रायगढ़ में ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तदनुसार 6 जून 1674 को हुआ छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हिंदू इतिहास की सबसे गौर..
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कुंए के मीडियाई मेंढक...
|भारतीय मीडिया जिस प्रकार से पत्रकारिता के गंभीर दायित्व का उल्लंघन कर आमदनी के ऊपर ध्यान केंद्रित कर रहा है उस से इसकी प्रमाणिकता और विश्वसनीयता समाप्ति की ओर है। मीडिया में आये इस स्खलन का दोष, दायित्व मीडिया के उन पत्रकारों का ही है जो सत्य के स्थान पर अपने स्वामियों की लाभहानि के अनुसार मुंह खोलते हैं। बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य मे मीडिया ने अपनी वरीयतायें भी बहुत तेज गति से बदली हैं..
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विदेशी कंपनियों के अनुसार चलती भारतीय दिवाली ...
|सुबह रास्ते में एक विद्यालय के बालक पटाखों के विरोध मे हाथों मे कुछ पट्टिकायें लिये, नारे लगाते हुए चल रहे थे। पटाखों से मुझे कोई विशेष लगाव नही है, इन से धुंआ उठता है, ये प्रदूषण फैलाते हैं, इन से आग लगने का भय होता है, इन से चोट लगने का खतरा होता है, यह सभी बातें सत्य हैं, और जब श्री राम अयोध्या आये तो उस समय पटाखों का चलन भी नहीं था, अतः यह कहना भी उचित नही है कि यह श्री राम के अयोध्या पहु..
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जन-आन्दोलन की बदलती परिभाषा ...
|हाल के कुछ दिनों में समाज में परिर्वतन की नई लहर चल रही है। चारों दिशाओं से बदलाव की बात की जा रही है, ऊपरी तौर पर देखें तो यह स्वस्थ लोकतंत्र की सबसे प्रमुख विशेषता है। लेकिन जिस प्रकार से सिक्के दो पहलू होते है उसी प्रकार से दो पक्ष होते हैं एक सकारात्मक व दूजा नकारात्मक और इन दोनों पक्षो का निष्पक्ष रुप से अध्यन करना भी लोकतंत्र की प्रमुख विशेषता है।
जिस तरह से समाज में भ्रष.. -
क्या शरीर ब्राह्मण हो सकता है?
|यह उपनिषद सामवेद से सम्बद्ध है ! इसमें कुल ९ मंत्र हैं ! सर्वप्रथम चारों वर्णों में से ब्राह्मण की प्रधानता का उल्लेख किया गया है तथा ब्राह्मण कौन है, इसके लिए कई प्रश्न किये गए हैं ! क्या ब्राह्मण जीव है? शरीर है, जाति है, ज्ञान है, कर्म है, या धार्मिकता है? इन सब संभावनाओं का निरसन कोई ना कोई कारण बताकर कर दिया गया है , अंत में ‘ब्राह्मण’ की परिभाषा बताते हुए उपनिषदकार कहते हैं ..
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नवरात्रि उत्सव : पूजा का महत्व ...
|'पूजा' यह शब्द २ पदों से मिलकर बना है। 'पो' अर्थात पूर्णता तथा 'जा' अर्थात 'से उत्पन्न'। अर्थात जो पूर्णता से उत्पन्न होती है वह है पूजा। जब हमारी चेतना पूर्ण हो जाती है तथा इस पूर्णता की स्थिति में हम कोई कर्म करते हैं तो वह कर्म पूजा कहलाता है। जब ह्रदय पूर्णता से आलोकित होता है और पूर्णता से अभिभूत स्थिति में हमारे द्वारा किये गए कार्य पूजा बन जाते हैं।
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लौट आइये शास्त्री जी... लौट आइये !
|उन्होने कभी कोई बड़े-बड़े दावे नहीं किए, मगर उनके कर्मों ने भारत को स्वाभिमान से अपने पैरों पर चलना सिखाया। उन्होने कभी नहीं कहा कि “एफ़डीआई के बिना नहीं होगा किसानों का भला।” उन्होने कहा- “जय किसान”, और देश के किसानों ने मिट्टी से सोना उपजा दिया। उन्होने कभी जवानों के हाथ नहीं बांधे छद्म ‘अहिंसा’ या शांति नोबल के ख्वाबों से। नारा दिया “जय जवान”, औ..
