 09:16 IST .

    अमेरिकी मार्क्सवादी नेता बाब अवेकिन के शब्दों में किसी भी प्रकार की क्रांति न तो बदले की कार्यवाही है और न ही मौज़ूदा तंत्र की कुछ स्थितियों को बदलने प्रक्रिया है अपितु यह मानवता की मुक्ति का एक उपक्रम है. परंतु मानवाधिकार को ढाल बनाकर भारत की धरा को मानवरक्तिमा से रंगने वालें “बन्दूकधारी-कारोबारियों” को बाब अवेकिन की यह बात समझ नही आयेगी. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) की दंड..

  • न्याय पाने की भाषायी आज़ादी

    Monday, May 20,2013, 17:11 IST .

    स्वतंत्रता पूर्व भारत मे सरकारी समारोहों में ‘गाड सेव द किंग’ या ‘गाड सेव द क़्वीन’ गाया जाता था. पर्ंतु 15 अगस्त 1947 से उसका स्थान ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे’ ने लिया. रातोंरात सभी सरकारी भवनो पर से ‘यूनियन जैक’ झंडा उतारकर तिरंगा झंडा लहरा दिया गया. भारत में स्वतंत्रता का जश्न मनाया गया. भारत को यह स्वतंत्रता लाखो स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानो..

  • पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...

    Thursday, Apr 11,2013, 19:55 IST .

    मात्र तीन दिन के अपने बेटे को उसके दादा-दादी के पास छोड्कर पाकिस्तान से तीर्थयात्रा वीजा पर भारत आने वाली 30 वर्षीय भारती रोती हुई अपनी व्यथा बताते हुए कहती है कि “अगर मै अपने बेटे का वीजा बनने का इंतज़ार करती तो कभी भी भारत न आ पाती।” 15 वर्षीय युवती माला का कहना है कि पाकिस्तान मे उनके लिये अपनी अस्मिता को बचाये रखना मुश्किल है तो 76 वर्षीय शोभाराम कहते है कि वे भारत मे हर तरह क..

  • आज के दौर मे स्वामी विवेकानन्द की प्रासंगिकता...

    Saturday, Jan 12,2013, 00:38 IST .

    11 सितम्बर, 1893 ई. को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन मे भारत का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई. मे कलकत्ते (कोलकाता) के शिमलापल्ली नामक मोहल्ले के निवासी श्री विश्वनाथ दत्त और भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ। बचपन का इनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था तथा ये अपने माता-पिता की छठ्वी संतान थे। बच्चो की प्राथमिक पाठशाला माता की गोद ही होती है और उस पाठशाला मे अध्यापन उसकी माता द्..

  • आरक्षण पर राजनीति ...

    Wednesday, Dec 19,2012, 00:52 IST .

    राज्यसभा द्वारा सोमवार को भारी बहुमत से 117वाँ संविधान विधयेक के पास होते ही पदोन्नति मे आरक्षण विधेयक के पास होने का रास्ता अब साफ हो गया है। अब यह विधेयक लोकसभा मे पेश किया जायेगा। हलांकि इस विषय के चलते भयंकर सर्दी के बीच इन दिनो राजनैतिक गलियारों का तपमान उबल रहा था। परंतु इस विधेयक के चलते यह भी साफ हो गया कि गठबन्धन की इस राजनीति मे कमजोर केन्द्र पर क्षेत्रिय राजनैतिक दल हावी है। अभी एफ..

  • केवल साम्प्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखने हेतु समर्थन ...

    Thursday, Dec 06,2012, 00:38 IST .

    अपनी जुगाड-राजनीति के लिये प्रसिद्ध यू.पी.ए-2 सरकार वर्तमान समय में अपने कार्यकाल के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के ऐलान के साथ कि एफडीआई मुद्दे पर संसद मे नियम 184 के तहत चर्चा होगी। परिणामत: एफडीआई पर आखिरकार सरकार का रुख नरम पड़ा और संसद मे गतिरोध टूटा। यू पी ए-2 के अहम सहयोगी सपा, बसपा और डीमके जैसे दलों ने वर्तमान सरकार को बचाने हेतु भले ही सशर्त समर्थन देने की..

  • मोदी का गुजरात, जैसा मैने देखा...

    Thursday, Nov 22,2012, 00:33 IST .

