टेलीकॉम घोटाले की तलवार देश के गृह मंत्री पी चिदंबरम पर झूल रही है। सत्ता के गलियारों में चिदंबरम के इस्तीफे को लेकर कयासो..
उन्होने कभी कोई बड़े-बड़े दावे नहीं किए, मगर उनके कर्मों ने भारत को स्वाभिमान से अपने पैरों पर चलना सिखाया। उन्होने कभी नहीं कहा कि “एफ़डीआई के बिना नहीं होगा किसानों का भला।” उन्होने कहा- “जय किसान”, और देश के किसानों ने मिट्टी से सोना उपजा दिया। उन्होने कभी जवानों के हाथ नहीं बांधे छद्म ‘अहिंसा’ या शांति नोबल के ख्वाबों से। नारा दिया “जय जवान”, और देश के जवानों ने 65 के युद्ध मे दुश्मनों को धूल चटा दी।
जब देश मे नन्हें मुन्ने, तरसते थे दूध के लिए, वो कभी नहीं उलझे ‘क्षीर सागर’ के दिवास्वप्न-जाल में, बल्कि श्वेत क्रांति कर बहा दी दूध की नदियां धरती पर ही। जब देश भूख से झूझ रहा था, उन्होने कभी नहीं कहा कि “गरीब खाने लगे हैं बहुत, इसलिए अनाज की कमी है।” बल्कि स्वयं सप्ताह में 2 दिन उपवास रखा और गरीबों की भूख मिटाई।
वह जनता की आँखों का तारा थे। देश के सच्चे सपूत, भारत माँ के लाल, पंडित लाल बहादुर शास्त्री। आज लाल बहादुर शास्त्री जयंती है। देख रही हूँ, कि जिस काँग्रेस ने राजीव गांधी की जयंती पर करोड़ों रुपये खर्च कर अखबार विज्ञापनों से रंग डाले, उसने अपने इस महान नेता के लिए 1 पंक्ति भी नहीं लिखी? लेकिन तभी एहसास होता है कि शास्त्री जी को इन विज्ञापनों की ज़रूरत कहाँ? वे तो करोड़ों भारतीयों के दिल मे बसते हैं।
एक तरफ आज के दौर में ‘कुछ नहीं’ होते हुए भी कुछ छद्म गांधी हवाई उड़ानों मे ही 1880 करोड़ रुपये उड़ा देते हैं वहीं प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी शास्त्री जी ने कभी निजी कार्यों के लिए सरकारी गाड़ी का प्रयोग नहीं किया। कैसे कोई प्रधानमंत्री होते हुए भी इतनी सादगी से जीवन बिता सकता है? कैसे मान लें कि कोई हाड़-मांस का ऐसा इंसान भी था जिसकी सिंह गर्जना ने पूरे विश्व को भारत की ताकत से परिचित करवाया? हम तो बड़े बड़े आतंकवादी हमलों के बाद भी मिमियाने की आवाज़े ही सुनते आए हैं। हमने तो ऐसे ही रोबोट-नुमा प्रधानमंत्री देखे हैं जो देश की नाव डुबोना अपना परम कर्तव्य मानते हैं इसलिए कभी-कभी शक होने लगता है कि शास्त्री जी सच मे जीते जागते इंसान थे।
शास्त्री जी छद्म ‘सत्य-अहिंसा-अपरिग्रहवादियों’ से बहुत ऊपर थे। जहाँ एक ओर महात्मा गांधी ने अहिंसा को इस हद्द तक तोड़ा-मरोड़ा कि देश का पौरुष ही नष्ट हो गया, वहीं व्यक्तिगत जीवन मे अहिंसा को परमधर्म मानने वाले शास्त्री जी ने देश पर हमले के वक़्त वीरता के साथ शत्रुओं को करारा जवाब दिया।
लाल बहादुर शास्त्री जी को याद करते हुए एक वृद्ध की आंखे नम हो जाती हैं। आँसू पोंछते हुए कहते हैं- “उनकी एक आवाज पर पूरा देश, विकास के सपने को पूरा करने के लिए उठ खड़ा हुआ। जब दुनिया भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ दे रही थी, शास्त्री जी ने युद्ध मे भारत को विजय दिलाई। शास्त्री जी ना होते तो ना जाने इस देश की हालत क्या होती? गर्दिशों के इस दौर मे भारत को एक और लाल बहादुर की ज़रूरत है।”
मेरी भी आँखें भर आती हैं। अखबार मे प्रकाशित उनके चित्र पर श्रद्धा भरे 2 आँसू ढुलक जाते हैं। मैं प्रार्थना करती हूँ..... “शास्त्री जी... आप जानते हैं आज देश किस गर्त मे डूब रहा है। फिर से देश का स्वाभिमान जगाने लौट आइये शास्त्री जी...
प्लीज लौट आइये!!
लेखक तनया गडकरी एवं रोता-बिलखता आई.बी.टी.एल परिवार ...
Share Your View via Facebook
top trend
-
चिदंबरम को छोड़ें, पहले खुद को बचाएं प्रधानमंत्री, टेलीकॉम घोटाला
-
अब टीम अन्ना एनडीए में शामिल होगी - दिग्विजय सिंह
कई सप्ताह की चुप्पी के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अपने कुख्यात अंदाज में अन्ना और उनके साथियों पर जोरदार ह..
-
कलाम के जूते उतरवाने को हिलेरी ने ठहराया था जायज, भारत को दी थी धमकी
अमेरिका ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम की तलाशी को जायज ठहराया था जब वह कॉन्टिनेंटल एयरलाइं..
-
राष्ट्रीय मीडिया – कितना राष्ट्रीय ?
यहाँ बड़ी पीड़ा व कष्ट से मुझे यह कहना पड़ रहा है की मेरे मन में “इस” प्रकार का विषय आया, परन्तु विगत कुछ समय स..
-
अस्पताल में धमाके में कई जख्मी, सीरियल ब्लास्ट की आशंका: आगरा
आगरा में सिकंदरा रोड पर स्थित जय सिंह अस्पताल में धमाका हुआ है। चश्मदीदों के मुताबिक इस धमाके में 10-12 लोग घायल हुए ..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-
Comments (Leave a Reply)