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आंदोलन को निगलती राजनैतिक महत्वाकांक्षा...
|सरकारी कारगुजारियों से परेशान हो स्वतंत्रता के बाद भारत मे ३ ऐसे आंदोलन हुए जिन्होने सत्ता परिवर्तन किये हैं, और तीनों बार ही सत्ता परिवर्तन आंदोलनों के द्वारा जनजागरण कर के संभव हो सके। ७० के दशक अंत मे हुआ सत्ता परिवर्तन जेपी के संपूर्ण क्रांति के आह्वान के आंदोलन द्वारा, १९८९ मे बोफोर्स कांड और भ्रष्टाचारियों के बचाव के प्रयासों से त्रस्त हो वीपी सिंह के आंदोलन द्वारा और १९९९ मे सांस्कृतिक..
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सुदर्शन जी : जैसे मैंने देखे ...
|सुदर्शन जी नहीं रहे... अपनी शाखा से निकल कर एक कार्यकर्ता के घर पर जा कर बैठा ही था, कि ट्विटर पर एक सज्जन ने उनके निधन का दुखद समाचार बताया। स्तब्ध होना, शायद उस भाव को ठीक से अभिव्यक्त न कर पाए, जो मेरे मन में उस समय आया। अभी कुछ दिनों पहले ही तो उनके दर्शन किये थे, और उन्होंने सदा की तरह स्नेह से आशीर्वाद भी दिया था... अभी कुछ दिनों पूर्व ही तो जब उनके मंगलोर में गायब होने का समाचार मिला, ..
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एक और हिन्दी दिवस... मैकाले का भूत आज सबसे अधिक प्रसन्न होगा
|आज हिन्दी दिवस है। मैकाले का भूत आज सबसे अधिक प्रसन्न होगा, यह देखकर कि 179 साल पहले की गयी उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई और भारत में ही हिन्दी के संरक्षण हेतु हिन्दी दिवस मनाने की नौबत आ पड़ी। मैकाले ने भारतीय भाषाओं को खत्म करने की वकालत करते हुए कहा था- “हमें अंग्रेज़ी साम्राज्य के विस्तार के लिए एक ऐसा वर्ग बनाना है जो अपनी जड़ों से घृणा करे। वे लोग रंग व रक्त से हिंदुस्तानी होंगे किन्..
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लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ या राजनैतिक ताकतों की कठपुतली... ?
|" पत्रकारिता लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ है " लगता है इस देश में यह स्तम्भ स्वयं भरभराकर ढहने की कगार पर खड़ा है और साथ ही भारतीय लोकतन्त्र को भी ढहाने की कसम खा चुका है। पिछले कुछ वर्षों में विशेषकर बीते कुछ महीनों के परिदृश्य पर दृष्टि डालें जहाँ भारतीय मीडिया की अपरिपक्वता, जल्दबाज़ी, गैर जिम्मेदारना व..
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क्या स्त्रियों को वेदाधिकार नहीं है... ?
|इस विषय पर मैं पाठकों का ध्यान कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की ओर दिलाना चाहता हूँ :
०१. जब ऋग्वेद के मन्त्र द्रष्टा ऋषि स्त्रियां हो सकतीं हैं तो उनको अध्ययन के अधिकार का निषेध करना मेरी दृष्टि से कभी समयविशेष की आवश्यकता रही होगी, आज इस बात की आवश्यकता नहीं।
०२. ऋग्वेद के मन्त्रों का दर्शन करने वाले ४०२ ऋषियों में से ३७७ प.. -
वाय दिस कोलावरी केजरीवाल बाबू?
|कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना-बहुत पुरानी कहावत है-लेकिन आज भी रंगरेजों पर उतनी ही सटीक बैठती है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई छेड़ने वाले केजरीवाल बाबू पर आज यही कहावत फिट बैठती दिख रही है। कोयला घोटाला हुआ कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के प्रधानमन्त्री की सीधी देख-रेख में, लेकिन चूंकि "हम कांग्रेस के नहीं, भ्रष्टाचार के विरुद्ध हैं" का ढोल पीटना जरूरी है, इसलिए नितिन गडकर.. -
वंशवाद बनाम जनतंत्र
|आज हम हमारी संसद के 60 वर्ष पूर्ण होने का जश्न मना रहे है, भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है। जहाँ आजादी के बाद हमारे पड़ोसी देशों में निरंकुश व सैन्य शक्ति के सामने लोकतंत्र ने दम तोड़ दिया वहीं भारत में प्रतिकुल परिस्थितयों में भी लोकतंत्र ने अपनी मजबूती बनाये रखी। जैसे-जैसे हम आगे बढते गये हमारा लोकतंत्र भी मजबूत होता गया। इतनी विषमताओं के बावजूद भी मारत में लोकता..
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हम करें राष्ट्र अभिवादन, हम करें राष्ट्र आराधन !!
|अपना राष्ट्र एक भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं है, ना वाणी का एक अलंकार है और न मस्तिष्क की कल्पना की एक उड़ान मात्र है। वह एक महानतम जीवंत शक्ति है, जिसका निर्माण उन करोड़ों-अरबों जनों की शक्तियों को मिलाकर हुआ है, जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं। यह निर्माण ठीक उसी प्रकार हुआ है, जैसे समस्त देशवासियों को एकत्र कर बलराशी संचित की गई, जिसमें से भवानी-महिष मर्दिनी प्रकट हुईं। वह शक्ति जिसे हम भारत, भवा..
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असम एक ज्वालामुखी पर बैठा है : जलता रहेगा बोडोलैंड
|जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू हुए असम दंगों की आग अब तक ठंड़ी नहीं हुई है। ऐसा भी नहीं कि यह आग असम तक ही सिमित रही है, इसका धुँआ पूरे देश में उठ रहा है। मुंबई के आजाद मैदान में जो तांडव हुआ, तालिबानी धमकियों के बाद उत्तर-पूर्व के लोगों का जिस तरह से पलायन हुआ, जिस तरह से लखनऊ में पत्रकारों की धुनाई हुई, उससे यह स्पष्ट है कि मामला खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में देश के वामपंथी किस्म के ‘बुद्..
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दो भिन्न समूह... आई.ए.सी और टीम केजरीवाल
|लगभग ढाई वर्ष पूर्व कुछ लोगों ने फेसबुक पेज के माध्यम से एक आंदोलन की परिकल्पना की, और तकनीकि रूप से कुशल व्यक्तियों ने इस विचार को फेसबुक के माध्यम से आम लोगो का आंदोलन बनाया और इसे आई.ए.सी नाम दिया, किंतु ४ अगस्त २०१२ को आई.ए.सी के अंदर के ही एक समूह की महत्वाकांक्षा ने इस आंदोलन को निगल डाला। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि आई.ए.सी वह टीम नही है, जिसे केजरीवाल टीम ने कोर टीम का नाम दिया थ..
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यू बाबा बावला है के?
|आजकल टीवी चैनलो पर बाबा रामदेव की बुराई करने का एक चलन सा चल निकला है। जो कोई चैनल आप चला दो, एक ही राग है-- बाबा चोर है, ठग है... धोखेबाज़ है, राजनीति करता है और न जाने क्या-क्या! कई बार तो ऐसा लगता है कि मान लो जैसे कि पाकिस्तान तो अब सुधर गया है और जरदारी साहब भारत को अपना बड़ा भाई मान बैठे हैं... असम से सारे बंगलादेशी घुसपैठिये वापिस लौट गए हैं... 7 रेसकोर्स से दूध की नदियाँ बह रही है... ..