    पिछ्ले दिनो मुझे गुजरात जाने का अवसर मिला। शहर की चकाचौंध से कौसों दूर ग्रामीणों के मध्य कई दिनों तक उनके साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अभी तक मैंने गुजरात के बारे मे अच्छा – बुरा मात्र मीडिया की माध्यम से ही सुना था परंतु गुजरात की आम-जनता से सम्मुख होने का यह अनुभव मुझे पहली बार प्राप्त हुआ। एक तरफ जहा मीडिया मोदी के जादू के बारे मे अपना आंकलन प्रस्तुत करने की कोशिश करता है तो दूसर..

  • चार धाम - विषय केन्द्रित विभिन्न 5 मंत्रालयों में RTI

    Thursday, Oct 04,2012, 11:51 IST .

    आद्य शंकराचार्य भारतवर्ष की एक दिव्य विभूति है। उनकी प्रभा आज भी दिग्दिगन्त को आलोकित कर रही है। शंकराचार्य का जन्म दक्षिण भारत के केरल में अवस्थित निम्बूदरीपाद ब्राह्मणों के 'कालडी़ ग्राम' में 788 ई. में हुआ, फिर भी उनकी कीर्ति कौमुदी उसी प्रकार अक्षुण्ण रूप में आज भी भारत के नभोमंडल को उद्भासित कर रही है।

    जिस समय यह पवित्र भारत-वर्ष छिन्नता के पंक में धंसा जा रहा थ..

  • क्या विश्व प्रसिद्द अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ऐसे स्वार्थी-फैसले अपनी छवि सुधारने के लिए ले रहे हैं?

    Saturday, Sep 22,2012, 18:22 IST .

    पैसे तो पेड़ पर उगते नहीं है...

    प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार पर हो रहे चौतरफा हमलों का जबाब देने के लिए अब खुद एक अर्थशास्त्री के रूप में कमान संभाल ली है। परन्तु यह भी एक कड़वा सच है कि यूपीए-2 इस समय अपने कार्यकाल के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। जनत..

  • हिन्दू अपने हिन्दू होने की सजा भुगत रहे हैं...

    Monday, Sep 03,2012, 22:57 IST .

    प्रकृति कभी भी किसी से कोई भेदभाव नहीं करती और इसने सदैव ही इस धरा पर मानव-योनि में जन्में सभी मानवों को एक नजर से देखा है। हालाँकि मानव ने समय-समय पर अपनी सुविधानुसार दास-प्रथा, रंगभेद-नीति, सामंतवादी इत्यादि व्यवस्थाओं के आधार पर मानव-शोषण की ऐसी कालिमा पोती है जो इतिहास के पन्नों से शायद ही कभी धुले। समय बदला लोगों ने ऐसी अत्याचारी व्यवस्थाओं के विरुद्ध आवाज उठाई। विश्व के मानस पटल पर सभी ..

  • सरकार का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला

    Tuesday, Aug 28,2012, 01:03 IST .

    भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाने में हम बहुत ही सौभाग्यशाली रहे क्योंकि हमें लोकतंत्र अपनाने के लिए विश्व के अन्य देशों की तरह संघर्ष नहीं करना पड़ा। 1947 में प्राप्त स्वतंत्रता पश्चात हमारी संविधान सभा ने जिस संविधान को अंगीकार किया उसी संविधान द्वारा यहाँ के नागरिको को प्रदत्त मूल अधिकारों में से एक अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी सम्मिलित है। देश की एकत..

  • देश की एकता-अखंडता खतरे में

    Thursday, Aug 23,2012, 13:21 IST .

    भारत इस समय किसी बड़ी संभावित साम्प्रदायिक-घटना रूपी ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है। देश की एकता-अखंडता खतरे में पड़ती हुई नजर आ रही है। देश की संसद में भी आतंरिक सुरक्षा को लेकर तथा सरकार की विश्वसनीयता और उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिंह खड़े किये जा रहे है। सांसदों की चीख-पुकार से सरकार की अब जाकर नीद खुली है। सरकार ने आनन्-फानन में देश में मचे अब तक के तांडव को पाकिस्तान की ..

  • स्वतंत्रता दिवस विशेष... सावरकर आज भी हैं!

