रेप, बातचीत और टिंकू-जिया के बाद का सन्नाटा...

Published: Sunday, Dec 23,2012, 09:36 IST
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दोस्त: “नहीं यार कल नहीं मिल सकता ... कल उस रेप विक्टिम के लिए प्रोटेस्ट करने जाना है ”

मैं: “ओह अच्छा .. लेकिन सभी अपराधी तो पुलिस ने दो दिन में पकड़ भी लिए .. तो अब किस लिए प्रोटेस्ट कर रहे हो?”

दोस्त: “पकड़ने से क्या होता है .. फाँसी होनी चाहिए .. कानून बनने चाहिए .. ऐसे थोड़ी चलता है ..”

मैं: “अच्छा .. क्या कानून हैं अभी?”

दोस्त: “वो सब मुझे नहीं पता यार .. पर ऐसे थोड़ी होता है .. हर तीसरे दिन एक रेप... पुलिस, गवर्नमेंट कुछ करती नहीं .. जंगलराज हो गया ..”

मैं: “लेकिन सिर्फ सख्त कानून से ही तो सब नहीं होगा न .. ये सब तो सामाजिक, नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट के कारण हो रहा है न.. अच्छा छोड़, कल शाम को मिलें फिर?”

दोस्त: “नहीं कल शाम को यहाँ सोसाइटी में क्रिसमस से पहले वीकेंड पे एक गेट-टुगेदर है .. बच्चों का कल्चरल प्रोग्राम भी है उसमें .. बेटी का डांस है .. उसकी भी प्रक्टिस करानी है”

मैं: “अरे वाह .. अब तो बड़ी हो गयी होगी बिटिया”

दोस्त: “हाँ .. एलकेजी में आ जायेगी इस साल .. एक मिनट होल्ड कर यार .. नहीं सृष्टि बेटे .. ऐसे नहीं .. देखो जैसे इसमें किया है हाथ .. वैसे करो बेटे .. गुड गर्ल”

(बैकग्राउंड में आवाज़ आती है – पल पल न माने टिंकू जिया .. टिंकू जिया )

“हाँ .. दैट्स लाईक माय गर्ल”

“ओह हाँ .. सॉरी यार .. वो बेटी एक स्टेप गलत कर रही थी .. बोल तू क्या कह रहा था”

मैं: “हाँ .. स्टेप तो गलत है .. पर अभी पता नहीं चलेगा”

दोस्त: “क्या? समझा नहीं मैं?”

मैं: “नहीं कुछ नहीं .. टिंकू जिया पे डांस करेगी तुम्हारी ४ साल की बच्ची”

दोस्त: “हाँ यार .. हिट गाना है ... डांस भी अच्छा कर रही है .. देखो शायद सांटा से फर्स्ट प्राईज़ मिल जाए”

मैं: “चलो ठीक है .. कराओ तुम प्रक्टिस .. अच्छा है तुम परिवार भी देखते हो और प्रोटेस्ट वगैरह में जाते रहते हो .. देश के जागरूक नागरिक”

दोस्त: “हाँ .. वो तो है .. अरविन्द केजरीवाल की रैली में भी गया था अभी... दिल्ली में रहने का फायदा तो है .. देश की सेवा करने का भी मौका मिल जाता है वीकेंड्स पे .. न्यूज़ वाले कवर भी करते हैं ..क्या पता किसी दिन टीवी पे ही दिख जाऊं तुम्हें”

मैं: “ओह अच्छा ..”

दोस्त: “हाँ यार .. एक ही आदमी ईमानदार है पूरे देश में .. बाकी तो सारे चोर हैं .. चोरों के इलेक्शन में चोर ही जीतते हैं .. देख लो गुजरात में फिर वही”

मैं: “यार गुजरात में डेवेलपमेंट भी तो हुआ है इतना”

दोस्त: “अरे सब कहने की बात है . केजरीवाल ने बोला तो है मोदी कम्युनल तो है ही, करप्ट भी है .. सरकार से जायेगा तो घोटाले सामने आयेंगे”

मैं: “अच्छा तो केजरीवाल साहब की पार्टी आएगी फिर”

दोस्त: “हाँ .. बिलकुल .. मैं क्या .. हर ईमानदार आदमी उन्हें ही वोट देगा .. जो नहीं देगा वो या तो करप्ट है या कम्युनल”

मैं: “हाहाहा ..”

दोस्त: “क्या हुआ .. हँसने की क्या बात हो गयी”

मैं: “नहीं .. कुछ नहीं .. चलो फिर बात करेंगें .. करवाओ बेटी को प्रक्टिस .. विश हर बेस्ट ऑफ लक”

दोस्त: “थैंक यू यार .. नाईस टॉकिंग टू यू .. और सॉरी .. इस वीकेंड मिल नहीं पाउँगा”

मैं: “नो प्रॉब्लम्स .. फैमिली और प्रोटेस्ट भी तो जरूरी हैं .. टेक केयर”

(“पल पल न जाने टिंकू जिया” का स्वर प्रबल होता है .. और फिर फोन कट हो जाता है )

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