२ जी घोटाले में आरोपी बनाने की दहलीज पर खड़े गृह मंत्री चिदंबरम पर अब अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा, इसके पश्चात समाचार प..
-
सोनिया गांधी ने राजीव गांधी द्वारा घूस में लिए गए पैसे को... : सोनिया गांधी का सच
0जब श्वेजर इलस्ट्रेटे ने यह आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने राजीव गांधी द्वारा घूस में लिए गए पैसे को राहुल गांधी के खाते में रखा है तो मां-बेटे में से किसी ने न तो विरोध किया और न ही इस पत्रिका के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की।
-
यह नालंदा और वह नालंदा : डॉ. अब्दुल कलाम अभियान से अलग क्यों हुए?
नालंदा विश्वविद्यालय और उसकी महान परंपरा फिर से जीवित हो जाए तो क्या कहने? 800 साल बाद एक बार फिर भारत को दुनिया का गुरूदेश बनने का मौका मिल सकता है | पिछले सौ-सवा सौ साल से भारत के इस रूतबे का आनन्द ब्रिटेन और अमेरिका ले रहे हैं |
.. -
इन महाशय ने विवेकानन्द स्मारक न बनने देने, एवं रामसेतु को तोड़ने की योजना के लिए जी-तोड़ प्रयास किये थे
केरल के मूल निवासी 66 वर्षीय आर्चबिशप जॉर्ज एलेंचेरी को गत सप्ताह पोप ने कार्डिनल की पदवी प्रदान की। वेटिकन में की गई घोषणा के अनुसार सोलहवें पोप बेनेडिक्ट ने 22 नए कार्डिनलों की नियुक्ति की है। रोम (इटली) में 18 फ़रवरी को होने वाले एक कार्यक्रम..
-
जब भारत माँ हुई लज्जित - कश्मीरी हिंदुओं के निर्वासन की बरसी आज
१९ जनवरी १९९० – ये वही काली तारीख है जब लाखों कश्मीरी हिंदुओं को अपनी धरती, अपना घर हमेशा के लिए छोड़ कर अपने ही देश में शरणार्थी होना पड़ा | वे आज भी शरणार्थी हैं | उन्हें वहाँ से भागने के लिए मजबूर करने वाले भी कहने को भारत के ही नागरिक ..
-
क्या विडंबनाओं का देश बन कर रह जाएगा हमारा भारत?
कहा जाता हैं कि भारत विविधताओं का देश है। बात सच भी है। संस्कृति की समरसता के छत्र में वैविध्य की वाटिका यहाँ सुरम्य दृष्टिगत होती है। परन्तु आज वही भारत विडंबनाओं का देश बनने की ओर अग्रसर है। कारण वह मानसिकता है जो भारतीय न होते हुए भी भारतीयों..
-
भारत के युगपुरुष स्वामी विवेकानंद के १५०वें जन्मशती वर्ष का प्रारंभ आज
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। संगीत, साहित्य और दर्शन में स्वामी विवेकानंद को विशेष रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था। 1884 में उनके पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद अत्यंत ..
-
महान भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी कपिल रामलाल निखंज देव
भारतीय क्रिकेट के लिविंग लीजैंड कपिल देव को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं हैं। भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान की चर्चा करना सूरज को दीया दिखाने जैसा है। भारत में विश्वकप के विषय में चर्चा शुरू होते ही इस महान ऑलराउंडर का नाम सबसे पहले लिया जाता..
-
जयप्रकाश नारायण के साथ मेरे अनुभव : डा. सुब्रमणियन स्वामी
मैं जेपी से अमेरिका में १९६८ में मिला था जब वह क्वेकर्स नामक एक अमेरिकी संस्था के प्रायोजित दौरे पर अमेरिका आये हुए थे। मैं तब हार्वर्ड विश्वविद्यालय मेविन अर्थशास्त्र का प्राध्यापक था और इस क्षेत्र में दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं, एमआईटी के पुल ..
-
तीस्ता सीतलवाड के पूर्व सहयोगी ने नानावटी आयोग को सौंपे झूठे शपथपत्र के प्रमाण
तीस्ता सीतलवाड कोई अपरिचित नाम नहीं है | ये वही है जिन्हें मीडिया के एक वर्ग ने 'न्याय की लड़ाई लड़ रही वीरांगना' के रूप में चित्रित किया, तब तक, जब तक न्यायालय में २२ गवाहों से झूठे प्रमाणपत्र दाखिल करवाने का मामला सामने नहीं आया। तब त..
-
दिग्विजय सिंह बने 'राष्ट्रीय टेलीफोन ऑपरेटर' तो स्वामी अग्निवेश को मिला 'राष्ट्रीय चुगलखोर' का ख़िताब - फेकिंग न्यूज़
बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की इस मांग के बाद कि 'गीता' को राष्ट्रीय किताब घोषित जाए, ये चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी कि हमें देश के हर क्षेत्र से कोई न कोई राष्ट्रीय चुनना चाहिए। ढंग के राष्ट्रीय तो पहले ही चुने जा चुके हैं अब बारी फिज़ूल के राष्ट्रीय चुनन..
-
उदाहरण है विवेक ओबेरॉय का फोर्ब्स की लोक-कल्याण नायक सूची पर होना
२०११ भारत के लिए एक उथल पुथल भरा वर्ष सिद्ध हुआ - भले ही वह राजनैतिक परिदृश्य हो, अथवा आर्थिक | परन्तु इस बीच कुछ सुखद बातें भी हुई | सुखद बातों का स्मरण करें तो सबसे पहले २८ वर्षों बाद विश्व कप की ट्रॉफी उठाने का गौरवशाली क्षण सबसे पहले स्मरण आ..