    Wednesday, Aug 15,2012, 23:49 IST .

    आज 15 अगस्त है। भारतवर्ष में हर साल की इसी तिथि को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन अर्थात 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज-सरकार से हम स्वतंत्र हुए थे। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह स्वतंत्रता हमें बहुत आसानी से नहीं मिली अपितु इसको पाने के लिए कई लोगो ने अंग्रेजी-सरकार द्वारा अमानवीय यातनाओं के स्वीकार करते हुए जेल गए तो कई लोगों ने फाँसी के तख्ते पर झूलते हुए अपने जीव..

  • स्वतंत्रता-दिवस की सार्थकता

    Wednesday, Aug 15,2012, 13:09 IST .

    15 अगस्त 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के साथ द्वितीय विश्व युद्ध हिरोशिमा और नागासाकी के त्रासदी के रूप में कलंक लेकर समाप्त तो हुआ परन्तु जापान पिछले वर्ष आये भूकंप और सूनामी जैसी त्रासदी के बाद भी बिना अपने मूल्यों से समझौता किये राष्ट्रभक्ति, अपनी ईमानदारी और कठिन परिश्रम के आधार पर अखिल विश्व के मानस पटल पर लगभग हर क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ता हुआ नित्य-प्रतिदिन आगे बढ़ता जा रहा है। ठीक दो ..

  • आरक्षण पर संविधान - संशोधन ही विकल्प

    Friday, Aug 10,2012, 23:27 IST .

    आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद अल्पसंख्यको के नाम पर राजनीति करने वाली यू.पी.ए-2 की अगुआई वाले सबसे प्रमुख घटक दल कांग्रेस पार्टी की नियत पर अब सवाल उठने लगने लगे है। ऐसा लगता है कि उसकी धर्माधारित राजनीति पर अब ग्रहण लग गया है। ध्यान देने योग्य है कि अभी हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के चलते केंद्र सरकार ने ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के कोटे से 4.5 प्रतिशत आरक..

  • अनशन की बिसात पर राजनीति

    Friday, Aug 10,2012, 01:26 IST .

    स्वतंत्रता-पश्चात भारत में भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। देश से व्याप्त भ्रष्टाचार को ख़त्म करने हेतु जनता सडको पर उतरकर सरकार पर दबाव बनाकर उससे क़ानून बनवायेगी यह लगभग अशोचनीय सी-ही स्थिति थी। परन्तु गत दो वर्षो से भारत में ऐसा हुआ। जनता हाथो में मशाल थामे सडको पर उतरी, कई-कई दिनों तक समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में अनशन हुए। ऐसा लगने लग गया ..

  • आखिर नरेंद्र मोदी का कसूर क्या है?

    Friday, Aug 03,2012, 10:28 IST .

    भारत एक लोकतांत्रिक देश है। अतः संविधान ने भारत की जनता को स्वतंत्र रूप से अपना प्रधान चुनने की व्यवस्था दी है। स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर अब तक हर राज्य की बहुसंख्यक जनता अपनी मनपसंद का अपने राज्य का मुखिया चुनती है और संवैधानिक व्यवस्था द्वारा वहाँ की जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाता है। लोकतान्त्रिक देश होने के कारण भारत में हर किसी को कर्तव्यो के साथ अपनी बात कहने की पूर्ण स्वतंत्रता ..

  • आखिर ये दंगे होते ही क्यों हैं : क्या कहते है आंकड़े?

    Sunday, Jul 29,2012, 11:53 IST .

    1948 के बाद भारत में पहला सांप्रदायिक दंगा 1961 में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ। उसके बाद से अब तक सांप्रदायिक दंगो की झड़ी सी लग गयी। बात चाहे 1969 में गुजरात के दंगो की हो, 1984 में सिख विरोधी हिंसा की हो, 1987 में मेरठ के दंगे हो जो लगभग दो महीने तक चला था और कई लोगो ने अपनी जान गंवाई थी, 1989 में हुए भागलपुर-दंगे की बात हो, 1992-93 में बाबरी काण्ड के बाद मुंबई में भड़की हिंसा की हो, ..

  • का बरखा जब कृषि सुखाने

    Friday, Jul 27,2012, 12:31 IST .