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बोडो जनजाति और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिये : असम एक चेतावनी
|हाल के दिनों नार्थ ईस्ट एक बार फिर से राष्ट्रीय मिडिया के केन्द्र में है वैसे यदाकदा ही मिडिया का ध्यान इस ओर जाता है। भारत के उत्तर-पूर्व का राज्य असम अपने यहां हो रहे हिंसा के वजह से सुर्खियों में है। असम में जो आग जल रहीं वह महाविनाश के पहले की चेतावनी की तरह है कि अगर अभी भी हम नहीं सभलें तो एक दिन यह समस्या खुद बखुद हमारे देश से खत्म हो जायेगी क्योंकि जब असम ही हमारे मानचित्र से हट जायेग..
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सत्यमेव जयते के नाम पर झूठ बोलते आमिर खान!
|आमिर खान को अपने टीवी कार्यक्रम सत्यमेव जयते का नाम बदल लेना चाहिए। जो कार्यक्रम सत्य नहीं अपितु झूठे भ्रामक प्रचार पर आधारित हो व किसी धर्म विशेष के प्रति दुराग्रह से ग्रस्त हो, उसे मुंडकोपनिषद के इस महान उदात्त उद्घोष का प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है। कार्यक्रम के अनुसार छुआछूत हिंदुधर्म की उपज है। कई उदाहरण दिये गए जहां लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। वे उदाहरण वास्तव मेँ ..
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संस्कृत भाषा का महत्व
|संस्कृत देवभाषा है। यह सभी भाषाओँ की जननी है। विश्व की समस्त भाषाएँ इसी के गर्भ से उद्भूत हुई है। वेदों की रचना इसी भाषा में होने के कारण इसे वैदिक भाषा भी कहते हैं। संस्कृत भाषा का प्रथम काव्य-ग्रन्थ ऋग्वेद को माना जाता है। ऋग्वेद को आदिग्रन्थ भी कहा जाता है। किसी भी भाषा के उद्भव के बाद इतनी दिव्या एवं अलौकिक कृति का सृजन कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता है।ऋग्वेद की ऋचाओं में संस्कृत भाषा का लालि..
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भारतीय इतिहास की गौरवशाली गाथा है शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक
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अग्निवेश बिग बॉस में लगायेंगे तड़का ?
टीम अन्ना के पूर्व सदस्य अग्निवेश बिग बॉस के नए मेहमान बनने सकते हैं। नवभारत टाइम्स एवं भास्कर ने अपने अपने सूत्रों से इसक..
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आशाराम बापू ने राहुल गांधी का मजाक उड़ाया, कहा बबलू
मथुरा. आध्यात्मिक आशाराम बापू ने रविवार को मथुरा में प्रवचन करते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का खूब मजाक बनाया। संत आ..
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इतिहास का सच और भविष्य की चुनौती है अखंड भारत - के. एन. गोविन्दाचार्य
गत कुछ दिनों से अखंड भारत पर देश भर में काफी चर्चाएं हो रही हैं। इन चर्चाओं में अखंड भारत की व्यावहारिकता, वर्तमान समय म..
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दिल्ली में लगभग दो लाख रूपए की लागत से बना टॉयलेट अचानक गायब, थाने में रपट दर्ज
सूचना के अधिकार से अभी-अभी मालूम पड़ा है कि दिल्ली के एक गांव में लगभग दो लाख रूपए की लागत से जो टॉयलेट बना था, वह अचानक ग..
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सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
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वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
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आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
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अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
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सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
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नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
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न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
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पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
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वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
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जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
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उफ़ ये बुद्धिजीवी !
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कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
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मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
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भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
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२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
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वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
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चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
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समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
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विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
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सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
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