-
जिस देश को बरबाद करना हो सबसे पहले उसकी संस्कृति पर हमला करो
किसी ने सच ही कहा है कि जिस देश को बरबाद करना हो सबसे पहले उसकी संस्कृति पर हमला करो और वहाँ की युवा पीढी को गुमराह करो । जो समाज इनकी रक्षा नहीं कर सकता उसका पतन और सर्वनाश निश्चित हो जाता है । हमारे आसपास घटने वाली काफ़ी बातें समाज के गिरते नैतिक..
-
मैकॉले का अभियान सौ वर्ष के अंदर इंडिया के कोने-कोने तक पहुंचा
पिछले लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह एकमात्र नेता थे जिन्होंने भाषा के प्रश्न को अपने चुनाव घोषणा-पत्र में रखा। जिस तरह दूसरे उन पर टूट पड़े, उससे दिखा कि भाषा-संस्कृति के प्रति कुशिक्षा कितनी गहरी जड़ जमा चुकी है। जब कोई दासता सहज स्थिति बन जाए तो ..
-
दिल्ली में लगभग दो लाख रूपए की लागत से बना टॉयलेट अचानक गायब, थाने में रपट दर्ज
सूचना के अधिकार से अभी-अभी मालूम पड़ा है कि दिल्ली के एक गांव में लगभग दो लाख रूपए की लागत से जो टॉयलेट बना था, वह अचानक गायब हो गया है| नगर निगम ने एक सवाल के जवाब में माना है कि 2008 में इस टॉयलेट को बनाने के लिए बाकायदा एक लाख 90 हजार रूपए खर्च..
-
आर.एस.एस का असर - कश्मीरी मुस्लिम चाहते हैं हटे ३७०, भारत में मिले पाक और चीन के कब्जे वाला कश्मीर
आठ दशकों से भी अधिक समय से राष्ट्रीय हित में कार्यरत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने विरुद्ध किए जाने वाले तमाम दुष्प्रचार के बाद भी राष्ट्र-निर्माण के अपने कार्य में लगा हुआ है | इसी का एक अनुपम उदाहरण सामने आया है आतंकवाद के साये में जी रहे मुस्लि..
top trend
-
चिदंबरम के आदेश इशारे पर हुई थी बाबा रामदेव के सत्याग्रह पर कारवाई
-
तीस्ता सीतलवाड के पूर्व सहयोगी ने नानावटी आयोग को सौंपे झूठे शपथपत्र के प्रमाण
तीस्ता सीतलवाड कोई अपरिचित नाम नहीं है | ये वही है जिन्हें मीडिया के एक वर्ग ने 'न्याय की लड़ाई लड़ रही वीरांगना..
-
अब नासिर हुसैन के बचाव में आगे आए शाहरुख खान ...
अब बॉलिवुड स्टार शाहरुख खान इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन के .. -
सोनिया गाँधी और कांग्रेस ने कभी सोचा नहीं होगा कि तेलंगाना आंदोलन ऐसा गम्भीर रुख लेगा
9 दिसम्बर 2009 (अर्थात सोनिया गाँधी के जन्मदिन) पर तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेसी सांसदों ने सोनिया गाँधी को शॉल ओढ़ाकर फ..
-
मोदी का चिन्तन प्रभावी, एवं गुजरात के विशिष्ट विश्व विद्यालय मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में गौरव
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से आज विश्वप्रसिद्घ आईटी कंपनी इन्फोसिस लिमिटेड के स्थापक अध्यक्ष एन.आर. नारायणमूर्ति ने मु..
what next
-
-
सुनहरे भारत का निर्माण करेंगे आने वाले लोक सभा चुनाव
-
वोट बैंक की राजनीति का जेहादी अवतार...
-
आध्यात्म से राजनीती तक... लेकिन भा.ज.पा ही क्यूँ?
-
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा ...
-
सिद्धांत, शिष्टाचार और अवसरवादी-राजनीति
-
नक्सली हिंसा का प्रतिकार विकास से हो...
-
न्याय पाने की भाषायी आज़ादी
-
पाकिस्तानी हिन्दुओं पर मानवाधिकार मौन...
-
वैकल्पिक राजनिति की दिशा क्या हो?
-
जस्टिस आफताब आलम, तीस्ता जावेद सीतलवाड, 'सेमुअल' राजशेखर रेड्डी और NGOs के आपसी आर्थिक हित-सम्बन्ध
-
-
-
उफ़ ये बुद्धिजीवी !
-
कोई आ रहा है, वो दशकों से गोबर के ऊपर बिछाये कालीन को उठा रहा है...
-
मुज़फ्फरनगर और 'धर्मनिरपेक्षता' का ताज...
-
भारत निर्माण या भारत निर्वाण?
-
२५ मई का स्याह दिन... खून, बर्बरता और मौत का जश्न...
-
वन्देमातरम का तिरस्कार... यह हमारे स्वाभिमान पर करारा तमाचा है
-
चिट-फण्ड घोटाले पर मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया
-
समय है कि भारत मिमियाने की नेहरूवादी नीति छोड चाणक्य का अनुसरण करे : चीनी घुसपैठ
-
विदेश नीति को वफादारी का औज़ार न बनाइये...
-
सेकुलरिस्म किसका? नरेन्द्र मोदी का या मनमोहन-मुलायम का?
-