    यह केवल कहावत भर ही नहीं है अपितु वर्तमान समय के ख़राब मानसून ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है। भविष्य में आने वाले किसी भी संकट से छुटकारा पाने हेतु भारत की जनता के हमदर्द के रूप में भारत सरकार एक केन्द्रीय मंत्री की नियुक्ति करती है, पर विपत्ति के समय अगर वही दुःख-हरता अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ लेने लग जाय तो भला जनता किसकी ओर आस की नजर से देखेगी यह अपने आप में एक विचारणीय प्रश्न है।..

  • सरकार पहले अपनी फिजूलखर्ची बंद करे

    Wednesday, Jul 25,2012, 01:09 IST .

    यूपीए की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी ने पिछले महीने अपनी सरकार की उपलब्धियों का "जनता के लिए रिपोर्ट 2011-2012 " मे लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा था कि भारत में आर्थिक विकास दर अब तेजी के पथ पर है लेकिन इसका लाभ अभी हमारे लाखों गरीबों को पहुंचना बाकी है ! परन्तु योजना आयोग ने पिछले दिनों गरीबों के लिए आलीशान शौचालय बनवाकर सोनिया जी की इन बातों को झुठला दिया ! गौरतलब है कि योजना आयोग ..

  • भारत में विश्व जनसँख्या दिवस के मायने

    Wednesday, Jul 11,2012, 18:16 IST .

    गत वर्ष 31 अक्टूबर 2011 को गैर सरकारी संस्थाओ के अनुसार भारत में 7 अरब वें बच्चे के जन्म के साथ विश्व की जनसँख्या 7 अरब हो गयी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के प्रतिनिधि ब्रूस कैम्पबेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में ने इस बढ़ती हुई आबादी को एक चुनौती मानते हुए कहा था कि "हमने जबकि मानव विकास के लिए ठोस बुनियाद तैयार की है लेकिन अमीर और गरीब के बीच मतभेद और गहरी खाई अभी भी कायम है..

  • सेतुसमुद्रम पर सियासत

    Monday, Jul 09,2012, 17:57 IST .

    यू.पी.ए-2 सरकार दुविधा में है। इसकी पुष्टि तब हो गयी जब सरकार ने पचौरी रिपोर्ट पर अभी तक कोई स्टैंड नहीं लिया। ज्ञातव्य है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सेतु समुद्रम परियोजना पर गठित पर्यावरणविद् डॉ. आर.के. पचौरी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में समुद्री नहर के लिए वैकल्पिक मार्ग नंबर-4 ए पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से अनुकूल न पाते हुए खारिज करते हुए कहा है कि लिए..

  • सरबजीत पर पाकिस्तान का मानवीयता के साथ क्रूर मजाक

    Saturday, Jun 30,2012, 10:02 IST .

    दोनों देशो में अचानक भरतमिलाप हो जाने की उम्मीद किसी को भी नहीं होनी चाहिए इसकी पुष्टि सरबजीत की रिहाई के मसले पर पाकिस्तान ने अपने रवैये से सिद्ध कर दिया। परन्तु इस सबके बावजूद रिश्ते सुधारने की जो पहल दोनों तरफ से शुरू हुई है, वह ईमानदारी के बिना ज्यादा आगे नही जा सकती, इसका ध्यान दोनों देशो को रखना चाहिए। ज्ञातव्य है कि सरबजीत सिंह को 1990 में पाकिस्तान के लाहौर और फ़ैसलाबाद में हुए चार बम..

  • लिव-इन रिलेशनशिप लोगों की शादीशुदा जिंदगी को बर्बाद कर रहा है! - बॉम्बे हाई कोर्ट

    Saturday, Jun 09,2012, 08:55 IST .

    भारत के प्रमुख महानगरो जैसे दिल्ली, मुम्बई, बैगलूरू, कोलकाता, लखनऊ में आये दिन तलाको की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है! अभी तक यह गलत धारणा थी कि तलाक की समस्या छोटे शहरो और बिना पढ़े-लिखे समाज में ज्यादा है परन्तु आंकड़े कुछ और ही इशारा करते है! एक सर्वे के अनुसार 1960 में जहा तलाक के वर्ष भर में एक या दो केस ही होते थे वही 1990 तक आते-आते तलाको की संख्या प्रतिवर्ष हजारो की गिनती को पार ..

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